शाहरूख खान से अजय ब्रह्मात्‍मज की बातचीत

-अजय ब्रह्मात्‍मज 
( कुछ कारणों से फिलहाल पूरा इंटरव्‍यू यहां नहीं दे रहा हूं। चवन्‍नी के पाठकों के सवालों के जवाब मेरे पास ही हैं। जल्‍दी ही सब कुछ यहां होगा।धैर्य रखें। मैंने रखा है।)
शाहरुख खान के परिचित जानते हैं कि वह बेलाग बातें करते हैं। उनके जवाबों में जिंदगी का अनुभव और दर्शन रहता है। धैर्यवान तो वह पहले से थे, फिलहाल उनका एक ही मकसद है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा खुश रहें और दूसरों को खुश रखें। इस बातचीत में कई बार उनका गला रुंधा। बच्चों की बातें करते हुए आवाज लरजी। माता-पिता को याद करते समय उनके स्वर का कंपन सुनाई पड़ा। शाहरुख निजी जीवन में भी खुद को किंग मानते हैं और किसी बादशाह की तरह सब कुछ मुट्ठी में भरना चाहते हैं। एक फर्क है, उनकी मुट्ठी जब-तब खुल भी जाती है दोस्तों और प्रशंसकों के लिए, परिवार के लिए तो वे समर्पित हैं ही...

चर्चा तो यह थी कि आप रोहित शेट्टी के साथ 'अंगूर' करने वाले थे, फिर 'चेन्नई एक्सप्रेसÓ में कैसे सवार हो गए? क्या है आपकी इस अगली फिल्म की थीम?
दोनों ही रोहित के आइडिया थे और अंतत: मुझे मिली चेन्नई एक्सप्रेस। मेरे लिए यह बड़ी फिल्म है। इसमें मुंबई से मैं अपने दादा की अस्थियां रामेश्वरम में बहाने जा रहा हूं। यही दादा की आखिरी इच्छा थी। मेरे मन में है कि रामेश्वरम जाने के बजाए गोवा चला जाऊंगा। अस्थियां तो कहीं भी बह जाएंगी। सोच रखा है कि थोड़ी मौज-मस्ती करके लौट आऊंगा। स्टेशन पर दादी से झूठ बोलकर मैं दक्षिण भारत जा रही एक ट्रेन में चढ़ जाता हूं कि कल्याण में उतर कर कोई और ट्रेन ले लूंगा। कुछ ऐसा होता है कि मैं उस ट्रेन से उतर नहीं पाता। ट्रेन की वह गलत जर्नी मुझे जिंदगी का सही रास्ता दिखा देती है। दार्शनिक स्तर पर यही थीम है। दूसरी परत यह है कि अपने ही देश में हम एक-दूसरे की भाषा नहीं समझते। एक-दूसरे के लिए एलियन हैं। चेन्नई एक्सप्रेस की जोड़ी देश की बात करती है। चेन्नई एक्सप्रेस बताती है कि यह देश क्यों एक है?

फिल्मी गलियारों में चर्चा है कि यह फिल्म न चली तो आपका क्या होगा?क्या होगा? सबकुछ बेचकर चला जाऊंगा? मुझ पर बीस-बाइस सालों से यही सवाल मंडराता रहता है। हमेशा मेरी ही चिंता क्यों की जाती है? कोई नया आता है तो मैं खत्म हो जाता हूं। कोई पुराना आगे बढ़ता है तो मेरे खत्म होने की बात की जाती है। मुझे यह सब सुनकर अच्छा नहीं लगता। बच्चे बड़े हो गए हैं। वे पढ़ते हैं तो उन्हें भी बुरा लगता है। मैं बहुत कम फिल्में करता हूं। जो करता हूं, उन्हें बहुत यकीन से करता हूं। इतना वादा करता हूं कि अपनी दुकान चलाता रहूंगा।

