मेनस्ट्रीम सिनेमा को ट्रिब्यूट है ‘राउडी राठोड़'-संजय लीला भंसाली

-अजय ब्रह्मात्‍मज
अक्षय कुमार और सोनाक्षी सिन्हा की प्रभुदेवा निर्देशित ‘राउडी राठोड़’ के निर्माता संजय लीला भंसाली हैं। ‘खामोशी’ से ‘गुजारिश’ तक खास संवेदना और सौंदर्य की फिल्में निर्देशित कर चुके संजय लीला भंसाली के बैनर से ‘राउडी राठोड़’ का निर्माण चौंकाता है। वे इसे अपने बैनर का स्वाभाविक विस्तार मानते हैं।
  - ‘राउडी राठोड़’ का निर्माण किसी प्रकार का दबाव है या इसे आपकी मुक्ति समझा जाए?
 0 इसे मैं मुक्ति कहूंगा। मेरी सोच, मेरी फिल्म, मेरी शैली ही सब कुछ है ... इन से निकलकर अलग सोच, विषय और विचार से जुडऩा मुक्ति है। मैं जिस तरह की फिल्में खुद नहीं बना सकता, वैसी फिल्मों का बतौर प्रोड्यूसर हिस्सा बनना अच्छा लग रहा है। मैं हर तरह के नए निर्देशकों से मिल रहा हूं। ‘माई फ्रेंड पिंटो’, ‘राउडी राठोड़’,  ‘शीरीं फरहाद की तो निकल पड़ी’ ऐसी ही फिल्में हैं। 
 - आप अलग तरह के सिनेमा के निर्देशक रहे हैं। खास पहचान है आपकी। फिर यह शिफ्ट या आउटिंग क्यों? 0 ‘गुजारिश’ बनाते समय अनोखा अनुभव हुआ। वह फिल्म मौत के बारे में थी, लेकिन उसने मुझे जिंदगी की पॉजीटिव सोच दी। उसने मुझे निर्भीक बना दिया। लगा कि मैं अपनी क्रिएटिविटी के बिखर जाने से डरा हुआ हूं, जबकि ऐसा है नहीं। मैं ‘राउडी राठोड़’ नहीं निर्देशित कर सकता। उस फिल्म को प्रभु देवा अच्छी तरह बना सकते हैं। मैं उसे दर्शकों तक ले जाने का जरिया बन सकता हूं। इसी बहाने मैं ज्यादा से ज्यादा तरह की फिल्मों का हिस्सा होना चाहता हूं। मैं अब पहले की तरह स्वार्थी नहीं रह गया। 
 - ‘राउडी राठोड़’ का संयोग कैसे बना?
 0 मैंने तमिल फिल्म देखी ‘विक्रम्राउकड़ू’। हिंदी में उसके रीमेक के बारे में सोच लिया था कि मैंने कि हिंदी में राउडी फिल्म बनानी है। ‘राउडी राठोड़’ तभी ताम पड़ गया था। प्रभु देवा और अक्षय कुमार मेरे प्रस्ताव से चौंके। मेरे अंदर मेनस्ट्रीम सिनेमा रहा है। अलंकार, मिनर्वा और ग्रांट रोड के आसपास के सिनेमाघरों में बड़े होते समय मेनस्ट्रीम फिल्में देखी थीं। सिनेमा से आकर्षण तो वहीं बना। बाद में एफटीआईआई गया तो सिनेमा के प्रति अप्रोच बदला। उसके प्रभाव में मैंने ‘खामोशी’ बनाई। वैसे मेरे पिताजी ने ‘जहाजी लुटेरा’ बनाई थी। उस तरह की मसाला मेनस्ट्रीम फिल्में दिल में बनी रही हैं। मैं उस मेनस्ट्रीम सिनेमा को एंज्वॉय करना चाहता हूं। इसे मेरा भटकाव न समझें।  
- मेनस्ट्रीम के प्रति यह झुकाव क्यों और कैसे बढ़ा?
 0 मैंने बताया कि वह सिनेमा मेरे अंदर है। देश का दर्शक अभी भी नहीं बदला है। हमारे दर्शकों को फुल एंटरटेनमेंट चाहिए। हमलोग आर्ट सिनेमा, पैरेलल सिनेमा या आउट ऑफ बाक्स सिनेमा भी बनाएं, लेकिन ज्यादा दर्शकों को मेनस्ट्रीम सिनेमा चाहिए। अभी वैसी फिल्में खूब पसंद की जा रही है। उनकी क्वालिटी भी बढ़ी है। ‘राउडी राठोड़’ मेरी किशोरावस्था की याद और मेनस्ट्रीम सिनेमा को ट्ब्यिूट है। यही हमारा क्लासिक सिनेमा है। दर्शक ऐसी फिल्मों  डायलॉग से खुश होते हैं। गानों पर नाचते हैं। ‘मैं फौलाद की औलाद हूं’ सुन कर ढेर सारे दर्शक खुश होंगे। मेरे लिए यह फिल्म कैथारसिस रही। 
 - बाकी फिल्मों में आपकी भागीदारी कितनी और कि स्तर की रहती है? 
मैं स्क्रिप्ट चुनने से लेकर कास्टिंग तक इन्वॉल्व रहता हूं। उसके बाद डायरेक्टर की फिल्म होती है। मैं सेट या शूटिंग पर नहीं जाता। डायरेक्टर पर भरोसा होता है। तभी तो चुनता हूं। और फिर मुझे ही दिन-रात लगा रहना पड़े मैं अपनी फिल्म डायरेक्ट कर लूंगा।  
- इस फिल्म के लिए अक्षय कुमार और सोनाक्षी सिन्हा ही क्यों?
 0 ‘राउडी राठोड़’ का राउडीपना अक्षय कुमार ही ला सकते हैं। एक्शन, रोमांस, कॉमेडी और ड्रामा सभी तरह से वे इस फिल्म के लिए सबसे योग्य थे। सोनाक्षी सिन्हा टैलेंटेड और श्रीदेवी की तरह की हीरोइन हैं। उनमें एक अलग चार्म है। मेरी फिल्म के लिए दोनों फिट रहे।
 -आप की फिल्म कब शुरू होगी?  
 0 मैंने ‘राम लीला’ के बारे में साचा है। मैं अपनी मां के नाम से एक फिल्म बनाना चाहता था। इस फिल्म में रणवीर सिंह और करीना कपूर हैं। दोनों जबरदस्त एक्टर हैं। मेरी फिल्म की शूटिंग अगस्त में शुरू होगी। गुजरात में कच्छ और मुंबई में शूटिंग होनी है। 


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