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संगीतपूर्ण एकपात्रीय नाटकों में दक्ष शेखर सेन

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-अजय ब्रह्मात्मज  शेखर सेन को हाल ही में राष्‍ट्रीय सम्‍मान और पद से सुशोभित किया गया। एक हफ्ते के अंदर उन्‍हें पद्मश्री सम्‍मान के साथ संगीत नाटक अकादेमी के अध्‍यक्ष पद के लिए भी चुना गया। संगीत और संस्‍कृति में निष्‍णात शेखर सेन खुद के लिए नई राह चुनी। वर्षों के प्रदर्शन और अभ्‍यास से वे इस विधा में दक्ष और पारंगत हो चुके हैं। उम्‍मीद है कि नई जिम्‍मेदारियों के तहत वे अपनी साधना के साथ अन्‍य साधकों के लिए भी सहायक होंगे। वे अलग हैं। वे गायक हैं और अभिनेता भी हैं। संगीत की उन्हें अच्छी समझ है। उन्होंने अपनी एकपत्रीय नाट्य प्रस्तुतियों में गायन,संगीत और अभिनय का रोचक मिश्रण किया है। तुलसी,कबीर,विवेकानंद,साहेब,सन्मति और सूरदास उनके एकपत्रीय नाटक हैं। पिछले 16 सालों में उन्होंने अभी तक 846 बार इन नाटकों का देश-विदेश में मंचन किया है। 1998 से आरंभ यह यात्रा अबाध गति से चलती जा रही है। इस बीच उन्हें अनेक भावनात्मक,आर्थिक और अन्य झंझावातों से भी गुजरना पड़ा,लेकिन प्रदर्शन का प्रवाह कभी नहीं ठिठका। गायन,संगीत और अभिनय की इस अनोखी प्रतिभा के धनी कलाकार का नाम है शेखर सेन। रापुर के अरु