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सिनेमलोक : एक फिल्म भी लिखी थी प्रेमचंद ने

  सिनेमलोक एक फिल्म भी लिखी थी प्रेमचंद ने -अजय ब्रह्मात्मज पिछले महीने 21 जुलाई को प्रेमचंद का 140 वां जन्मदिन बीता. हिंदी के लब्धप्रतिष्ठित कथा शिल्पी प्रेमचंद को हम सभी ने माध्यमिक और उच्च विद्यालय के पाठ्यक्रमों में पढ़ा है. साहित्य में रुचि रखने वालों के लिए प्रेमचंद प्रथम पाठ होते हैं.वे अपनी मृत्यु के 84 सालों बाद भी प्रासंगिक बने हुए हैं. उत्तर भारतीय समाज को अंतर्विरोधोंको उन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों में संचित कर लिया है. उनके कथादृष्टि किसी मशाल की तरह समाज के अंधेरे-उजाले को रोशन करती है. हिंदी सिनेमा के ताल्लुक से भी प्रेमचंद की चर्चा चलती है. उनकी कहानियों और उपन्यासों पर फिल्में बनती रही है.सत्यजित राय ने भी दो फ़िल्में निर्देशित कीं. उनके साहित्य पर बनी फिल्मों में से कई फिल्में बेहद चर्चित हुईं और कुछ समय के साथ भुला दी गईं. प्रेमचंद के पाठक और प्रशंसक जानते हैं कि प्रेमचंद मुंबई आए थे. उन्होंने एक फिल्म लिखी थी और निराश होकर यहां से बनारस लौट गए थे. लौटने के बाद उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर ‘सिनेमा और साहित्य’ लेख लिखा था. इसके अलावा जैनेंद्र कुमार और अ