सीक्वल एक्सपर्ट संजय मासूम

-अजय ब्रह्मात्‍मज 
अभी पिछले दिनों महेश भट्ट ने जन्नत -2 के गीतकार संजय मासूम के संबंध में ट्वीट किया। उन्होंने उनके गीत के बोल की तारीफ की और उम्मीद भी जताई। भट्ट कैंप की फिल्मों में गीत-संगीत पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हमेशा भावपूर्ण और अर्थपूर्ण गीत चुनना और गीतकारों को ऐसे गीतों के लिए प्रेरित करना महेश भट्ट की खासियत है। बहरहाल, संजय मासूम ने जन्नत -2 में गीत के साथ संवाद भी लिखे हैं। संजय कहते हैं, संवाद तो मैं लंबे अर्से से लिख रहा हूं। शायरी भी करता रहा हूं। लेकिन पहली बार बतौर गीतकार जन्नत -2 में आ रहा हूं। अनोखी अनुभूति हो रही है।
संजय मासूम ने लंबे समय तक पत्रकारिता करने के बाद फिल्मों का लेखन आरंभ किया। वे पत्रिका धर्मयुग से संबंधित रहे। धर्मयुग बंद होने के बाद कुछ सालों तक नवभारत टाइम्स मुंबई के साथ जुड़े रहे। जब पत्रकारिता की नौकरी अड़चन बनने लगी, तो उन्होंने आखिरकार फिल्मों को फुलटाइम देने का फैसला किया। इन दिनों वे कृष-3 और राज-3 के भी संवाद लिख रहे हैं। जल्दी ही विक्रम भट्ट की फिल्म 1920 के सीक्वल का काम आरंभ करेंगे।
इस फिल्म के लिए संवाद लिखने की जिम्मेदारी भी संजय ने ली है। तो क्या सीक्वल एक्सपर्ट बनने का इरादा है? संजय मासूम इस संयोग से चौंकते हैं, सचमुच, मैं ज्यादातर सीक्वल फिल्मों के लिए संवाद लिख रहा हूं। अच्छी बात है न.., अभी रीमेक और सीक्वल का दौर चल रहा है। हिट फिल्मों के सीक्वल लिखने में चुनौती महसूस होती है। उसे पहली फिल्म से एक लेवल ऊपर ले जाने की जिद साथ रहती है। फिल्मों के वर्तमान दौर से खुश संजय मासूम कहते हैं, हिंदी फिल्मों का यह रोचक दौर है। अभी हर तरह की फिल्में न केवल बन रही हैं, बल्कि पसंद भी की जा रही हैं।
निर्माता-निर्देशक दर्शकों की विविध रुचि का ध्यान रखते हुए प्रयोग करने में नहीं हिचक रहे हैं। संजय अपनी फिल्मों को लेकर आश्वस्त हैं। सफल फिल्मकारों के साथ काम करने में सुरक्षा के साथ ही कुछ नया करने के अवसर भी मिलते हैं।

Comments

Patrakaaron ke liye ek nai seekh hai. patrkaarita me rahkar kuchh hasil hone wala nahee hai. yahan magarmachchhon kee kamee nahee hai. hamane bheeiskee chakachaundh ko dekhkar isme aane ka faisalaa kiya tha,ab pachhataa rahe hain. akele ham hee nahee ham jaise kai log pashchattap kee agni me jal rahe hain. sanjay jee ne samay rahate patrakaarita kee vidambanaa ko samajh gaye. hamaaree or se unhe bahut-baht mubarak
Neeraj Express said…
लेखनी की रोटी खाना बहुत ही भाग्य की चीज है। पत्रकारिता पर गर्व करना सीखिए। यह चकाचौंध की दुनिया तो है ही मगर उससे कहीं ज्यादा यह जिम्मेदारी का एहसास कराती है। मासूम जी को बधाई मेरी भी तरफ से मगर रिपोर्टर्स मिरर जी के कमेंट पूरी तरह से नकारने लायक हैं।
Seema Singh said…
अजय जी , इस- दिशा में आप भी जाने की पहल कर सकते हैं -जब की आप के पास दोनों दुनियाओं और साथ में शब्दों की जादूगरी का अच्छा तजुर्बा है ,नामालूम आप अपनी -बहुआयामी प्रतिभा को नजरंदाज क्यों -कर, कर रहे हैं ?जब कि यहाँ तो लोग .....! मेरा ख्याल है आप इस दिशा में बहुत- उत्तम और उच्च श्रेणी का परिणाम दे सकते हैं ।खैर यह तो इकतरफा सोच है -कब्र का हल तो ......!
Maasoom ji ko bahut bahut badhaayi aur Badhaayi Ajay Sir ko bhi itna jeevant saakshatkaar prastut karne ke liye. Hindi filo se zyada mujhe hindi chitrapat sangeet pasand hai. Ummeed karti hu Maasoom Sir kuch na bhulaane wale gaane se hame ru-ba-ru karaayenge!

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