जब बोकारो में ग़दर देखने के लिए मची थी ग़दर -अनुप्रिया वर्मा
अनुप्रिया वर्मा का यह संस्मरण उनके ब्नॉग अनुक्ष्शन से उठा लिया गया है। उनका पचिय है ' परफेक्टनेस का अब तक "पी" भी नहीं आया, पर फिर भी ताउम्र पत्रकारिता की "पी" के साथ ही जीना चाहती हूं। अखबारों में लगातार घटते स्पेस और शब्दों व भावनाओं के बढ़ते स्पेस के कारण दिल में न जाने कहां से स्पार्क आया.और अनुख्यान के रूप में अंतत: मैंने भी ब्लॉग का बल्ब जलाया.उनसे priyaanant62@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं। बोकारो के लिए ग़दर ही थी १०० करोड़ क्लब की फिल्म बोकारो का महा ब्लॉक बस्टर ग़दर .... वर्ष २००१ में रिलीज हुई थी फिल्म ग़दर.बोकारो में एक तरफ देवी सिनेमा हॉल में लगान लगी थी. दूसरी तरफ जीतेन्द्र में ग़दर. मैं, माँ- पापा. सिन्हा आंटी, चाची. सभी साथ में गए थे. मैं शुरुआती दौर से ही इस लिहाज से लकी रही हूँ कि मेरे ममी पापा दोनों ही सिनेमा थेयेटर में फिल्म देखने और हमें दिखाने के शौक़ीन थे. सो, हम सारी नयी फिल्में हॉल में ही देखते थे. कई बार तो हमने फर्स्ट डे फर्स्ट शो में भी फिल्में देखी हैं. लेकिन ज्यादातर वीकेंड जो बोकारो के लिए इतवार यान