प्रोड्यूसर आमिर खान काफी एक्टिव हो गए हैं

मैं जाने तू ... का पहला निर्माता नहीं हूं। इसे पहले जामू सुगंध बना रहे थे। मुझे मालूम था कि इमरान अब्बास की फिल्म कर रहे हैं। उस समय मैंने इमरान से केवल इतना ही पूछा था कि क्या आपको अब्बास और फिल्म की कहानी पसंद है? उन्होंने हां कहा तो मैंने कहा कि जरूर करो। उस वक्त जामू सुगंध आर्थिक संकट से गुजर रहे थे। उन्होंने तीन फिल्में की घोषणा की थी। दो की शूटिंग भी आरंभ हो गई थी, लेकिन वे उन्हें बना नहीं पाए। जाने तू ... अभी शुरू नहीं हुई थी। तब अब्बास मेरे पास प्रोजेक्ट लेकर आए और पूछा कि क्या आप इसे प्रोडयूस करना चाहेंगे। मैंने कहानी सुनी तो कहानी अच्छी लगी। तब तक अब्बास फिल्म के चार गाने रहमान के साथ रिकॉर्ड कर चुके थे। वे गाने भी मुझे पसंद आए। फिर मैंने अब्बास से कहा कि पांच-छह सीन शूट कर के दिखाओ। उन्होंने कुछ सीन शूट किए। वे भी मुझे पसंद आए। मुझे विश्वास हुआ कि अब्बास फिल्म कर पाएंगे। फिर मैंने इमरान का स्क्रीन टेस्ट देखा। हर तरह से संतुष्ट हो जाने पर मैंने फिल्म प्रोडयूस करने का फैसला किया। जाने तू ... बनाने का मेरा फैसला पूरी तरह से गैरभावनात्मक था। ऐसा नहीं था कि इमरान के लिए फिल्म बनानी है तो फिल्म ढूंढने चलें। यह अपने आप हो गया। एक तरह से इमरान ने अपनी फिल्म खुद खोजी। मैं बाद में शामिल हो गया।
फिर भी जाने तू ... के निर्माण के फैसले के समय इमरान के भांजे होने की वजह तो काम कर रही होगी?
निर्माता के तौर पर मैं थोड़ा अलग ढंग से सोचता हूं। और मेरी पहली जिम्मेदारी दर्शकों के साथ है। अगर मुझे कहानी पसंद नहीं आती या इमरान इस फिल्म में नहीं जंचते तो मैं इमरान को नहीं लेता। सबसे पहले तो कहानी पसंद आना जरूरी है।
आमिर खान को किसी प्रोजेक्ट के लिए राजी कर पाना आसान काम नहीं है। जाहिर सी बात है कि उनकी सहमति से बनी फिल्म में खोट निकालना मुश्किल काम होगा?
ऐसा नहीं है कि मैं जो भी फिल्म बनाऊंगा, वह कामयाब ही होगी। मेरी कोशिश रहती है कि अपनी तरफ से कोई कसर न छोडं़ू। फिर फिल्म बनती है और कामयाब होती है तो वह अलग बात है।
फिल्म चुनते समय कोई और नजरिया रहा या आमिर ने अपनी पसंद के मुताबिक ही फिल्म चुनी?
फिल्म चुनते समय मैं कहानी को एक दर्शक के तौर पर सुनता हूं। उस समय मेरे दिमाग में यह नहीं रहता कि मैं फिल्म कर रहा हूं या नहीं कर रहा हूं। कोई प्रोजेक्ट लेकर आता है तो मैं यह नहीं पूछता कि आप मुझे कौन सा रोल देने वाले हैं। रंग दे बसंती की मैंने कहानी सुनी थी। फरहान की फिल्म दिल चाहता है की मैंने कहानी सुनने के बाद पूछा था कि कौन सा रोल मेरे लिए सोचा है। उन्होंने सिड सोचा था, जो आखिरकार अक्षय खन्ना ने किया। मैंने तब कहा था कि मुझे आकाश ज्यादा पसंद है। कई दफा ऐसा भी हुआ है कि मैंने कहानी सुनी है। कहानी पसंद आई है, लेकिन मुझे अपना रोल पसंद नहीं आया। तब मैंने डायरेक्टर से कहा कि आप बनाइए, लेकिन मुझे लेकर मत बनाइए।
अब्बास और इमरान की बातचीत से ऐसा लगता है कि यह फिल्म सामान्य लव स्टोरी है, जो रियलिस्टिक अंदाज में शूट की गई है। आपके नजरिये से इस में और क्या खास बात है?
कहानी सुनते समय मैं इस पर ध्यान देता हूं कि कहानी कैसे कही जा रही है। रंग दे बसंती जब मैंने की थी, उस वक्त भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद पर चार फिल्में आ चुकी थीं। ऐसा नहीं था कि उनकी कहानी में हम कुछ बदल देते। हर निर्देशक के बोलने का अंदाज अलग होता है। जाने तू ... की कहानी सुनते समय लगा कि अब्बास ने ताजा कहानी लिखी है। कैरेक्टर और संवाद अच्छे हैं। फिल्म आपको नयी लगेगी। इसमें कुछ अलग बात है। सामान्य तौर पर लव स्टोरी में माता-पिता खिलाफ रहते हैं। इस फिल्म में वैसी कोई बात नहीं है। किसी और की खिलाफत है। मुझे यह एंटरटेनिंग लगी। फिल्म दिल को छूती है। इसमें पहले की फिल्मों जैसा मैलोड्रामा नहीं है। जिंदगी की सहज सच्चाइयां फिल्म के जरिए सामने आती है।