लोग कहते हैं कि आप फिल्मों में काम करने के पैसे नहीं लेते। अगर यह सच है तो आपका कारोबार कैसे चलता है?
पैसों के लिए मैं अवॉर्ड फंक्शन और शादियों में नाचता हूं। एड फिल्में करता हूं। यकीन करें फिल्में अभी तक मेरा धंधा नहीं हैं। कैसी भी फिल्म हो उसे दिल से करता हूं। सिंपल सी बात बताता हूं। मैं 300 दिन रोजाना 18 घंटे काम करता हूं। 18 घंटे काम कर लौटता हूं तो बीवी-बच्चों से बात करता हूं और सो जाता हूं। जहां 18 घंटे काम करता हूं, वहां दिल से काम करता हूं। ये जो घर है, गाड़ी है, नाम है; इसके लिए मेहनत करता हूं। चोट भी लगती है। अभी हाथ का ऑपरेशन कराकर बैठा हूं। चोट लगने पर ही छुट्टी मिलती है। 22 सालों के कॅरियर में एक भी फिल्म किसी और वजह से नहीं की। मैंने कमाई के वैकल्पिक रास्ते बना लिए हैं।

लेकिन इसकी वजह से आपकी बदनामी भी हुई कि शाहरुख लोगों की शादी में नाचते हैं...नाचने और एंकरिंग करने की बदनामी से मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं यह तो कह सकता हूं न कि फिल्मों में कभी चोरी नहीं की। मेरी आत्मा सच्ची है। फिल्मों से मैं कभी समझौता नहीं कर सकता। मेरी इज्जत इसी वजह से है कि मैंने फिल्मों को धंधा नहीं बनाया। इसके बावजूद ऐसा नहीं है कि लोग मुझे पैसे नहीं देते। डॉन में उन्होंने मुझे पार्टनर बना दिया। अभी तक उसके पैसे आते रहते हैं। स्वदेस के समय आशुतोष को बोला था कि पैसे बच जाएं तो मुझे दे देना। उनके पैसे नहीं बचे। फिल्म नहीं चली तो भी मेरा धंधा तो चल ही रहा है। निर्माता-निर्देशक दो साल में एक फिल्म बनाते हैं। फिल्म नहीं चली तो मेरा क्या दायित्व बनता है? मैं आपसे पैसे वसूल लूं क्या? अरे भाई मेरे तो 21 धंधे चल रहे हैं। मेरे पास पैसे आ रहे हैं। आपसे कुछ करोड़ ले लूंगा तो क्या हो जाएगा? मैं किसी अहंकार से यह नहीं बोल रहा हूं। लोग मुझे किंग खान कहते हैं तो सच है न कि राजा कुछ मांगेगा नहीं। अगर आप कमाओगे तो खुद ही दे दोगे। मैं ऐसा कर ही नहीं सकता कि निर्माता मर जाए, लेकिन वह मेरे पैसे दे दे।

आपकी पूरी मेहनत, काबिलियत, उपलब्धियों और कामयाबी का हासिल क्या है?
(ठहर कर) मुझे नहीं मालूम पर कोशिश है कि उन लोगों से मिलूं या उनके साथ काम करूं, जिनसे मिलकर खुशी होती है। काम तो भांडगिरी का ही है। सभी प्रशंसकों से मिल लूं। वे ट्विटर, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया नेटवर्क पर इतना प्यार जताते हैं। रियल लाइफ में दुनियाबी तरीके से देखें तो माशाअल्लाह घर अच्छा है। पैसे अच्छे हैं। बच्चों को अच्छी पढ़ाई मिल जाएगी। मेरे मां-बाप ने मेरे लिए घर नहीं छोड़ा था। वे बहुत सारी सीख छोड़ कर गए थे। उसकी वजह से मैं कुछ बन गया। मुझे एक कदम आगे चलना है। मेरा हासिल मेरे बच्चे आर्यन और सुहाना ही हैं। मैंने अपने बच्चों को सीख के साथ एक घर भी दे दिया। उनके सिर पर छत रहेगी। उम्मीद है कि वे मुझसे ज्यादा कमाएंगे। उम्मीद है मैं उनके साथ ज्यादा रहूंगा। मेरे मां-बाप मेरे साथ नहीं रहे। मन दुखी होता है तो कमी महसूस होती है- काश, मम्मी-डैडी होते। जाकर उनके पास बैठ जाता। मां बूढ़ी हो गई होती। मैं उसकी गोद में सो जाता।

