मांगी थी एक गाड़ी,मिली छह गाडियां-अक्षय कुमार


-अजय ब्रह्मात्मज
अक्षय कुमार लगातार फिल्मों की शूटिंग कर रहे हैं। समय मिलते ही बीच-बीच में मीडिया से भी बातें कर रहे हैं। उनकी आने वाली नई फिल्म है ब्लू, इसलिए उन्होंने सारी बातचीत इसी पर केंद्रित रखी।

ब्लू के प्रोमोशन से ऐसा लग रहा है कि यह अंडर वाटर सिक्वेंस वाली ऐक्शन फिल्म है। क्या यह सच है?

ब्लू एक एडवेंचर फिल्म है। लोगों ने अंग्रेजी में इंडियाना जोंस, बॉण्ड की फिल्में और दूसरी एडवेंचर फिल्में देखी होंगी। ऐसी फिल्मों में ऐक्शन और एडवेंचर होता है। कहानी का बस एकपतला धागा रहता है। इस फिल्म की बात करूं, तो मुझे मालूम है कि समुद्र के अंदर कहीं खजाना छिपा हुआ है। उस खजाने की जानकारी सिर्फ संजय दत्त के पास है। मुझे वह खजाना चाहिए। खजाना मुझे मिलता है कि नहीं, यह अंत में पता चलेगा। खजाने की खोज में आई मुश्किलों पर ही यह एक घंटे पचास मिनट की फिल्म है।

एडवेंचर फिल्म में बाकी मसाले तो होंगे?

इसमें गाने जरूर हैं, लेकिन इमोशनल ड्रामा नहीं है। इस फिल्म में लोगों को अंडर वाटर के अनोखे विजुअल्स देखने को मिलेंगे। दर्शक फिल्म में एक नई दुनिया का दर्शन करेंगे। किसी भारतीय फिल्म में उन्होंने ऐसा एडवेंचर और सिक्वेंस नहीं देखा होगा।

खतरों के खिलाड़ी अक्षय कुमार के लिए तो यह आसान फिल्म रही होगी?

इसके कुछ सिक्वेंस में जान का भी जोखिम था। मुझे नए स्टंट सीखने पड़े। शार्क के साथ शूटिंग करनी पड़ी। ढेर सारे नए एडवेंचर थे। मुझे अलग ऐक्शन करना पड़ा। समुद्र में 200 मीटर नीचे जाने का मौका मिला। मैं तो कहूंगा कि एक बार सभी को पानी के नीचे की दुनिया देखनी चाहिए।

जिसे तैरना नहीं आता हो और पानी से डर लगता हो, वह कैसे जाएगा?

वह भी जा सकता है। आजकल पारदर्शी ट्यूब में बैठकर आप जा सकते हैं। उसमें आक्सीजन की व्यवस्था रहती है। मारीशस और बैंकॉक में ऐसी सुविधाएं हैं।

ऐक्शन फिल्म करते हुए आप क्या नया जान पाते हैं?

सबसे पहले तो नए डायरेक्टर की सोच-समझ से हम सीखते हैं। इसके अलावा फिल्मों की शूटिंग के बहाने हम देश-दुनिया के नए इलाकों से परिचित होते हैं। अगर ऐक्शन में नयापन हो, तो मुझे बड़ा मजा आता है। ब्लू में अंडर वाटर की दुनिया से परिचित हुआ। फिल्म में मुझे रहमान साहब की म्यूजिक पर क्रंप डांस करने का मौका मिला। वह मैंने सीखा। इस डांस में डांसर का पौरुष उभर कर सामने आता है। मैं और मेरी बिरादरी के लोग भाग्यशाली हैं कि हमें फिल्मों के जरिए नई चीजें देखने-जानने को मिल जाती हैं।

आपको कैसे डायरेक्टर ज्यादा पसंद हैं?

मुझे नए डायरेक्टर पसंद हैं। उनके अंदर कुछ हासिल करने की भूख होती है। मैंने 14 नए डायरेक्टर के साथ काम किए हैं। उनमें से ग्यारह की फिल्में हिट रहीं। नए डायरेक्टर अपने साथ नई चीजें लाते हैं। इसीलिए टोनी के साथ फिल्म ब्लू की।

ब्लू के रोमांचक अनुभवों के बारे में बताएंगे?

शार्क वाली बात तो सभी जान गए हैं। इस फिल्म के लिए हम दिन में एक घंटे से ज्यादा अंडर वाटर शूटिंग नहीं कर सकते थे। अंडर वाटर में एक घंटे काम करने के बाद 20-24 घंटे आराम करना होता था। पानी के अंदर सारे निर्देश इशारों से दिए जाते थे। ऊपर से सिक्वेंस समझ कर हम पानी में उतरते थे। रेडी, रोलिंग, ऐक्शन, वंस मोर.. यू लेफ्ट.. मोर लेफ्ट.. कैमरा.., यह सब आंख, हाथ और इशारों से बताना होता था।

समुद्र के अंदर का कौन-सा जीव अधिक पसंद है?

शार्क, शार्क को देखने में मजा आया। वह पानी का शेर है। शार्क आकर हमारी शूटिंग देखते थे। आजू-बाजू में घूमते रहते थे। अगर उन्हें आपसे खतरा महसूस हो, तभी वे आक्रमण करते हैं। कितनी बार हम उनसे टकरा भी जाते थे।

क्या ट्विंकल कभी आपके स्टंट पर आपत्ति नहीं करतीं?

उन्हें आदत हो गई है। उन्हें मालूम है कि उनके मना करने पर भी मैं नहीं मानूंगा। उन्होंने मेरी ऐक्शन फिल्मों को स्वीकार कर लिया है। अब वे भी एंज्वॉय करती हैं।

आपने सब कुछ हासिल कर लिया है। अब कौन सी ख्वाहिश बाकी है?

अभी तो स्पेस में जाना है। चांद पर जाना है। बहुत सारी चीजें बाकी हैं, वैसे संतुष्ट हूं, क्योंकि सोचा था वन रूम फ्लैट और मिला बंगले का बंगला। हर चीज मिली। मांगी थी एक गाड़ी, मिलीं छह गाडि़यां। जो मिला, ज्यादा मिला, अनगिनत मिला।

कैटरीना कैफ के साथ आपकी जोड़ी सफल रही है। चर्चा है कि इस फिल्म में आपने उनका रोल बढ़वाया है?

ऐसी अफवाहों पर ध्यान न दें। रोल कटवाना या बढ़वाना आसान काम नहीं है।

Comments

Kulwant Happy said…
मैं अक्षय कुमार के अभिनय और काम का प्रशंसक हूं, और आपकी लेखनी का तो शुरू से ही..अगर अगली बार अक्की मिले तो मेरी ओर से उनको शुभकामनाएं देना..अगर जिन्दगी ने मुझे किसी मोड़ पर मिला दिया तो शायद मैं उन सब का जिक्र करूंगा जिन्होंने मेरे तक आपकी तरह अक्षय कुमार को पहुंचाया।

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम