फिल्म समीक्षा : बेबी
समझदार और रोमांचक -अजय ब्रह्मात्मज स्टार: चार लंबे समय के बाद... जी हां, लंबे समय के बाद एक ऐसी फिल्म आई है, जो हिंदी फिल्मों के ढांचे में रहते हुए स्वस्थ मनोरंजन करती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में रहस्य और रोमांच है। अच्छी बात है कि इसमें इन दिनों के प्रचलित मनोरंजक उपादानों का सहारा नहीं लिया गया है। 'बेबी' अपने कथ्य और चित्रण से बांधे रखती है। निर्देशक ने दृश्यों का अपेक्षित गति दी है, जिससे उत्सुकता बनी रहती है। 'बेबी' आतंकवाद की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म है। ऐसी फिल्मों में देशभक्ति के जोश में अंधराष्ट्रवाद का खतरा रहता है। नीरज पांडे ऐसी भूल नहीं करते। यह वैसे जांबाज अधिकारियों की कहानी है, जिनके लिए यह कार्य किसी कांफ्रेंस में शामिल होने की तरह है। फिल्म के नायक अजय (अक्षय कुमार) और उनकी पत्नी के बीच के संवादों में इस कांफ्रेंस का बार-बार जिक्र आता है। पत्नी जानती है कि उसका पति देशहित में किसी मिशन पर है। उसकी एक ही ख्वाहिश और इल्तजा है कि 'बस मरना मत'। यह देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का आतुर ऐसे वीरों की कहानी है, जो देश के लिए ज