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फिल्‍म समीक्षा : खिलाड़ी 786

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  एक्शन से हंसाता -अजय ब्रह्मात्‍मज सलमान खान की तरह अक्षय कुमार ने भी मनोरंजन का मसाला और फार्मूला पा लिया है। लग सकता है कि वे सलमान खान की नकल कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि अभी हर स्टार और डायरेक्टर एक-दूसरे की नकल से कामयाबी हासिल करने की जल्दबाजी में हैं। इस दौर में मुख्यधारा की फिल्मों में मौलिकता की चाह रखेंगे तो थिएटर के बाहर ही रहना होगा। आशीष आर. मोहन की 'खिलाड़ी 786' की प्रस्तुति में हाल-फिलहाल में सफल रही मसाला फिल्मों का सीधा प्रभाव है। जैसे कोई पॉपुलर लतीफा हर किसी के मुंह से मजेदार लगता है, वैसे ही हर निर्देशक की ऐसी फिल्में मनोरंजक लगती हैं। 'खिलाड़ी 786' का लेखन हिमेश रेशमिया ने किया है। वे इसके निर्माताओं में से एक हैं। सेकेंड लीड में वे मनसुख भाई के रूप में भी दिखाई पड़ते हैं। पिछली कुछ फिल्मों में दर्शकों द्वारा नापसंद किए जाने के बाद पर्दे पर आने का उन्होंने नया पैंतरा अपनाया है। फिल्म के प्रचार में दावा किया गया कि यह अक्षय कुमार की 'खिलाड़ी' सीरिज की फिल्म है, लेकिन यह दावा फिल्म के टायटल और एक संवाद तक ही सीमित है। '

फिल्‍म समीक्षा : हाउसफुल 2

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-अजय ब्रह्मात्‍मज कामेडी में आयटम का पैबंद सलीम की गली छोड़-छाड़ कर अनारकली डिस्को जाते हुए जब कम कपड़ों में अपने अंगों को झटके देती है तो पर्दे पर जग्गा डाकू और पुलिस अधिकारी बटुक पटेल भी नाचने को मजबूर हो जाते हैं। अगले दिन अनारकली उनकी बीवियों सरला और हेतल के नाम से उन्हें रिझाती है और उनके बीच फूट डालती है। पूरा गीत और प्रसंग फिल्म में पैबंद की तरह जोड़ा गया है। कैमरे की नजर से यह दर्शकों को थोड़ी देर की उत्तेजना देता है, लेकिन फिल्म के मूल प्रवाह को रोकता भी है। साजिद खान की फिल्मों में कहीं न कहीं बुजुर्गो की दमित सेक्स फैंटेसी भी जाहिर होती रहती है। दर्शकों को बहलाने का यह फूहड़ तरीका है। साजिद खान की फिल्में देखते समय तर्क और विवेक दोनों के परे जाना होता है। उनकी सभी फिल्मों में लतीफों का सिलसिला रहता है। उन लतीफों को केंद्र में रख कर दृश्य लिखे जाते हैं। एक माहौल सा बन जाता है। हमें किरदारों की बेवकूफ हरकतों पर हंसी आने लगती है। हाउसफुल-2 में साजिद खान ने 12 मुख्य कलाकार रखे हैं। दृश्यों को जोड़ने और बढ़ाने का काम सनी (अक्षय कुमार) करता है, इसलिए उसे हीरो मान सक