मोना कपूर की मौत

- अजय ब्रह्मात्मज

उस दिन सुबह से ट्विटर पर एक खास ग्रुप के ब्लड की जरूरत को फिल्म बिरादरी से जुड़े सभी लोग रीट्विट कर रहे थे। यह तो समझ में आ गया था कि फिल्म इंडस्ट्री के किसी खास व्यक्ति की तबियत क्रिटिकल हो चुकी है। लगभग 12 बजे मेरी एक दोस्त ने ट्विटर पर दिए गए नंबर पर फोन किया, तो पता चला कि काफी ब्लड डोनेटर मिल गए हैं। अब कोई जरूरत नहीं है।

पता चला कि अगले दिन हिंदुजा अस्पताल में उक्त मरीज के लिए ब्लड की जरूरत थी। कुछ मिनट ही बीते होंगे कि ट्विट पर मोना कपूर आरआईपी की सूचना आ गई। मोना कपूर को फिल्म बिरादरी के लोग अच्छी तरह जानते थे और पत्रकार भी। बोनी कपूर की पत्‍‌नी मोना कपूर ने तलाक नहीं लिया था। केवल अमिताभ ब"ान ने अपने ट्विट में उन्हें बोनी कपूर की पत्‍‌नी बताते हुए शोक जाहिर किया था।

वे ब्याह कर गए घर में ही अपने सास-श्वसुर, (श्वसुर सुरेंद्र कपूर, जो हाल ही में गुजरे हैं) देवर और पटरानी के साथ रहती रहीं। उन्होंने अपने बेटे अर्जुन और बेटी अंशुला की सिंगल पैरेंट की तरह परवरिश की। वे फ्यूचर स्टूडियो की मालकिन थीं। जिंदादिल और सभी की गतिविधियों में रुचि रखने वाली मोना कपूर को कभी शिकायती लहजे में नहीं सुना गया। उन्होंने बोनी कपूर को भी माफ कर दिया था।

किसी भी बेटे के लिए इस से हृदय विदारक बात क्या हो सकती है कि उसकी फिल्म कुछ हफ्तों केबाद रिलीज हो रही हो और उसे बड़े पर्दे पर देखने की ख्वाहिश रखने वाली मां की आंखें हमेशा केलिए बंद हो जाएं। अर्जुन कपूर की फिल्म इश्कजादे अगले महीने रिलीज हो रही है। यशराज की इस फिल्म को लेकर पूरा कपूर परिवार बेहद उत्साहित है। अब इस उत्साह में मोना कपूर की आकस्मिक मौत की हल्की निराशा आ गई है।

हालांकि मोना कपूर को कैंसर था और आखिरी दिनों में किसी अन्य कैंसर मरीज की तरह ही एक-एक उनके अंग-प्रत्यंग जवाब देने लगे थे। कैंसर ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज आंखों के सामने तिल-तिल कर मौत के करीब पहुंचता है। इसके बावजूद मरीज और उसके परिजन इस उम्मीद में रहते हैं कि शायद कोई चमत्कार हो जाए। चमत्कार होता ही नहीं। मेडिकल साइंस अभी तक अंतिम चरण में पहुंच चुके कैंसर से छुटकारा दिलाने में कामयाब नहीं हुआ है। मोना कपूर अपवाद नहीं रहीं।

उनके अंतिम संस्कार में फिल्म जगत के लोगों में उनकी मौत को लेकर दुख था। मोना कपूर ने बोनी कपूर की दूसरी शादी पर कभी तमाशा नहीं किया। एक बार मोना की मां ने अवश्य श्रीदेवी को डांटा-फटकारा और बेइज्जत किया था। मोना कपूर से जब भी पूछा जाता था कि उन्होंने तलाक क्यों नहीं लिया, तो उनका सीधा सा जवाब होता था, मैं तो उसी घर में रहती हूं। श्वसुर, देवरों ने मोना से रिश्ते खत्म नहीं किए, बल्कि घर की बेटी की तरह उन्हें संभाला।

फिल्म परिवारों में शादी तलाक आदि मामलों को लेकर नए किस्म का खुलापन दिखता है। तलाक के बाद पूर्व पत्‍‌नी से रिश्ते में गर्माहट नहीं रह जाती, लेकिन संबंध कटु नहीं होते। आमिर खान और अनुराग कश्यप इसके उदाहरण हैं। दोनों विभिन्न अवसरों पर अपनी पूर्व पत्‍ि‌नयों से मिलते हैं। संतान की परवरिश की चिंताओं को शेयर करते हैं। कई मामलों में साथ काम करते हैं। मोना ने बोनी कपूर को दूसरी शादी के लिए माफ नहीं किया, लेकिन उन्होंने कभी इस बात को बतंगड़ नहीं बनाया। मोना ने अपने लिए नई जिंदगी चुनी। खुद को नए काम में झोंक दिया और सफल उद्यमी साबित हुई। जल्दी ही हम उनके बेटे अर्जुन कपूर को पर्दे पर देखेंगे। काश.. कैंसर ने उन्हें कुछ और हफ्तों की मोहलत दी होती। वे बेटे को बडे़ पर्दे पर देख लेतीं तो उनके परिजनों को इतना अफसोस नहीं होता..


Comments

आज श्री देवी खुश होंगी काफी.....! श्रद्धांजलि.
सब परिस्थितियों के साथ साम्य स्थापित करना सीख जाते हैं। श्रद्धांजलि।
सब परिस्थितियों के साथ साम्य स्थापित करना सीख जाते हैं। श्रद्धांजलि।
Seema Singh said…
कुदरत ने औरत के ही दिल को इतनी बड़ी विशालता दी है।कि वह बड़ी से ...?सो- दूरद्रष्टा मोना कपूर ने भी बही मार्ग तय किया ,जो माँ की शक्ल में औरत -बच्चों के प्रति कर्तव्य -भावना के वशीभूत हो दुनियां की बड़ी से बड़ी ज्यादितियाँ बर्दाश्त कर लेती है,हिम्मत वर मोना कपूर ने भी बही किया ।ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे ,ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ।
Ramakant Singh said…
श्रद्धांजलि।

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