डायरेक्टर की हीरोइन हूं मैं : करीना


पिछले साल 26 नवंबर को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के समय करीना कपूर अमेरिका के फिलाडेल्फिया में कुर्बान की शूटिंग कर रही थीं। आतंकवाद के बैकग्राउंड पर बनी यह फिल्म पिछले दिनों रिलीज हुई। इसमें उन्होंने अवंतिका की भूमिका निभाई है। करीना मानती हैं, टेररिज्म अभी दुनिया की बड़ी समस्या है और इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। करीना आगे कहती हैं, यह सोच बिल्कुल गलत है कि हर मुसलमान टेररिस्ट है। हम सभी इंसान हैं। हम सभी शांति चाहते हैं। हमारी सरकार हर तरह की सावधानी बरत रही है, लेकिन हमें भी चौकस रहने की जरूरत है।
कुर्बान में निभाई अपनी भूमिका को करीना इंटेंस मानती हैं और उसे जब वी मेट, ओमकारा, देव और चमेली की श्रेणी की फिल्म कहती हैं। वे बताती हैं, अगर फिल्म में हीरोइन का रोल अच्छा हो। उसके कैरेक्टर पर काम किया गया हो, तो काम करने में मजा आता है। सिर्फ तीन गाने, तीन सीन हों, तो आप क्या परफॉर्म करेंगे? मेरी ऐसी ही कुछ फिल्मों से प्रशंसक निराश हुए हैं। दर्शकों की प्रतिक्रियाओं से मुझे एहसास हो रहा है कि जब किसी फिल्म से मेरा नाम जुड़ जाता है, तो लोग उसमें कुछ ज्यादा देखना चाहते हैं। एक उम्मीद के साथ थिएटर जाते हैं।
करीना यह मानने को तैयार नहीं हैं कि फिल्मों केचुनाव में उनसे कोई लापरवाही हुई है। वे कमबख्त इश्क जैसी फिल्में भी दर्शकों के एक समूह के लिए जरूरी मानती हैं। वे स्पष्ट करती हैं, मेरी कोशिश होती है कि हर तरह के दर्शक खुश रहें। आप बताएं कि इस समय कौन-सी ऐसी दूसरी ऐक्ट्रेस है, जिसने ओमकारा, चमेली, जब वी मेट के साथ ही गोलमाल रिट‌र्न्स और कम्बख्त इश्क जैसी फिल्में की हैं। मैं एक टाइप का रोल नहीं कर रही। ऐक्टर भी साइंटिस्ट की तरह होते हैं, वे एक्सपेरिमेंट करते हैं। कभी एक्सपेरिमेंट सफल होता है, तो हम खुद को रिडिस्कवर कर लेते हैं। कभी असफल भी हो जाते हैं, तो उससे लेसन ले लेते हैं। करीना फिर से दोहराती हैं कि तीन गाने, तीन सीन के रोल की सीमाएं होती हैं। कुछ दर्शकों को वैसी फिल्में पसंद आती हैं, लेकिन हमें ज्यादा मजा नहीं आता। फिर भी मुझे कोई अफसोस नहीं है कि मैंने तीन गाने, तीन सीन वाले रोल क्यों किए? मैंने कुर्बान में अवंतिका की भी भूमिका निभाई न? वैसे अच्छे डायरेक्टरों ने ही मुझसे खूबसूरत काम करवाए।
करीना स्वीकार करती हैं कि वे वास्तव में डायरेक्टर की हीरोइन हैं। डायरेक्टर जैसा चाहे काम करवा लें। मैं हर फिल्म में उनके निर्देश के अनुसार ही सब कुछ करती हूं। डायरेक्टर अपने कैरेक्टर के बारे में सब कुछ जानता है। मैं ज्यादा तैयारी में यकीन नहीं करती। डायरेक्टर के बताए इमोशन को पर्दे पर लाने की कोशिश करती हूं। किरदार इंटेंस और डेफ्थ वाला हो, तो मुझे भी सोचना पड़ता है, मेहनत करनी पड़ती है। तीन गाने और तीन सीन हों, तो क्या रिसर्च करना? डांस डायरेक्टर ने जैसा बताया, वैसे स्टेप्स करो और सीन में को-ऐक्टर के साथ सही ढंग से एक्ट और रिएक्ट करो। बस, काम खत्म, लेकिन ओमकारा, कुर्बान और 3 इडियट्स हो, तो सिर्फ स्पॉन्टेनियस होने से थोड़े ही काम चलेगा?
आर्ट फिल्म और कॉमर्शियल फिल्म की कैटेगरी में करीना का कोई यकीन नहीं है। वे बताती हैं, मैंने अच्छा-बुरा काम कॉमर्शियल फिल्मों में ही किया है। आर्ट फिल्मों के बारे में कभी नहीं सोचा। मैं इस तरह के कैटेगराइजेशन को नहीं समझती। ऐक्टर के लिए तो रोल होता है। फिल्म का प्रेजेंटेशन और ट्रीटमेंट डायरेक्टर के हाथ में होता है। उस पर डिपेंड करता है कि वह अपनी फिल्म को कैसे पेश करता है।

Comments

kareena kuchh bhi keh sakti hain
यह अच्छा आलेख है । फिल्म पर एक आलेख यहाँ भी देखे http://sharadakokas.blogspot.com

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