Posts

Showing posts with the label रामगोपाल वर्मा

फिल्‍म समीक्षा : सरकार 3

Image
फिल्‍म रिव्‍यू निराश करते हैं रामगोपाल वर्मा सरकार 3 -अजय ब्रह्मात्‍मज रामगोपाल वर्मा की ‘ सरकार 3 ’ उम्‍मीदों पर खरी नहीं उतरती। डायरेक्‍टर रामगोपाल वर्मा हारे हुए खिलाड़ी की तरह दम साध कर रिंग में उतरते हैं,लेकिन कुछ समय बाद ही उनकी सांस उखड़ जाती है। फिल्‍म चारों खाने चित्‍त हो जाती है। अफसोस,यह हमारे समय के समर्थ फिल्‍मकार का भयंकर भटकाव है। सोच और प्रस्‍तुति में कुछ नया करने के बजाए अपनी पुरानी कामयाबी को दोहराने की कोशिश में रामगोपाल वर्मा और पिछड़ते जा रहे हैं। अमिताभ बच्‍चन,मनोज बाजपेयी और बाकी कलाकारों की उम्‍दा अदाकारी,रामकुमार सिंह के संवाद और तकनीकी टीम के प्रयत्‍नों के बावजूद फिल्‍म संभल नहीं पाती। लमहों,दृश्‍यों और छिटपुट परफारमेंस की खूबियों के बावजूद फिल्‍म अंतिम प्रभाव नहीं डाल पाती। कहानी और पटकथा के स्‍तर की दिक्‍कतें फिल्‍म की गति और निष्‍पत्ति रोकती हैं। सुभाष नागरे का पैरेलल साम्राज्‍य चल रहा है। प्रदेश के मुख्‍यमंत्री की नकेल उनके हाथों में है। उनके सहायक गोकुल और रमण अधिक पावरफुल हो गए हैं। बीमार बीवी ने बिस्‍तर पकड़ लिया है। तेज-तर्रार देशप

फिल्‍म समीक्षा : वीरप्‍पन

Image
लौटे हैं रामू                -अजय ब्रह्मात्‍मज एक अंतराल के बाद रामगोपाल वर्मा हिंदी फिल्‍मों में लौटे हैं। उन्‍होंने अपनी ही कन्‍नड़ फिल्‍म ‘ किंलिंग वीरप्‍पन ’ को थोड़े फेरबदल के साथ हिंदी में प्रस्‍तुत किया है। रामगोपाल वर्मा की फिल्‍मोग्राफी पर गौर करें तो अपराधियों और अपराध जगत पर उन्‍होंने अनेक फिल्‍में निर्देशित की हैं। अंडरवर्ल्‍ड और क्रिमिनल किरदारों पर फिल्‍में बनाते समय जब रामगोपाल वर्मा अपराधियों के मानस को टटोलते हैं तो अच्‍छी और रोचक कहानी कह जाते हैं। और जब वे अपराधियों के कुक्त्‍यों और क्रिया-कलापों में रमते हैं तो उनकी फिल्‍में साधारण रह जाती हैं। ‘ वीरप्‍पन ’ इन दोनों के बीच अटकी है। ‘ वीरप्‍पन ’ कर्नाटक और तमिलनाडु के सीमावर्ती जंगलों में उत्‍पात मचा रखा था। हत्‍या,लूट,अपहरण,हाथीदांत और चंदन की तस्‍करी आदि से उसने आतंक फैला रखा था। कर्नाटक और तमिलनाडु के एकजुट अभियान के पहले वह चकमा देकर दूसरे राज्‍य में प्रवेश कर जाता था। दोनों राज्‍यों के संयुक्‍त अभियान के बाद ही उसकी गतिविधियों पर अंकुश लग सका। आखिरकार आपरेशन कोकुन के तहत 2004 में उसे मारा जा

सिस्‍टम की खामियों की पड़ताल

Image

फिल्‍म समीक्षा : डिपार्टमेंट

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज राम गोपाल वर्मा को अपनी फिल्म डिपार्टमेंट के संवाद चमत्कार को नमस्कार पर अमल करना चाहिए। इस फिल्म को देखते हुए उनके पुराने प्रशंसक एक बार फिर इस चमत्कारी निर्देशक की वर्तमान सोच पर अफसोस कर सकते हैं। रामू ने जब से यह मानना और कहना शुरू किया है कि सिनेमा कंटेंट से ज्यादा तकनीक का मीडियम है, तब से उनकी फिल्म में कहानियां नहीं मिलतीं। डिपार्टमेंट में विचित्र कैमरावर्क है। नए डिजीटल  कैमरों से यह सुविधा बढ़ गई है कि आप एक्सट्रीम  क्लोजअप  में जाकर चलती-फिरती तस्वीरें उतार सकते हैं। यही कारण है कि मुंबई की गलियों में भीड़ में चेहरे ही दिखाई देते हैं। कभी अंगूठे  से शॉट  आरंभ होता है तो कभी चाय के सॉसपैन  से ़ ़ ़ रामू किसी बच्चे  की तरह कैमरे का बेतरतीब इस्तेमाल करते हैं। डिपार्टमेंट रामू की देखी-सुनी-कही फिल्मों का नया विस्तार है। पुलिस महकमे में अंडरव‌र्ल्ड से निबटने के लिए एक नया डिपार्टमेंट बनता है। संजय दत्त इस डिपार्टमेंट के हेड हैं। वे राणा डग्गुबाती को अपनी टीम में चुनते हैं। दोनों कानून की हद से निकल कर अंडरव‌र्ल्ड के खात्मे का हर पैंतरा इस्तेम

खबरों को लेकर मची जंग है रण-रामगोपाल

एक समय था कि राम गोपाल वर्मा की फैक्ट्री का स्टांप लगने मात्र से नए एक्टर, डायरेक्टर और टेक्नीशियन को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री और आईडेंटिटी मिल जाती थी। वे आज भी यही कर रहे हैं, लेकिन राम गोपाल वर्मा की आग के बाद उनकी क्रिएटिव लपटों में थोड़ा कम ताप महसूस किया जा रहा है। अपनी ताजा फिल्म रण में उन्होंने इलेक्ट्रानिक मीडिया के माहौल को समझने की कोशिश की है। वे इस फिल्म को महत्वपूर्ण मानते हैं और यह है भी- [मीडिया पर फिल्म बनाने की बात कैसे सूझी?] न्यूज चैनलों में आए विस्फोट के बाद से ही मेरी जिज्ञासा थी कि अचानक लोगों की रुचि समाचारों में बढ़ गयी है या फिर न्यूज चैनलों का अपना कोई स्वार्थ है? मैं इसे समझने की कोशिश में लगा था। दो साल पहले एक चैनल पर समाचार देखते हुए मुझे लगा कि अभी तो किसी भी रिपोर्ट को एडिट से विश्वसनीय बनाया जा सकता है। न्यूज मेकिंग लगभग फिल्म मेकिंग की तरह हो गयी है। वास्तविक तथ्यों और फुटेज को जोड़कर आप किसी भी घटना का फोकस बदल सकते हैं। सवाल है कि खबरें बनती हैं या बनायी जाती है? ऐसी बातों और घटनाओं ने मुझे रण बनाने के लिए प्रेरित किया। [आपने फिल्म बनायी है,