आपके माता-पिता ने आपको जिंदगी के क्या सबक दिए? उनमें से आपने अपने बच्चों को क्या दिया?
मेरे पिता में बहुत धैर्य था। स्वीकार करने की उनकी क्षमता अद्भुत थी। वे जज नहीं करते थे। आप जैसे भी हो, रहो। वे लक्षण, चरित्र, स्वभाव, मिजाज की बातें ही नहीं करते थे। बच्चों को मैंने 'सेंस ऑफ कंपटीशन' दिया है। कुछ करो तो उसमें श्रेष्ठ हो, ये कोशिश करो।

कभी अकेले नहीं होते शाहरुख खान...?
अगर चोटी पर हूं तो अकेला हूं। अभी बातें चल रही हैं कि नीचे आ गया हूं। यह एक तरह से अच्छा ही है। दो-चार लोग साथ में मिल जाएंगे। मजाक छोड़ें, असल जिंदगी में मैं निहायत अकेला हूं। फिल्मों में काम करते-करते कहीं पर बेसिक और नॉर्मल जिंदगी से मेरा टच खत्म हो गया है। बीवी और बच्चों से अटूट रिश्ता है। बाकी से मुझे निभाना ही नहीं आता। शायद वक्त की कमी से रिश्ता बनाना नहीं आता। मुझे लगता है कि मेरा एक गाना मेरी जिंदगी का बयान करता है- मुझसे लायी भी नहीं गई और निभायी भी नहीं गयी। मैं तोड़ भी नहीं पाता, जोड़ भी नहीं पाता। मैं चार दोस्तों के साथ मिलकर हंसता-खेलता नहीं। मैं इन चीजों को मिस करता हूं। शायद मेरी उम्र हो गई है। मैं उस दिन अपनी बीवी से पूछ रहा था कि तुम लोग कैसे इतनी देर तक साथ बैठे रहते हो? गप्पें मारते हो। चाय पीते हो। पार्टी होती है। बच्चों से भी यही सवाल पूछा। वे हंस पड़े। मुझे यह अरेंज करना ही नहीं आता।

इस अकेलेपन में क्या करते हैं?
अकेला होने पर मैं किताबें पढ़ता हूं। मूड करता है तो लिखता हूं। मेरी आत्मकथा अभी तक पड़ी हुई है। काफी लिखी जा चुकी है। अभी भी लिख रहा हूं। अभी यही उत्साह है कि चोट लगी है तो इस छुट्टी के दौरान आत्मकथा लिख दूं।

क्या कोई बॉयोग्राफर शाहरुख खान को महसूस कर पाया?
सच कहूं, मैंने खुद पर लिखी एक भी किताब नहीं पढ़ी है। बहुत पहले भट्ट साहब ने कहा था कि अपने ऊपर लिखे लेख और किताबें पढऩा सबसे बड़ी गलती है। मैं ऐसी गलती नहीं करता। उन्होंने कहा था कि तुमसे बेहतर तुमको कौन जानता है? फिर क्यों मोटी-मोटी किताबें पढ़ूं?
 
सर्कस की सीख
 
''सर्कस के दिनों में के.एन. सिंह के बेटे पुष्कर उस सीरियल के चीफ असिस्टेंट थे। एक बार उनके साथ के.एन. सिंह से मिलने गया था। तब वे देख नहीं सकते थे। उन्होंने पास बुलाया और मेरे चेहरे को उंगलियों से टटोला। उन्होंने एक ही बात कही ऑबजर्व, एबजर्व एंड टेक इट आउट ऑफ योर सिस्टम व्हेन कॉल्ड अपॉन टू डू सो। (देखो और आत्मसात करो। जब करने के लिए कहा जाए तो अपने सिस्टम से उसे निकालो और उड़ेल दो)। सच कहूं तो मैं वही करता रहा हूं। डायरेक्टर के एक्शन बोलते ही अपने अनुभव उड़ेल देता हूं।''
 
