सैटेलाइट राइट से मिल रहे हैं पैसे
-अजय ब्रह्मात्मज कुछ साल पहले तक फिल्मों के संगीत का बाजार चढ़ा हुआ था। म्यूजिक कंपनियां फिल्मों के म्यूजिक राइट के लिए अधिकाधिक रकम दे रही थीं। याद होगा कि सिर्फ म्यूजिक के आधार पर ही आशिकी जैसी फिल्म बनी थी और टी सीरीज फिल्म निर्माण में उतर आया था। बाद में तो सभी म्यूजिक कंपनियों ने फिल्म निर्माण में कदम रखा। उन्हें लगता था कि म्यूजिक राइट के लिए मोटी रकम दे ही रहे हैं तो कुछ और रुपए लगा कर निर्माता ही बन जाएं। धीरे-धीरे फिल्मों में म्यूजिक का असर कम हुआ। दरअसल, फिल्मों का बाजार हमेशा बदलता रहता है। उसी के आधार पर उसका निवेश और व्यापार भी बदलता है। पिछले कुछ सालों में फिल्मों के सैटेलाइट राइट से निर्माताओं को मोटी रकम मिलने लगी है। इसकी शुरुआत जब वी मेट और गजनी जैसी फिल्मों से हुई। कलर्स चैनल नया-नया आया था। उसने जब वी मेट के सैटेलाइट राइट लेने के बाद उसका लगातार प्रसारण किया। पॉपुलर फिल्म को घरों में देखने के लिए दर्शक लौटे और फिल्म ट्रेड का एक नया ट्रेंड विकसित हुआ। गजनी के सैटेलाइट राइट की ऊंची कीमत ने सभी को चौंका दिया था। पिछले साल प्रकाश झा की राजनीति का सैटेलाइट राइट 25 करोड़