Posts

Showing posts with the label ओम पुरी

फिल्‍म समीक्षा : अ डेथ इन द गंज

Image
फिल्‍म रिव्‍यू अ डेथ इन द गंज -अजय ब्रह्मात्‍मज कोंकणा सेन शर्मा निर्देशित ‘ अ डेथ इन द गंज ’ बांग्‍ला फिल्‍मों की परिपाटी की हिंदी फिल्‍म है। इन दिनों बंगाल और देश के दूसरे हिस्‍सों से आए अनेक बांग्‍ला फिल्‍मकार हिंदी में फिल्‍में बना रहे हैं। पुराने बांग्‍ला फिल्‍मकारों की तरह वे बंगाल की पष्‍ठभूमि तो रखते हैं,लेकिन संस्‍कृति और संवेदना के लिहाज से उनमें बांग्‍ला टच नहीं रहता। ज्‍यादातर फिल्‍में उस शहरीकरण की शिकार होती है,जिसके तहत देश भर के दर्शकों का खुश करने की कोशिश रहती है। कोकणा सेन शर्मा की फिल्‍म में ऐसी कोशिश नहीं है। उनकी फिल्‍म बांग्‍ला के मशहूर फिल्‍मकारों की परंपरा में हैं। इस फिल्‍म के लिए कोंकणा सेन शर्मा ने अपने पिता मुकुल शर्मा की कहानी को आधार बनाया है। रांची के पास स्थित मैक्‍लुस्‍कीगंज में फिलम का परिवेश है और यह साल 1979 की बात है। कोकणा सेन शर्मा और उनकी टीम ने बहुत खूबसूरती से ततकालीन माहौल को पर्देपर रचा है। भाषा,परिवेश,परिधान और आचार-व्‍यवहार में पीरियड का यथोचित ध्‍यान रखा गया है। हां,भाषा को लेकर आम दर्शकों को दिक्‍कत हो सकती है,क्‍योंकि

फ‍िल्‍म समीक्षा : खाप

Image
ऑनर किलिंग का मुद्दा -अजय ब्रह्मात्‍मज पिछले कुछ समय से खबरों में आए खाप और ऑनर किलिंग के विषय पर अजय सिन्हा की खाप जरूरी मुद्दे का छूती है। उत्तर भारत के कुछ इलाकों में प्रचलित खाप व्यवस्था में जारी पुराने रीति-रिवाज को निशाना बनाती पर फिल्म बखूबी स्थापित करती है कि ऑनर किलिंग के नाम पर चल रहा अत्याचार एक जुर्म है। खाप की समस्या है कि कथ्य की आरंभिक सघनता बाद में बरकरार नहीं रहती। गांव से शहर आने के बाद कहानी की तीव्रता कम होती है। और मुद्दा हल्का हो जाता है। अजय सिन्हा ने सिर्फ सगोत्र विवाह को ऑनर किंलिंग की वजह बताया है, जबकि ऑनर किलिंग ज्यादा बड़ी समस्या है। इसमें अमीर-गरीब, जातियों और धर्मो की भिन्नता आदि भी शामिल हैं। खाप पंचायतों के पक्ष में कही गई बातों से ऐसा लगता है कि निर्देशक संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। फिल्म का कथ्य यहीं कमजोर पड़ जाता है। सामाजिक विसंगति पर आरंभ हुई फिल्म साधारण इमोशनल ड्रामे में बदल जाती है। खाप मुख्य रूप से सहयोगी कलाकारों के दम पर टिकी है। ओम पुरी, गोविंद नामदेव और मनोज पाहवा ने अपने किरदारों को अच्छी तरह निभाया है। खास कर मनोज पाहवा