खतरनाक रंग है गुलाबी- सौमिक सेन


-अजय ब्रह्मात्मज
मैं बंगाल से हूं। हर बंगाली की तरह सत्यजित राय और रविंद्रनाथ टैगोर को देखते-पढ़ते बड़ा हुआ हूं। दोनों हर बंगाली के खून में बहते हैं। इन दोनों के प्रभाव से पूरी मानवता के प्रति संवेदना बनती है। जापानी निर्देशक कुरोसोवा ने सही कहा था कि हर पृथ्वीवासी को सत्यजित राय की फिल्म देखनी चाहिए। साहित्य, सिनेमा और संगीत की संगत बचपन से रही। आरंभ में थिएटर में एक्टिव हुआ। सरोद बजाने के साथ मैं शास्त्रीय संगीत गाता भी था। यह संस्कार माता-पिता से मिला था। दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के बाद मैं जर्नलिज्म में चला गया। बिजनेस स्टैंडर्ड के लिए वीकएंड बिजनेस टीवी प्रोग्राम बनाता था। वहां रहते हुए मैंने दो डॉक्युमेंट्री भी बनाए। फिर सोच-समझकर 2005 में मुंबई आ गया।
    मुंबई आने के बाद फिल्म लेखन से शुरूआत की। मुझे लगा कि मैं लेखन में अच्छा योगदान कर सकता हूं। राज कौशल की ‘एंथनी कौन है?’ मेरी पहली फिल्म थी। उसके बाद मैंने ‘मीराबाई नॉटआउट’, ‘रूबरू’ और ‘हम तुम और घोस्ट’ जैसी फिल्में लिखी। इनके साथ ही मैं किशोर कुमार पर स्क्रिप्ट लिख रहा था। मेरी नजर में आजादी के बाद ऐसी सिनेमाई विभूति हिंदुस्तान में दूसरी नहीं आई। उनकी जिंदगी पर दस घंटे की फिल्म बन सकती है। मैं खुद को किशोर कुमार फैनेटिक कहता हूं। यह फिल्म अनुराग बसु डायरेक्ट कर रहे हैं, जिसमें रणबीर कपूर किशोर कुमार की भूमिका में दिखेंगे।
    मैं ‘शोले’ जैसी एक वेस्टर्न फिल्म करना चाह रहा था। मुझे विलेन के खिलाफ एक अंडरडॉग की कहानी लिखनी थी। मैंने इसी सोच में महिलाओं का डाल दिया। हिंदी फिल्मों में महिलाएं मां, बीवी, बेटी, बहन और प्रेमिकाएं होती हैं। किसी न किसी पुरुष से उनका रिश्ता होता है। उन्हें सेंट्रल कैरेक्टर के काबिल नहीं माना जाता। सास-बहू और महिला केंद्रित फिल्मों में औरतों को पेश करने का नजरिया अलग होता है। मैंने ‘गुलाब गैंग’ में माधुरी दीक्षित और जूही चावला को आमने-सामने पेश कर दिया है। मैंने इस फिल्म को गंभीर और कलात्मक नहीं होने दिया। यह शुद्ध हिंदी मसाला फिल्म है। प्रचलित ढांचे में ही शिक्षा, समानता और आत्मनिर्भरता का संदेश भी है। इसमें सात गाने हैं। लंबे समय के बाद माधुरी दीक्षित ने सरोज खान के निर्देशन में डांस किया है। जूही चावला को पहली बार दर्शक निगेटिव शेड के रोल में देखेंगे। बस इतनी ही कोशिश है कि दर्शकों को भरपूर मनोरंजन मिले।
    ‘गुलाब गैंग’ नाम रखने के पीछे एरो स्मिथ का गीत ‘द पिंक इज रेड’ का भाव था। मैं यही कहना चाहता हूं कि गुलाबी लाल के बहुत नजदीक होता है और कभी-कभी खतरनाक भी। ‘गुलाबी गैंग’ से मेरी फिल्म ‘गुलाब गैंग’ का कोई संबंध नहीं है। संपत पाल बहुत अच्छा काम कर रही हैं। उनका काम मुख्य रूप से बदतमीज पतियों को रास्ते पर लाना है। मेरी फिल्म का वह मुख्य मुद्दा नहीं है। मेरी फिल्म में बालिकाओं की शिक्षा बड़ा मुद्दा है। उनको आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश है। वे इस दुनिया में स्वयं की मेहनत के दम पर जी सकें।
    माधुरी दीक्षित के पास मैं किसी निर्माता के बगैर चला गया था। पंद्रह मिनट सुनने के बाद उन्होंने हां कह दिया। उनकी हां के बाद ही मैंने निर्माताओं से मिलना शुरू किया। अनुभव सिन्हा भी संयोग से इस फिल्म में आए। मैं उनके लिए एक अलग फिल्म लिख रहा था। उस पर बात नहीं बन रही थी। फिर मैंने ‘गुलाब गैंग’ का जिक्र किया। वे तैयार हो गए। उनकी पहली प्रतिक्रिया थी कि यह लेडी सिंघम लग रही है। इस फिल्म के निर्माण का श्रेय निश्चित ही अनुभव सिन्हा और उनके सहनिर्माता मुश्ताक शेख को देना चाहूंगा।

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