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जासूस जासूस है हाड़ मांस का बना एक आदमी - विमल चंद्र पाण्‍डेय

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- विमल चंद्र पाण्‍डेय दिबाकर बनर्जी निर्देशित डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी देख कर लौटा हूँ और सोच रहा हूँ कि इतना खूबसूरत और सुलझा हुआ क्लाइमेक्स हिंदी सिनेमा में इसके पहले कब देखा था. हर फ्रेम कुछ कहता हुआ, फिल्म की रगों में दौड़ता मानीखेज़ पार्श्व संगीत और दिबाकर का प्रिय कोलकाता जो इस फिल्म से गुज़रते हुए हमारा थोड़ा और प्रिय हो जाता है. दिबाकर बनर्जी निर्देशित डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी देख कर लौटा हूँ और सोच रहा हूँ कि नीरज काबी तो सँजो कर रखे जाने वाले हीरे हैं, ऐसा अभिनय जो हर कदम किरदार को धीरे-धीरे खोलता हुआ हमारे सामने लाता है. दिबाकर और उर्वी की पटकथा सिखाती है कि कहानी को किस तरह बुना जाता है. दिबाकर डिटेलिंग के मास्टर हैं और इस फिल्म में वह अपने उरूज पर है. ब्योमकेश बहुत साधारण इंसान है, कौन सा निर्देशक अपने हीरो को इंट्रोडक्शन सीन में किसी चरित्र अभिनेता से थप्पड़ मरवाएगा. यह काम दिबाकर करते हैं और इस तरह करते हैं कि वह थप्पड़ लार्जर दैन लाइफ हीरो की हमारी अवधारणा पर पड़ता है. कौन सा निर्देशक होगा जो अपने नायक, वह भी जासूस, को क्लाइमेक्स में बेहोश कर देगा. वह जब उठेगा तो खून खराबा ह

फिल्‍म समीक्षा - डिटेक्टिव ब्‍योमकेश बक्‍शी

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कलकत्‍ता -1943  पृष्‍ठभूमि शरदिंदु बनर्जी ने 1932 में जासूस ब्योमकेश बक्शी के किरदार को गढ़ा था। उन्होंने कुल 32 कहानियां लिखी थीं। इन कहानियों को बंगाल में फिल्मों और धारावाहिकों में ढाला गया है। हिंदी में भी एक धारावाहिक 'ब्योमकेश बक्शी' नाम से ही बना था,जिसमें रजत कपूर ने शीर्षक भूमिका निभाई थी। ताजा हाल रितुपर्णो घोष की बंगाली फिल्म 'सत्यान्वेषी' मे ब्योमकेश बक्शी की भूमिका में 'कहानी' के निर्देशक सुजॉय घोष दिखे थे। दिबाकर बनर्जी ने शरदिंदु बनर्जी की सभी 32 कहानियों के अधिकार लेकर उन्हें अपनी फिल्म 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी' में सुविधानुसार इस्तेमाल किया है। दिबाकर बनर्जी की यह फिल्म यशराज फिल्म्स के सहयो" से आई है। इसमें ब्योमकेश बक्शी की भूमिका सुशांत सिंह राजपूत निभा रहे हैं। 'डिटेक्टिव ब्योकेश बक्शी' के आरंभ में फिल्म का प्रमुख सहयोगी किरदार अजीत बंद्योपाध्याय का वॉयसओवर सुनाई पड़ता है, '1942। कलकत्ता। सेकेंड वर्ल्ड वॉर जोर पर था। जापान की फौज इंडिया-वर्मा बोर्डर से कलकत्ता पर अटैक करने का मौका