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भूल भुलैया :फिल्म की प्रस्तुति में कंफ्यूजन

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-अजय ब्रह्मात्मज सबसे पहले तो भूलभुलैया को दो शब्द भूल भुलैया बना देने का सवाल है। इसका जवाब कोई नहीं देता। न निर्माता, न निर्देशक और न फिल्म के कलाकार। जैसे कि संजय लीला भंसाली की फिल्म सांवरिया को अंग्रेजी में सावरिया लिखा जा रहा है। क्यों? किसी को नहीं मालूम। भूलभुलैया प्रियदर्शन की फिल्म है। हिंदी में पिछले कुछ समय से आ रही उनकी कॉमेडी फिल्मों के कारण यह इंप्रेशन बनता है कि हम कॉमेडी फिल्म देखने आए हैं। फिल्म की शुरुआत से भी लगता है कि हम कॉमेडी फिल्म ही देखेंगे, लेकिन बाद में हॉरर का समावेश होता है। फिल्म का प्रचार और इसका लोकप्रिय गाना हरे कृष्णा हरे राम कुछ अलग तरह से आकर्षित करते हैं और फिल्म पर्दे पर कुछ और दिखती है। इस फिल्म की प्रस्तुति में कंफ्यूजन है। बनारस के घाटों के आरंभिक दृश्य आते हैं और पुरबिया मिश्रित हिंदी के संवाद से लगता है कि यह बनारस के आसपास की फिल्म होगी, लेकिन महल और वेशभूषा में राजस्थानी टच है। एक तरफ लैपटाप और मोबाइल का इस्तेमाल हो रहा है। दूसरी तरफ, चौथे-पांचवें दशक की मोटरकार दिखाई जा रही है। अब कहां ऐसे पंडित-पुजारी दिखते हैं, जिनकी चुटिया आकाश की तरफ ख