इमरान को एक्टर के तौर पर कैसे आंकते हैं आप?
उसमें संभावनाएं हैं। वह अच्छा है। अभी उसे सीखने की जरूरत है। वह आगे जाएगा।
ऐसा लग रहा है कि प्रोडयूसर आमिर खान काफी एक्टिव हो गए हैं?
कोशिश कर रहा हूं। मैं प्रोडयूस तो तारे जमीन पर ही कर रहा था। इत्तफाक से अब्बास टायरवाला की जाने तू ... आई। ये अच्छी लगी तो मैंने कहा कि चलो इसे भी बना लेता हूं। सौभाग्य से मेरी प्रोडक्शन टीम बहुत अच्छी है। चूंकि बाद में मैं तारे जमीन पर डायरेक्ट करने लगा तो मुझे एहसास हुआ कि जाने तू.. के लिए प्रोड्यूसर की जिम्मेदारी सही तरीके नहीं निभा पाऊंगा। डायरेक्ट करते समय मैं कुछ और नहीं कर सकता। पहले सोचा कि जाने तू.. .बाद में करता हूं, लेकिन वह फैसला सही नहीं लगा। फिर मैंने मंसूर खान से कहा कि आप आकर मेरी जिम्मेदारी संभाल लो। मंसूर मान गए। उसके बाद दो और स्क्रिप्ट आई। अभिनव देव की दिल्ली बेली और अनुषा रिजवी की लिखी फिल्म, जिसे वही डायरेक्ट भी करेंगी। इन दोनों के लिए हां कह दिया है।
लोग तो जानना चाह रहे हैं कि किरण की फिल्म कब शुरू हो रही है?
किरण ने अपनी कंपनी शुरू कर दी है। उन्होंने एक स्क्रिप्ट लिखी है, जिसे वह खुद डायरेक्ट करेंगी। मुझे वह फिल्म पसंद आई है।
तो क्या उसमें आमिर हैं?
अभी मैं नहीं हूं। अगर किरण चाहेंगी तो मुझे खुशी होगी। वैसे किरण का नजरिया है कि उन्हें छोटी फिल्म बनानी है। मैंने सबकुछ किरण के ऊपर छोड़ दिया है। वह गुरिल्ला टाइप फिल्म बनाएंगी। 18-20 लोग ही प्रोडक्शन टीम में रहेंगे। दो-तीन महीनों में फिल्म की शूटिंग आरंभ हो जाएगी। उनकी कंपनी का नाम सिनेमा-73 है। उस साल किरण पैदा हुई थीं शायद..
राजकुमार हिरानी की फिल्म कब शुरू कर रहे हैं?
इस फिल्म की शूटिंग पहले शुरू हो जाएगी, लेकिन मैं एक नवंबर से इसमें शामिल होऊंगा।
अब्बास ने बताया कि आप सेट पर बिल्कुल नहीं गए?
उसकी वजह यह रही कि हमलोग तारे जमीन पर और जाने तू.. साथ-साथ शूट कर रहे थे। और फिर मंसूर सेट पर थे ही, इसलिए जरूरत नहीं थी कि मैं सेट पर जाऊं।
ऐसा देखा गया है कि मशहूर डायरेक्टर और एक्टर प्रोडक्शन में आने के बाद नए डायरेक्टरों को अवसर देने के बावजूद उनसे अपनी शैली की ही फिल्में बनवाते हैं या अपनी सोच से उन्हें प्रभावित करते हैं। आप का क्या रवैया रहा?
मैं इस तरह से नहीं सोचता। अगर मैं किसी नए डायरेक्टर या किसी और के साथ काम कर रहा हूं तो जाहिर सी बात है कि उसकी काबिलियत पर मुझे भरोसा है। वह कुछ कहना चाह रहा है, जो मुझे भी पसंद है। अब जो चीज मुझे पसंद आ चुकी है, उसे तोड़ने-मरोड़ने की जरूरत ही नहीं है। मैंने एक्टर के तौर पर भी कभी किसी के काम में हस्तक्षेप नहीं किया। हां, अगर मुझे लगेगा कि काम मुझे पसंद नहीं आ रहा है तो उसे बिल्कुल छोड़ दूंगा या फिर अपने हाथ में ले लूंगा। तारे जमीन पर के समय मुझे लगा कि फिल्म अच्छी नहीं बन पा रही है तो मैंने डायरेक्शन संभाल लिया।
नासिर साहब ने आपको लेकर फिल्म बनाई थी। आपने उनके नाती इमरान के साथ फिल्म बनाई। लगता है कि एक चक्र पूरा हो गया?
हां, बगैर किसी योजना के यह चक्र पूरा हो गया। और अगर आज नासिर साहब होते तो बहुत खुश होते।

Comments

Udan Tashtari said…
अच्छा रहा आमिर खान के विषय में यह जानकारी उन्हीं की जुबानी. आभार.
rakhshanda said…
अच्छी लगी जानकारी...
It is not proudiness, it is a part of activities which follows success in a natural way.

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