फिल्म रिव्यू : मेरे डैड की मारुति
-अजय ब्रह्मात्मज यशराज फिल्म्स युवा दर्शकों को ध्यान में रख कर कुछ फिल्में बनाती है। 'मेरे डैड की मारूति' इसी बैनर वाय फिल्म्स की फिल्म है। चंडीगढ़ में एक पंजाबी परिवार में शादी की पृष्ठभूमि में गढ़ी यह फिल्म वहां के युवक-युवतियों के साथ बाप-बेटे के रिश्ते, दोस्ती और निस्संदेह मोहब्बत की भी कहानी कहती है। फिल्म में पंजाबी संवाद और पंजाबी गीत-संगीत की बहुलता है। इसे हिंदी में बनी पंजाबी फिल्म कह सकते हैं। पंजाब का रंग-ढंग अच्छी तरह उभर कर आया है। ऐसी फिल्में क्षेत्र विशेष के दर्शकों का भरपूर मनोरंजन कर सकती हैं। भविष्य में हिंदी में इस तरह की क्षेत्रीय फिल्में बढ़ेंगी, जो बिहार, राजस्थान, हिमाचल की विशेषताओं के साथ वहां के दर्शकों का मनोरंजन करें। तेजिन्दर (राम कपूर) और समीर (साकिब सलीम) बाप-बेटे हैं। अपने बेटे की करतूतों से हर दम चिढ़े रहने वाले तेजिन्दर समीर को किसी काम का नहीं समझते। समीर अपने जिगरी दोस्त गट्टू के सथ शहर और यूनिवर्सिटी में मंडराता रहता है। अचानक एक लड़की उसे पसंद करती है और डेट का मौका देती है। डेट पर जाने के लिए समीर अनुमति लिए बगैर अपने