स्‍टार प्रोफाइल : अजय देवगन

-अजय ब्रह्मात्‍मज
मुंबई के लोकप्रिय स्टारों के नाम डालकर इंटरनेट सर्च करें तो नतीजों से आप चौंक जाएंगे। कम लोगों को सर्च रिजल्ट पर यकीन होगा। थोड़ी देर के लिए आप भी हैरत में पड़ जाएंगे कि क्या सचमुच अजय देवगन अपनी पीढ़ी के सबसे व्यस्त अभिनेता हैं? उनकी अतिथि तुम कब जाओगे अभी रिलीज हुई है और पांच फिल्में कतार में हैं। उनमें से टुनपूर का सुपरहीरो और राजनीति पूरी हो चुकी है। बाकी तीन गरम हवा, वन्स अपऑन अ टाइम इन मुंबई और गोलमाल-3 निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। लंबे समय के बाद अजय देवगन की एक्शन फिल्म दिसंबर में आरंभ हो जाएगी, जिसे उनके चहेते डायरेक्टर रोहित शेट्टी डायरेक्ट करेंगे।

[काफी व्यस्त है शेड्यूल]

बगैर शोरगुल और मीडिया हाइप के अजय देवगन अपने काम में मशगूल रहते हैं। शूटिंग ने इतना व्यस्त कर रखा है कि वे अपने ही घर में अतिथि की तरह आते हैं। पिछले दिनों तमिलनाडु के मदुरै शहर में गरम हवा के सेट पर उनसे मुलाकात हुई, बताने लगे, ''इस फिल्म की शूटिंग के बाद मुंबई लौटूंगा। वहां चंद दिनों की शूटिंग करने के बाद गोलमाल-3 के लिए गोवा चला जाऊंगा। इस बीच वन्स अप ऑन अ टाइम की बाकी शूटिंग एवं राजनीति के प्रमोशन के सिलसिले में देश-विदेश के शहरों में जाना होगा।'' इधर माय नेम इज खान के प्रोमोशन में काजोल भी व्यस्त थी। पति-पत्नी लंबे अर्से के बाद गरम हवा के सेट पर ही कराईकुडी में मिले। व्यस्त स्टारों की जिंदगी में ऐसी तनहाइयां आम हैं। अगर मियां-बीवी दोनों एक्टिव हों तो ऐसी तनहाई आफत लगती है। घर-परिवार से दूर उन्हें हफ्तों बाहर रहना पड़ता है।

[असमंजस से आत्मविश्वास तक]

एक्शन डायरेक्टर वीरू देवगन के बेटे अजय देवगन का आरंभ से ही फिल्मों से लगाव रहा। हर युवक की तरह शुरू में वे भी स्पष्ट नहीं थे कि क्या करना है? आरंभिक झुकाव निर्देशन की तरफ रहा। शेखर कपूर और दीपक शिवदासानी की सहायक रहे। अतीत के पन्नों को पलटते हुए अजय ने कहा, ''मेरे पिता फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा था। फिल्मी आंगन में ही मैं बड़ा हुआ। शुरू में खुद वीडियो फिल्में बनाई और शेखर एवं दीपक का सहायक रहा। निर्देशन में संभावनाएं दिख रही थीं। एक्टर बनने को लेकर ज्यादा आश्वस्त नहीं था। इतना तय था कि फिल्मों में ही कुछ करना है। सच कहूं तो फूल और कांटे मिलने तक असमंजस में था। फिल्म चली, दर्शकों का प्यार मिला और मुझे अपनी पहचान के साथ अपने पांव पर खड़े रहने की जमीन मिल गई।''

[आंखों की वह उदास बेचैनी]

फूल और कांटे के प्रीमियर का निमंत्रण लेकर अजय देवगन महेश भट्ट से मिलने गए थे। महेश भट्ट ने उस लमहे को याद करते हुए लिखा है, ''हमलोग संजय दत्ता और श्रीदेवी की गुमराह की शूटिंग कर रहे थे। उस फिल्म के निर्माता यश जौहर थे। हम दोनों एयरकंडीशंड मेकअप वैन में बैठे थे। दरवाजे पर दस्तक देने के बाद साधारण एवं औसत चेहरे का एक लड़का संकोच के साथ अंदर आया। फाइट मास्टर वीरू देवगन के बेटे के रूप में अपना परिचय देते हुए उसने कहा, ''मेरे पापा ने आप दोनों को आज प्रीमियर पर बुलाया है, जरूर आइएगा।'' उसके निकलते ही यश जौहर ने सवाल किया, ''क्या यह लड़का हीरो बन सकता है?'' मेरा जवाब था, ''मुझे उसमें संभावना दिखती है। उसमें एक इंटेनसिटी है। अगर किसी निर्देशक ने उस इंटेनसिटी को उभारा तो वह पर्दे पर कमाल कर देगा। क्या आप ने उसकी आंखें देखीं? लगता है कहीं गहरे चोट लगी है दिल में, उसकी आंखों में एक उदास बेचैनी है।''

