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हिन्दी टाकीज:बार-बार याद आते हैं वे दिन-आनंद भारती

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हिन्दी टाकीज-३४ पत्रकारों और लेखों के बीच सुपरिचित आनंद भारती ने चवन्नी का आग्रह स्वीकार किया.उन्होंने पूरे मनोयोग से यह संस्मरण लिखा है,जिसमें उनका जीवन भी आया है.हिन्दी टाकीज के सन्दर्भ में वे अपने बारे में लिखते हैं...बिहार के एक अविकसित गांव चोरहली (खगड़िया) में जन्‍म। यह गांव आज भी बिजली, पक्‍की सड़क की पहुंच से दूर है। गांव भी नहीं रहा, कोसी नदी के गर्भ में समा गया। बचपन से ही यायावरी प्रवृत्ति का था। जैसे पढ़ाई के लिए इस ठाम से उस ठाम भागते रहे,उसी तरह नौकरी में भी शहरों को लांघते रहे। हर मुश्किल दिनों में फिल्‍मों ने साथ निभाया, जीने की ताकत दी। कल्‍पना करने के गुर सिखाए और सृजन की वास्‍तविकता भी बताई। फिल्‍मों का जो नशा पहले था, आज भी है। मुंबई आया भी इसीलिए कि फिल्‍मों को ही कैरियर बनाना है, यह अलग बात है कि धक्‍के बहुत खाने पड़ रहे हैं। अगर कहूं कि जिस जिस पे भरोसा था वही साथ नहीं दे रहे, तो गलत नहीं होगा। फिर भी संकल्‍प और सपने जीवित हैं। जागते रहो का राज कपूर, गाईड का देव आनंद प्‍यासा का गुरुदत्‍त, आनंद का राजेश खन्‍ना और अमिताभ बच्‍चन,तीसरी कसम के निर्माता शैलेंद्र, अंकु