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फिल्‍म समीक्षा : किस किस को प्‍यार करूं

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करवा चौथ का गोल चांद -अजय ब्रह्मात्मज     हिंदी फिल्मों में करवा चौथ का चांद हमेशा गोल दिखाया जाता है। आदित्य चोपड़ा की फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगेÓ के आर्ट डायरेक्टर से हुई भूल पर न तो निर्देशक का ध्यान गया और न ही दर्शकों ने सुधि ली। लिहाजा, बाद में आई हर फिल्म में करवा चौथ का चांद गोल ही दिखता है, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन चांद की गोलाई चार दिन घट चुकी होती है। 'किस किस को प्यार करूंÓ जैसी फिल्में 'करवा चौथ का गोल चांदÓ ही होती हैं। इनका वास्तविकता से खास रिश्ता नहीं होता।     अब इसी फिल्म को लें। कुमार शिव राम किशन दिल का नेक लड़का है, वह अपनी मां की दी सीख 'कभी किसी लड़की का दिल न तोडऩा और कभी किसी का घर नहीं तोडऩाÓ पर अमल करते हुए तीन शादियां कर चुका है। तीनों शादियां गफलत और नैतिकता के दबाव में हुई हैं। अपने दोस्त और वकील करण की मदद से वह एक ही बिल्डिंग की चौथी, छठी और आठवीं मंजिलों पर तीनों बीवियों का परिवार चला रहा है। अब यह न पूछें कि कैसी एक ही बिल्डिंग में रहते हुए उनकी बीवियों को लंबे समय तक पता ही नहीं चलता कि उनका पति एक ही व

इंपैक्‍ट 2014 : आमिर खान, कपिल शर्मा

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इंपैक्ट 2014 -अजय ब्रह्मात्‍मज आमिर खान     ‘सत्य की जीत’ का संदेश बुलंद करता अमिर खान का टीवी शो ‘सत्यमेव जयते’ पहला ऐसा अनोखा शो है, जिसमें मुख्य रूप से सामाजिक मुद्दों, कुरीतियों और चलन पर सवाल उठाए गए। विमर्श के केंद्र में लाए विषयों को आमिर खान ने आत्मीयता और गंभीरता के साथ न केवल पेश किया, बल्कि निदान, समाधान और विकल्प के भी सुझाव दिए। हर एपिसोड में किसी एक विषय के सभी पहलुओं को प्रस्तुत करते समय साक्ष्य रखे गए। ‘सत्यमेव जयते’ की टीम ने आमिर खान और उनके मित्र व सहयोगी सत्यजित भटकल के निर्देशन और निरीक्षण में वस्तुनिष्ठ रहते हुए विषयों का विश्लेषण और विमर्श किया। पहले सीजन में ही सत्यमेव जयते के प्रभाव से सरकारी और निजी संस्थानों को सुझाए रास्तों पर बढऩे की प्रेरणा मिली। आमिर खान के हर शो में निदान और सहयोग में सक्रिय व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रयासों की मुखर प्रस्तुति रही। इस शो ने टीवी दर्शकों समेत भारतीय समाज में एक मन आंदोलन सा खड़ा कर दिया, जिसका निश्चित सामाजिक संदर्भ बना। इस साल आमिर खान ने शो के प्रसारण के बाद देश के किसी एक शहर में जाकर सीधे प्रसारण से स्थानीय नाग

इंपैक्‍ट 2013 : अमिताभ बच्‍चन,दीपिका पादुकोण,कपिल शर्मा

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  अमिताभ बच्चन     ब्लॉग, ट्विटर, फेसबुक ... सोशल मीडिया के लोकप्रिय माध्यमों का बखूबी इस्तेमाल करते हैं अमिताभ बच्चन। हर माध्यम की प्रति उनकी संलग्नता उल्लेखनीय है। इन माध्यमों के जरिए प्रशंसक और पाठक लोकप्रियता के शीर्ष पर एकाकी बैठे अमिताभ बच्चन के विचारों, अनुभवों और दैनंदिन जीवन की गतिविधियों से परिचित होते हैं। अगर आप उनका ब्लॉग फॉलो करें तो पाएंगे कि रात के बारह बजे के बाद ही यह अपडेट होता है। कभी दो बजे तो कभी चार बजे,जब भारत सो रहा होता है तो दिन भर की सक्रियताओं का सार बताते हुए वे दार्शनिक अभिभावक, मित्र और परिवार के सदस्य के रूप में नजर आते हैं। बिना नागा 2070 दिनों से वे रोजाना लिख रहे हैं। वर्चुअल दुनिया के पाठकों के लिए उन्होंने नया शब्द गढ़ा है -एक्सटेंटेड फैमिली (विस्तारित परिवार)। इस परिवार को अभी वे खुद के निकट पाते हैं। यह परिवार भी उन्हें अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानता है। ट्विटर  (74 लाख से अधिक),फेसबुक (76 लाख से अधिक) और ब्लॉग (76 लाख से अधिक) मिलाकर उनके विस्तारित परिवार की संख्या 2 करोड़ से ज्यादा है। अनुशासन, समर्पण और नियमितता से उन