[नए अभिनेता जैसी तल्लीनता]

प्रियदर्शन गरम हवा में पहली बार अजय देवगन को निर्देशित कर रहे हैं। उत्तारभारत के बैकड्राप पर बन रही यह फिल्म मुश्किल समय की खलबली का चित्रण करती है। प्रियदर्शन कहते हैं, ''अजय ऊपरी तौर पर शांत और स्थिर दिखते हैं, लेकिन उनके अंदर भारी उथल-पुथल चल रही होती है। इतनी फिल्में करने के बावजूद उनकी तल्लीनता और सहभागिता किसी नए अभिनेता जैसी है। वे संतुष्ट भी हैं। मैंने कभी उन्हें अपने सीन के लिए परेशान नहीं देखा।'' प्रकाश झा की फिल्म राजनीति में मनोज बाजपेयी ने उनके साथ काम किया है। कई दृश्यों में दोनों साथ दिखेंगे। अजय के साथ अपने अनुभवों को शेयर करते हुए मनोज बाजपेयी कहते हैं, ''अपनी योग्यता और क्षमता पर उन्हें यकीन है, लेकिन वे कभी इसका प्रदर्शन नहीं करते। वे अपने किरदार को सुनते हैं और फिर निर्देशक के सुझाए मनोभाव को अपने खास अंदाज में पेश करते हैं।''

[बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल]

संवादों पर अजय की निर्भरता नहीं रहती। एक्टिंग में एक्सप्रेशन के महत्व पर अजय देवगन की स्पष्ट राय है, ''कई बार संवाद से अधिक इंपैक्ट एक्सप्रेशन का होता है। मैं अपनी चुप्पी, आंखों और चाल का इस्तेमाल करता हूं। मुझे लगता है कि फिल्म सिर्फ संवादों का माध्यम नहीं है। अगर वही करना है तो रेडियो प्ले करें।'' अजय देवगन की इस खूबी को प्रकाश झा एक्टिंग की इकॉनोमी कहते हैं। गंगाजल और अपहरण के बाद राजनीति के साथ दोनों की सामाजिक-राजनीतिक फिल्मों की त्रयी पूरी होगी। प्रकाश झा के शब्दों में, ''अजय अपनी पीढ़ी के सशक्त अभिनेता हैं। उन्हें मालूम रहता है कि हर सीन में उन्हें कितना एक्ट करना है। वे फालतू एक्टिंग नहीं करते और न ही ओवरबोर्ड जाते हैं। वे अपने किरदारों को समझते और विकसित करते हैं। पर्दे पर उसे निखार देते हैं।''

अजय देवगन की इस साल की छह फिल्मों की लिस्ट में हर विधा की फिल्में हैं। कामेडी, सोशल ड्रामा, एक्शन और थ्रिलर; सच्ची ऐसी वैरायटी समकालीन स्टारों में किसी और के पास नहीं हैं।

[कॅरिअर का टर्निग प्वाइंट]

अजय देवगन की आंखों की उदास बेचैनी और अंदरूनी आक्रामकता को महेश भट्ट ने अपनी फिल्म जख्म में उभारा। अजय देवगन जख्म को अपने कॅरिअर का टर्निग प्वाइंट मानते हैं। उन्होंने बताया, ''मुझे जख्म और उसके बाद हम दिल दे चुके सनम और प्यार तो होना ही था से बड़ी पहचान मिली। इन तीनों फिल्मों के पहले मेरे पास घिसी-पिटी एक्शन फिल्में आ रही थीं। एक्शन में भी नयापन नहीं बच गया था। इन तीन फिल्मों के बाद मुझे बेहतर संभावनाओं के बेहतरीन किरदार मिलने लगे।'' अजय देवगन एक्टर की जन्मजात और नैसर्गिक प्रतिभा पर यकीन करते हैं। वे मानते हैं कि डायरेक्टरों और फिल्मों से हम उस मौलिक योग्यता को मांजते और निखारते हैं।


Comments

मैंने पहली बार अजय देवगन की इस तरह की तारीफ पढ़ी है।


आभार...
SHASHI SINGH said…
नि:संदेह अजय मीडिया में अपने समकालीनों की तुलना में कम चर्चित रहे हैं लेकिन इनका काम किसी भी तरह बाकियों से कम नहीं बैठता। अपनी पीढ़ी में उनका मुकाबला सिर्फ और सिर्फ आमिर से है... और किसी से नहीं। युवा, भगत सिंह, शिखर, गंगाजल, अपहरण जैसी फिल्में इसकी गवाही देती हैं।
Anonymous said…
ajay devgan super star he inke jaisha kam or koi nahi kar sakata
agar sach me dekha jaye to ajay devgan jeaise super star aaj film industry me bahut kam he jo sirf award lena hi apna kam nahi samajate wo film me apane kirdar ko parde per sanwarne ka kam karate he. asali mayane me socha jaye to ajay devgan aaj film industry ke sultaan he..........

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