जब याद मेरी आए
 
''मैं चाहूंगा कि लोग मुझे इस बात के लिए याद रखें कि शाहरुख ने कोशिश बहुत की थी। मेरी कब्र पर लिखा हो - हियर लाइज शाहरुख खान एंड ही ट्रायड (यहां शाहरुख खान लेटे हैं। उन्होंने बहुत कोशिशें की थीं) मेरी कामयाबी मत गिनो, कोशिशें गिनो। मेरी कोशिशें ही मेरा हासिल हैं।''

स्टारडम का कवच
 
''आरंभिक दो-चार मुलाकातों में मैं लोगों को बहुत भाता हूं। मैं अमूमन बदतमीजी नहीं करता। बहुत प्यार से मिलता हूं। लोगों को लगता है कि इतना बड़ा स्टार होकर भी इतना विनम्र है? फिर कुछ मुलाकातें हो जाती हैं तो उन्हें लगने लगता है कि मैं एक्टिंग करता हूं। तीसरे फेज में मैं लोगों को अनरियल लगने लगता हूं। मुझे भी ऐसा लगता है कि जब लोग मेरे बहुत करीब आ जाते हैं तो मेरा और उनका तालमेल नहीं रह जाता। स्टारडम का कवच किसी को भी मेरे करीब नहीं आने देता।''


अलग है मेरा मिजाज
 
''मेरी सोच थोड़ी सी अलग है। आजाद खयाल हूं। बहुत खुले दिमाग का हूं। अलग किस्म का दिल है मेरा। मैं गलतियां माफ कर देता हूं तो लोग समझते हैं कि मैं डर गया। मैं संवेदनशील होकर बुरा मान जाता हूं तो लोग कहते हैं कि पता नहीं यह अपने आपको क्या समझता है?''
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Comments

Anonymous said…
one of the most honest, and frank interview i read of shahrukh ! in general, all of his interviews are extremely good. bt this one was even more special. ! look forward to hear complete version..
S K Jain said…
लगता है शाहरुख़ को दैनिक जागरण की याद आ गयी। जब तक है जान को आपने दो सितारे दिए थे और फिल्म वास्तव में फ्लाप हो गयी थी। अब कही अभीभूत होकर चेन्नई एक्स्प्रेस को चार सितारे न दे दें अजय जी। फिल्म अच्छी हो तो पांच सितारे दें पर मात्र एक शाहरुख से मुलाक़ात पर नही।
Anonymous said…
can't u put in english? I also want to read it.
Seema Singh said…
शाहरुख़ खान,पुरसुकू दुनिया में किसी को हासिल नहीं,यहाँ स्वर्गीय अदाकारा मीनाकुमारी के तहेदिल से लिखी एक नज्म है जो शायद आप से कुछ कहती है ...; साया -- एक हमारा साया ही जो साथ था पहले अब भी है
एक फकीरों-सा एहसास जो पहले था सो अब भी है
कैसे उजाले कितनी राहें
कैसे अंधेरे कितनी रातें
हर नुक्कड़ पर ढूंढा जिनको,मुट्ठी से वह फिसल पड़े
और हाथ हमारा खाली ही जो पहले था सो अब भी है
हर नुक्ते का सीना छलनी
हर लम्हे को जीना मरना
भीख मिली सांसों के एवज एहसां को ईमां कर लेना
देने वाला देता रहा,फिर
शिकवा क्यों ? कैसा ? किससे ?
लालच का भंवर तो अपना ही जो पहले था सो अब भी है ॥॥
Unknown said…
I love his interview because he is very frank and ppl know everything abt his life....
O.P.Pandey said…
Shahrukh is real hero. he has a good heart. he speak with heart. its a fine and lessonable interview for the readers....koshishe hi kamyaab hoti hain sir, kaun janta hai har kaam ki buniyaad use safalta dila hi degi...simply the don of acting, shahrukh follow bhagwadgita...
Unknown said…
SRK luv u alot...aapke interviews padhna mujhe bht bht pasand hai,,kyunki aap jo v bolte ho dil se bolte hai....n JTHJ ke superhit hone ke baat Ab Chennai express BB hoge...

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