फिल्म समीक्षा : बादशाहो
फिल्म रिव्यू मसालों के बावजूद फीकी बादशाहो -अजय ब्रह्मात्मज फिल्मों में लेखन कर रहे एक राजस्थानी मित्र ने ‘ बादशाहो ’ का ट्रेलर देखते ही सोशल मीडिया में लिखा था कि राजस्थनी में हर ‘ न ’ का उच्चारण ’ ण ’ नहीं होता। भाषा के प्रति ऐसी लापरचाही बड़ी-छोटी फिल्मों में होती रहती है। फिल्म के सारे किरदार राजस्थान के हैं और किसी के लहजे में राजस्थानी उच्चारण नहीं है। अगर सभी लोकप्रिय भाषा ही बोलते तो क्या फर्क पड़ जाता ? ‘ बादशाहो ’ राजस्थान में सुने-सुनाए प्रचलित किस्सों में से एक किस्सा पर आधारित है। यह सत्यापित नहीं है,लेकिन कहा जाता है कि इंदिरा गांधी और संजय गांधी के इशारे पर फौज ने महारानी गायत्री देवी के किले पर छापा मारा था और बड़ी मात्रा में सोने-गहने ले गए थे। किसी को मालूम नहीं कि सच क्या है ? फिर भी किलों में घमने आए गाइड और शहर के बाशिंदे इन किस्सों का दोहराते हैं। यह किस्सा मिलन लूथरिया ने भी सुन रखा था। ‘ कच्चे घागे ’ की शूटिंग के दरम्यान सुना यह किस्सा उनके जहन से निकल ही नहीं पाया। अजय देवगन को भी उन्होंने यह किस्सा सुनाया था