दरअसल : पुसान इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल


-अजय ब्रह्मात्‍मज
    पिछले हफ्ते मीडिया में खबरें आईं कि हंसल मेहता की अलीगढ़,मोजेज सिंह की जुबान और कबीर खान की बजरंगी भाईजान दक्षिण कोरिया के पुसान इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल में शामिल हो रही हैं। आदतन मीडिया ने अपने आलस्‍य में यह जानने की कोशिश नहीं की कि वहां और कौन सी फिल्‍में जा रही हैं। प्राप्‍त सूचनाओं के मुताबिक भारत से दस से अधिक फिल्‍में वहां जा रही हैं,जिनमें सत्‍यजित राय,मणि रत्‍नम से लेकर नीरज घेवन और मोजेज सिंह तक की फिल्‍में शामिल हैं। पुसान के 20वें फेस्टिवल की ओपनिंग फिल्‍म जुबान भी भारत से है। निर्माता गुनीत मोंगा के लिए इसका निर्देशन मोजेज सिंह ने किया है। इसमें मुख्‍य भूमिकाएं विकी कौशल और सारा जेन डायस ने निभाई हैं।
     पूर्व एशिया के देशों के शहरों और व्‍यक्तियों के नामों के उच्‍चारण और हिंदी वर्त्‍तनी को लेकर समस्‍याएं रही हैं। अब तकनीकी सुविधा से सभी नामों के सही उच्‍चारण जान लेने की आसानी के बावजूद कोई मेहनत नहीं करता। अंग्रेजी अक्षरों के नाम पर हिंदी में इसे बुसान लिखा जा रहा है। कोरियाई उच्‍चारण के अनुसार इसे हिंदी में पुसान लिखा जाना चाहिए। कोरिया में निवास कर रहे और कोरियाई भाषा के जानकार मित्र सत्‍य प्रकाश ने स्‍पष्‍ट बताया कि इसका वास्‍तविक उच्‍चरण प आफर फ के बीच का है। ध्‍वनि प के ज्‍यादा करीब है,इसलिए पुसान लिखना ही उचित रहेगा। पुसान इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल का यह 20वां साल है। दक्षिण कोरिया के दूसरे महत्‍वपूर्ण शहर के रूप में विख्‍यात पुसान ने पिछले 5 सालों में पहचान और शोहरत हासिल की है। दुनिया भर के फिल्‍मकार यहां पहुंच रहे हैं। पहाड़ों और समुद्रतटों से घिरा यह शहर सी फूड के लिए विख्‍यात है। दक्षिण कोरिया के इस शहर का विजन है टैलेंट,टेक्‍नोलॉजी और कल्‍चर। हालांकि दषिण कोरिया की राजधानी सोल है,लेकिन पुसान कल्‍चरल कैपिटल के रूप में जाना जाता है। 
       खुशी की बात है कि इस साल अनुराग कश्‍यप वहां एक खंड के निर्णायक मंडल में हैं। अनुराग इसके पहले वेनिस,सनडांस और मारकेस इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल की ज्‍यूरी में रह चुके हैं। भारत में मीडिया अभी तक बांबे वेलवेट को लेकर उनकी आलोचना करने से बाज नहीं आता। मीडिया के निशाने पर रहते हैं अनुराग कश्‍यप। इसके पीछे कुछ निहित कारण हैं। ऐसा क्‍यों होता है कि हम अपनी प्रतिभाओं का सम्‍यक मूल्‍यांकन नहीं कर पाते। तुच्‍छ अपेक्षाओं से उनके बारे में राय बनाते और फैलाते रहते हैं। हम जब इन प्रतिभाओं को खंडित कर रहे होते हैं,तभी विदेशों में उनकी सराहना हो रही होती है। उनके वस्‍तुगत मूल्‍यांकन के आधार पर उन्‍हें पुरस्‍कृत और सम्‍मानित किया जा रहा होता है।        
         बहरहाल,  इस साल फेस्टिवल 75 देशों की 304 फिल्‍में प्रदर्शित होंगी। पुसान के 6 मल्‍टीप्‍लेक्‍स के 35 स्‍क्रीन इन फिल्‍मों के लिए रिजर्व किए गए हैं। पुसान कोशिश कर रहा है कि वह एशियाई फिल्‍मों की अलग पहचान को रेखांकित कर सके। इसके तहत 100 एशियाई फिल्‍मों की एक सूची तैयार की गई है। इस सूची के टॉप टेन में सत्‍यजित राय की अपराजितो भी है। अ विंडो टू एशियन सिनेमा खंड में एशिया की फिल्‍में दिखाई जाएंगी। इसमें भारत के हंसल मेहता,मेघना गुलजार,बिजू विश्‍वनाथ और सुमन घोष आदि फिल्‍मकारों की फिल्‍में चुनी गई हैं। शॉर्ट फिल्‍मों के खंड में भी भारत के फिल्‍मकार हिस्‍सा ले रहे हैं।
    एशिया में हांगकांग,पेइचिंग और पुसान इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल ने फिल्‍मप्रेमियों और फिल्‍मकारों का ध्‍यान खींचा है। हम भारतवासी कान,वेनिस,बर्लिन,टोरंटो आदि फेस्टिवल अच्‍छी तरह परिचित हैं। अफसोस की बात है कि हम एकशयाई देशों के फिल्‍म फेस्टिवल को अधिक तवज्‍जो नहीं देते। इस संदर्भ में पुसान इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल की एशियाई सिनेमा को रेखांकित और परिभाषित करने की केाशिश सराहनीय है। भारत में इफ्फी और मामी ने भी पहचान बनाई है। जागरण फिल्‍म फेस्टिवल जैसे अनोखे प्रयास भी हो रहे हैं।    तकलीफ तब होती है जब भारतीय प्रतिभाएं देशी आयोजनों को नजरअंदाज करती हैं और विदेशों के फिल्‍म फेस्टिवल के लिए लालायित रहती हैं। उन्‍हें देशी दर्शकों के लिए भारत में विभिन्‍न स्‍तरों पर हो रहे फिल्‍म फेस्टिवलों में अपनी शिरकत बढ़ानी चाहिए।

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