Posts

Showing posts with the label तो बात पक्‍की

फिल्‍म समीक्षा : तो बात पक्‍की

उलझी हुई सीधी कहानी -अजय ब्रह्मात्‍मज केदार शिंदे ने मध्यवर्गीय मानसिकता की एक कहानी चुनी है और उसे हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करने की कोशिश की है। उन्हें तब्बू जैसी सक्षम अभिनेत्री का सहारा मिला है। साथ में शरमन जोशी और वत्सल सेठ जैसे आकर्षक कलाकार हैं। इन सभी के बावजूद तो बात पक्की हास्य और विडंबना का अपेक्षित प्रभाव नहीं पैदा करती। ऋषिकेश मुखजी, बासु चटर्जी और गुलजार की तरह हल्की-फुल्की और रोचक फिल्म बनाने का आइडिया सुंदर हो सकता है, लेकिन उसे पर्दे पर उतारने में भारी मशक्कत करनी पड़ती है। केदार शिंदे की फिल्म की शुरूआत अच्छी है, किंतु इंटरवल के बाद फिल्म उलझ जाती है। राजेश्वरी की इच्छा है कि उसकी छोटी बहन निशा की शादी किसी योग्य लड़के से हो जाए। उसे पहले राहुल सक्सेना पसंद आता है, लेकिन युवराज सक्सेना के आते ही वह राहुल के प्रति इरादा बदल लेती है। राहुल और युवराज के बीच फंसी निशा दीदी के हाथों में कठपुतली की तरह है, जिसकी एक डोर राहुल के पास है। युवराज से निशा की शादी नहीं होने देने की राहुल की तरकीब सीधे तरीके से चित्रित नहीं हो पाई है। इसके अलावा फिल्म की सुस्त गति से थिए
लंबे गैप के बाद तब्बू तो बात पक्की में दिखेंगी। केदार शिंदे निर्देशित इस फिल्म में उनके साथ शरमन जोशी और वत्सल सेठ भी हैं। बातचीत तब्बू से..। लंबे गैप के बाद आप फिल्म तो बात पक्की केसाथ आ रही हैं? बहुत समय से कॉमेडी करने की इच्छा थी। ऐसी कॉमेडी, जिसमें रोल अच्छा हो और कहानी भी हो। यह चलती-फिरती कॉमेडी फिल्म नहीं है। यह छोटे शहर के मिडिल क्लास फैमिली की कहानी है। कोई मुद्दा या समस्या नहीं है। फिर फिल्म के निर्माता रमेश तौरानी ने साफ कहा कि आप नहीं करेंगी, तो हम फिल्म नहीं बनाएंगे। उनका आग्रह अच्छा लगा। फिर बात पक्की हो गई। नए डायरेक्टर के साथ फिल्म करने के पहले कोई उलझन नहीं हुई? मेरे लिए नए डायरेक्टर के साथ काम करने का सवाल उतना मायने नहीं रखता। मैंने ज्यादातर नए डायरेक्टर के साथ ही काम किया है। मैंने कभी किसी नए डायरेक्टर के साथ काम करने को रिस्क नहीं समझा। कहानी और स्क्रिप्ट पर भरोसा है, तो मैं हां कर देती हूं। क्या स्क्रिप्ट पढ़कर आप डायरेक्टर पर भरोसा कर लेती हैं? हां, इतनी समझ तो हो ही गई है। भरोसा तो आप बड़े डायरेक्टर का भी नहीं कर सकते। मैं इतना नहीं सोचती। मुझे जिन फिल्मों में