हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में लेखिकाएं लहरा रहीं परचम - अमित कर्ण
-अमित कर्ण हिंदी फिल्म जगत में महिला लेखिकाओं व निर्देशकों का दौर रहा है। हनी ईरानी, साईं परांजपे, कल्पना लाजिमी, मीरा नायर ने दर्शकों को नए किस्म का सिनेमा दिया, मगर उस जमाने में कथित पैरेलल सिनेमा के पैरोकार कम थे। ऐसे में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री महिला लेखिकाओं की बहुत बड़ी तादाद से महस्म थी। आज वह बात नहीं है। इंडस्ट्री में ढेर सारी फीमेल रायटर और डायरेक्टर अपने नाम का परचम लहरा रही हैं। उनमें अद्वैता काला, जूही चतुर्वेदी, उर्मि जुवेकर, अन्विता दत्ता, शिबानी बथीजा, शगुफ्ता रफीक उल्लेखनीय नाम हैं। वे अपने अलग विजन और ट्रीटमेंट से लोगों का दिल जीत रही हैं। उक्त नाम लीक से हटकर फिल्में दे रही हैं, जबकि फराह खान, रीमा कागटी, जोया अख्तर पॉपुलर फिल्में दे रही हैं। सब के सफल होने की वजह यह रही कि उन्होंने अपनी नारीवादी सोच को किनारे रख ह्यूमन इंटरेस्ट की कहानियां दर्शकों को दी। ‘कहानी’ जैसी फिल्म लिखने वाली अद्वैता काला कहती हैं, ‘एक लेखक के तौर पर आप जब कहानी लिखना शुरू करते हो तो आप को कोई आइडिया नहीं होता कि उसका अंत क्या होगा? मैं अपनी कहानी का अंत भी प्रेडिक्ट नहीं करती। ‘कहानी’