फिल्‍म समीक्षा : रासकल्‍स

रास्कल्स: बड़े पर्दे पर बदतमीजी-

बड़े पर्दे पर बदतमीजी

अजय ब्रह्मात्‍मज

सफल निर्देशक अपने करियर की सीढि़यां उतरते समय कितने डगमगाते और डांवाडोल रहते हैं? कम से कम डेविड धवन के उतार को समझने केलिए रास्कल्स देखी जा सकती है। उन्हें संजय दत्त और अजय देवगन जैसे लोकप्रिय अभिनेताओं के साथ कंगना रनौत भी मिली हैं, लेकिन फिल्म भोंडे़पन और अश्लीलता से बाहर नहीं निकल पाती। मुमकिन है डेविड धवन के निर्देशन में ऐसा उतार पहले भी आया हो, लेकिन वे साधारण किस्म की मनोरंजक कामेडी फिल्मों के उस्ताद तो थे।

चेतन और भगत दो ठग हैं। सचमुच पॉपुलर लेखक चेतन भगत फिल्म इंडस्ट्री में मजाक के पात्र बन चुके हैं। इन किरदारों का नाम सलीम और जावेद या जुगल और हंसराज रख दिया जाता तो भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता। चेतन और भगत एक-दूसरे को ठगते और क्लाइमेक्स में ठगी में पार्टनर बनते हुए अपने-अपने तरीके से कंगना रनौत को फांसने का प्रयास करते हैं। लतीफे, चुहलबाजी, छेड़खानी और ठगी को लेकर बनी यह फिल्म बड़े पर्दे पर जारी बड़े स्टारों की बदतमीजी का ताजा नमूना है। अनुभवी और सीनियर स्टार संजय दत्त और अजय देवगन की कंगना रनौत के साथ की गई ऊलजलूल और अश्लील हरकतें स्क्रिप्ट से अधिक वास्तविक रूप में नजर आती हैं। ताज्जुब होता है कि कंगना रनौत इस प्रकार की शारीरिक जोर-जबरदस्ती के लिए कैसे राजी हो गई?

रास्कल्स हिंदी में बनी ताजा फूहड़ फिल्म है। पता चलता है कि हमारे स्टारों और स्टार डायरेक्टर की कॉमेडी की सोच कितनी निरर्थक और अश्लील हो चुकी है। रास्कल्स जैसी फूहड़ भूल पर संबंधित व्यक्तियों को शर्मिदा होना चाहिए।

रेटिंग- * एक स्टार

Comments

Abheshek said…
The commercial hunger for business, compromising on the legacy of Hindi cinema quality...

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