आज की फीलिंग्स है ‘मां का फोन’ में
-अजय ब्रह्मात्मज इन दिनों ‘खूबसूरत’ का गाना ‘मां का फोन’ रिंग टोन के रूप में लडकियों के फोन पर बज रहा है। गाने बोल इतने चुटले और प्रासंग्कि हैं कि इस गाने से लड़कियां इत्तफाक रखती हैं। और सिर्फ लड़कियां ही नहीं लडक़े भी मानते हैं कि मां की चिंताओं और जिज्ञासाओं से अनेक बार उनकी मस्ती में खलल पड़ती है। नए दौर की मौज-मस्ती अनग किस्म की है। फोन हमेशा सभी के साथ में रहता है। मोबाइल पर अचानक मां का फोन आता है तो तो इस गाने जैसा ही माहौल बनता है। ‘खूबसूरत’ के इस गाने को अमिताभ वर्मा ने लिखा है। पिछले कुछ सालों से वे फिल्मों में छिटपुट गाने लिख कर अपनी पहचान बना चुके हैं। अनुराग बसु निर्देशित ‘लाइफ इन मैट्रो’ के लिए लिखा उनका गाना ‘अलविदा’ बहुत पॉपुलर हुआ था। ‘अग्ली और पगली’ के लिए लिखा उनका गीत ‘मैं टल्ली हो गई’ भी पार्टी गीत के तौर पर खूब बजा। इन पॉपुलर गीतों के बावजूद अमिताभ वर्मा गीत लेखन के रूप में अधिक सक्रिय नहीं रहे। बीच में वे अपनी फिल्म के लेखन में व्यस्त रहे। वे स्वयं उसे निर्देशित करने के लिए आउटउोर पर जाने वाले थे कि मंदी की मार में उनकी फिल्म अटक गई। गीत लेखन की शुरुआत