अकेली औरत की दो बेटियां

द्वंद्व और संघर्ष के बीच संवारी जिंदगी-अजय ब्रह्मात्‍मज

कभी ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी हिंदी फिल्मों की नंबर वन हीरोइन थीं। उनकी फिल्मों के लाखों-करोड़ों दीवाने थे। हेमा मालिनी ने अपने करियर केउत्कर्ष के दिनों में दर्जनों सहयोगी स्टारों को भी अपना दीवाना बनाया, लेकिन शादी धर्मेन्द्र के साथ की।

धर्मेन्द्र पहले से शादीशुदा थे। उन्होंने सुविधा के लिए धर्म बदल कर हेमा मालिनी से शादी तो कर ली, लेकिन उन्हें अपने घर नहीं ले जा सके। उनकी पहली पत्नी और बेटों ने हेमा मालिनी को परिवार में जगह नहीं दी। हेमा मालिनी शादी के बाद भी अकेली रहीं। अकेली औरत की जिंदगी जी। उन्होंने अपना घर बसाया, जहां धर्मेन्द्र सुविधा या आवश्यकता के अनुसार आते-जाते रहे।

हेमा मालिनी और धर्मेन्द्र की प्रेम कहानी और दांपत्य के बारे में वे दोनों ही बेहतर तरीकेसे बता सकते हैं। बाहर से जो दिखाई पड़ता है, उससे स्पष्ट है कि हेमा मालिनी ने अकेले ही अपनी जिंदगी संवारी और पिता के साये से वंचित बेटियों ऐषा और आहना को पाला। सभी जानते हैं कि आज भी धर्मेन्द्र के परिवार और हेमा मालिनी के परिवार में सार्वजनिक मेलजोल या संबंध नहीं है।

हेमा मालिनी ने अपने अभिनय करियर का उत्कर्ष देखा। बाद में नृत्य नाटिकाओं में उन्होंने अपनी नृत्य साधना के नए आयाम खोजे। पॉलिटिक्स में आई, तो भाजपा से जुड़ीं। भाजपा ने उनकी लोकप्रियता का पूरा उपयोग किया। छोटी-मोटी जिम्मेदारियां दीं और अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों में उन्हें व्यस्त रखा। हेमा मालिनी आज भी काफी व्यस्त हैं। उन्होंने अपनी बेटियों को नृत्य का शिक्षा दी और अपने साथ मंच पर उतारा। उनकी नृत्य नाटिकाओं में ऐषा और आहना की सक्रिय भूमिकाएं रहती है। अभी पिछले दिनों ही अपनी बेटियों के साथ उन्होंने न्यूयार्क में डांस परफॉर्मेस दिया।

बेटी ऐषा देओल ने अभिनय में रुचि दिखाई और फिल्मों में आने की उत्सुकता जाहिर की तो मां का सपोर्ट मिला। पिता धर्मेन्द्र नहीं चाहते थे कि ऐषा फिल्मों में आएं। इस पर रिसर्च होना चाहिए कि आखिर क्यों अभिनेता नहीं चाहते कि उनकी बेटियां फिल्म अभिनेत्री बनें, जबकि मां बन चुकी अभिनेत्रियों को इसमें कोई दिक्कत नहीं होती। बहुत कम पिताओं ने बेटियों के फिल्मों में आने का फैसले का समर्थन किया और उन्हें सहयोग दिया। याद नहीं आता कि किसी ने अपनी बेटी को लॉन्च करने के लिए कोई फिल्म बनाई हो, जबकि बेटे की लॉन्चिग का बड़ा हंगामा होता है।

कहीं न कहीं यह हमारी सोच और समाज की विडंबना है। देओल परिवार इसका अपवाद नहीं है। कपूर परिवार, खान परिवार और बच्चन परिवार की बेटियों ने फिल्मों में कोशिश ही नहीं की। सबसे पहले करिश्मा और फिर करीना कपूर ने खानदान के रिवाज को तोड़ा। बहरहाल, ऐषा, आहना और हेमा मालिनी को धर्मेन्द्र और देओल परिवार से केवल सरनेम मिला, बाकी सारा संघर्ष उन्हें खुद करना पड़ा। हेमा मालिनी की जिंदगी इस संदर्भ किसी दूसरी भारतीय औरत से अलग और श्रेष्ठ नहीं है। जुहू के बंगलों के भीतर उन्हें कितने अपमान और ताने सहने पड़े होंगे, उन पर कितनी फब्तियां कसी गई होंगी? उनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हेमा मालिनी ने इस सामाजिक द्वंद्व और विडंबना के बीच अपना सिर ऊंचा रखा। पिता के परिवार से समर्थन नहीं मिलने पर भी उन्होंने बेटियों को उनकी मर्जी का काम करने दिया। अभी उन्होंने बेटी ऐषा के लिए टेल मी ओ खुदा का निर्माण और निर्देशन किया है। हालांकि इस फिल्म में धर्मेन्द्र भी हैं, लेकिन साफ दिखता है कि उनकी मौजूदगी महज एक औपचारिक दबाव ही है। इस फिल्म की रिलीज और मार्केटिंग में वे हेमा मालिनी की कोई मदद नहीं कर रहे हैं। उनके होम प्रोडक्शन विजयता फिल्म्स का टेल मी ओ खुदा से कुछ भी लेना-देना नहीं है।

दरअसल, ड्रीम गर्ल के इस द्वंद्व और दर्द को समझने की जरूरत है। मुझे लगता है कि हेमा मालिनी के अस्मिता के इस संघर्ष का मूल्यांकन होना चाहिए और देखना चाहिए कि ग्लैमर, रसूख और लोकप्रियता के बावजूद हेमा मालिनी जैसी औरतें आज भी कितनी आजाद हो सकी हैं?

Comments

Shipra said…
hmm she's a strong women. i like her for that

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