DDLJ रोमैंटिंक प्रेम का नया आख्यान
-जगदीश्वर चतुर्वेदी यह एकदम नए परिप्रेक्ष्य की फिल्म थी। यह ऐसे समय में आयी थी जब चारों ओर से रोमैंटिक प्रेम पर तरह-तरह के हमले हो रहे थे,रोमैंटिक प्रेम का समाज में एक सांस्थानिक स्थान है। गे और लेस्बियन से लेकर फंडामेंटलिस्टों तक, कठमुल्ले वामपंथियों से लेकर कठमुल्ला स्त्रीवादिनियों तक सबमें रौमेंटिंक प्रेम के प्रति घृणा देखी जा सकती है। ये सभी रोमैंटिक प्रेम को आए दिन निशाना बनाते हैं। 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' इस अर्थ में नए पैराडाइम की फिल्म है क्योंकि इसमें रोमैंटिक प्रेम का संस्थान के रूप में रूपायन किया गया है। उसकी सफलता का रहस्य भी यही है। हमारे समाज में स्त्रीवादी आंदोलन ने भी रोमैंटिक प्रेम पर हमले किए हैं। जगह-जगह अनेक महिला संगठनों का इस प्रसंग में हस्तक्षेप देखने में आया है। स्त्रीवादी संगठनों का मानना है रोमैंटिक प्रेम स्त्री की स्वायत्तता को छीन लेता है। उसे परनिर्भर बना देता है। रोमैटिंक प्रेम का चित्रण करते हुए फिल्म के प्रमुख स्त्री पात्र कुछ इस तरह दिखाए गए हैं कि वे स्त्री की शिरकत को बढावा देते