सिनेमालोक : अभिषेक बच्चन के 20 साल

सिनेमालोक

अभिषेक बच्चन के 20 साल

अजय ब्रह्मात्मज

 

आज 30 जून को अभिषेक बच्चन की पहली फिल्म ‘रिफ्यूजी’ को रिलीज़ हुए 20 साल हो गए. 20 साल पहले जब यह फिल्म आई थी, तब बच्चन परिवार और कपूर परिवार में संयुक्त खुशी की लहरें हिलोरे भर रही थीं. दोनों परिवारों के लिए अनुपम खुशी का दिन था, क्योंकि ‘रिफ्यूजी’ से कपूर परिवार की करीना कपूर भी लॉन्च हुई थीं. आज दोनों अपने कैरियर में बेहद व्यस्त हैं और सबसे अधिक खुशी की बात है कि 20 सालों के बाद भी दोनों काम कर रहे हैं. उनकी फिल्में आ रही हैं.

अभिषेक बच्चन को ‘रिफ्यूजी’ के प्रीमियर का दिन अच्छी तरह याद है. हमें किसी भी नई शुरुआत का पहला दिन ताजिंदगी याद रहता है. उन्होंने उस दिन को याद करते हुए बताया था कि फिल्म के प्रीमियर के लिए निकलने से पहले वह दादा(हरिवंश राय बच्चन) और दादी(तेजी बच्चन) का आशीर्वाद लेने ‘प्रतिक्षा’ गए थे. दादी ने माथा चूमते हुए उनसे कहा था कि मुझे भी फिल्म दिखाना. अभिषेक ने वीएचएस से दिखाने का वादा किया और अपने चाचा व छोटे भाई सरीखे सिकंदर खेर के साथ लिबर्टी के लिए निकले. ‘रिफ्यूजी’ का प्रीमियर मुंबई के लिबर्टी सिनेमाघर में हुआ था. उन्हें पहले ही मालूम हो गया था कि फिल्म के निर्देशक जेपी दत्ता प्रीमियर में समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं. जेपी दत्ता ने अभिषेक को मेहमानों के स्वागत और सत्कार की जिम्मेदारी दे दी थी.

कम लोग जानते हैं कि उनकी दादी हनुमान की भक्त थीं. किसी भी शुभ काम के लिए निकलने से पहले मिलन सबवे के पास एसवी रोड पर स्थित सहनुमान मंदिर में माथा टेकती थीं. अभिषेक बच्चन ने भी दादी की आध्यात्मिक आदत का पालन किया और फिर आगे निकले. पहली फिल्म के प्रीमियर की रात जश्न की रात थी. फिल्म के वितरक अजय देवगन ने उन्हें इंटरवल में आश्वस्त कर दिया था कि ‘रिफ्यूजी’ को अच्छी ओपनिंग मिल रही है. यश चोपड़ा ने जिंदगी का सबक दिया और दोस्तों ने जोरदार पार्टी की.

पार्टी के बाद एक रोचक घटना घटी. प्रीमियर के बाद ओबराय होटल में चल रही पार्टी सुबह छः बजे खत्म हुई. वहां से घर लौटते समय अभिषेक बच्चन ने सिकंदर खेर से कहा कि ‘यार, मेरी पहली फिल्म के प्रीमियर की कोई निशानी मेरे पास होनी चाहिए. चलो लिबर्टी चलते हैं. वहां से फिल्म का पोस्टर ले लेते हैं.’ लिबर्टी तो बंद पड़ा था. बारिश की वजह से कोई पोस्टर बाहर नहीं था. तभी उन्हें ‘रिफ्यूजी’ का कटआउट दिखा. उन्होंने अपना कटआउट उठा लिया और और गाड़ी की ओर लौटे. कटआउट इतना बड़ा था कि गाड़ी में समा नहीं सका तो उसे कार की छत पर रख दिया गया. सिकंदर खेर और अभिषेक बच्चन एक हाथ से उसे दबाए हुए कार की खिडकियों पर बैठे लिबर्टी से लौटे. वह कटआउट आज भी उनके दफ्तर ‘जनक’ में रखा है.

बहरहाल, तमाम आलोचकों के नाक-भौं सिकोड़ने और निंदा के बावजूद अभिषेक बच्चन ने 20 सालों का सफल सफर पूरा कर लिया है. वह इस बात से खुश हैं कि 20 सालों के बाद उनके पास काम है, जबकि कई बार उनकी विदाई की श्रद्धांजलियां लिखी जा चुकी हैं. अनेक आलोचकों का मानना है कि अभिषेक बच्चन नैसर्गिक अभिनेता नहीं हैं. वे अमिताभ बच्चन के बेटे नहीं होते तो उन्हें कोई नहीं पूछता. दरअसल, अभिषेक बच्चन का ख्याल और जिक्र आते ही अमिताभ बच्चन की कद्दावर छवि याद आ जाती है. जाहिर है उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के आगे बाद की पीढ़ियों के सभी मेनस्ट्रीम कलाकार बौने दिखाई देते हैं. बच्चन परिवार से होने की वजह से समीक्षकों में से अधिकांश हमेशा उनकी अदाकारी में अमिताभ बच्चन का मैनरिज्म ही खोजते और पाते रहे हैं. इस संदर्भ में अजय देवगन की बात गौर करने लायक है. अभिनय का ज़िक्र चलने पर उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ‘अभिनय करते समय हमें पता ही नहीं चलता है कि हम कब अमिताभ बच्चन की नकल कर बैठते हैं.’ अभिषेक बच्चन तो उनके बेटे हैं. दिन-रात साथ में रहते हैं.

तीन मशहूर हस्तियों(अमिताभ बच्चन, जया भादुड़ी बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन) के साथ रहते हुए अपनी व्यक्तिगत पहचान बना पाना ही एक बड़ी उपलब्धि है. अभिषेक बच्चन सहज और सरल इंसान हैं. अभिनेता भी अच्छे हैं.  

      

 


Comments

Author said…
Very beautiful article. After a long time I got a nice article like this to read.
Unknown said…
Kuch bhi kahe log . Par har us kaam me mehnat or khun paasena
lagta hai jise ham karna chahte hai. . Kamyaab hone se jyada jaruri hai ham apna pura 💯% diya

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को