लोकेशन से लव हो गया - रिभु दासगुप्‍ता




-अजय ब्रह्मात्‍मज
अमिताभ बच्‍चन,विद्या बालन और नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्‍म तीन के निर्देशक रिभु दासगुप्‍ता हैं। कोलकाता की पृष्‍ठभूमि पर बनी तीन रोचक और रोमांचक फिल्‍म है। निर्माता सुजॉय घोष पहले इसे गोवा की पृष्‍ठभूमि में शूट करना चाहते थे,लेकिन अमिताभ बच्‍च्‍न की हां के बाद उन्‍होंने फिल्‍म के चौथे किरदार यानी लोकेशन के रूप में कोलकाता को चुना। रिभु दासगुप्‍ता ने तीन में उस कोलकाता की झलक दी है,जो प्राचीन होने के साथ समीचीन भी है।
-कैसे मिला यह मौका ?
0 सुजॉय घोष और मैा काफी दिनों से एक स्क्रिप्‍ट पर साथ काम कर रहे थे। तय था कि अमिताभ बच्‍चन के साथ ही वह फिल्‍म करनी है। बीच-बीच में उनसे मुलाकात होती रहती थी। केरल पर भी बात चल रही थी। एक दिन यों ही बातें हो रही थीं तो मैंने तीन के आइडिया सुनाया। इसे सुनते ही उन्‍होंने कहा कि पहले इसे करते हैं। फिर हम ने फटाफट काम किया। पहले गोवा में शूट करने का इरादा था। अमित जी ने कोलकाता का सुझाव दिया।-उनके साथ कैसा अनुभव रहा। आप पहली फिल्‍म कर रहे हों तो उनकी लोकप्रियता और नाम का दबाव तो रहा होगा ?
0 उनके व्‍यक्तित्‍व और काम में सकारात्‍मकता है। उनकी मौजूदगी से जोश बढ़ जाता है। मैंने उनके साथ युद्ध टीवी शो किया था। तभी से कुठ ना कुछ सुनाया करता का उन्‍हें।- कितने अच्‍छे श्रोता हैं अमित जी?
0 बहुत ही अच्‍छे श्रोता हैं। वे न्‍यू कमर या ओल्‍ड हैंड का फर्क नहीं करते। एक्टिव श्रोता हैं। पूरा समय और आदर देते हैं। उनके लिए कहानी पंमुख है। अभी वे जैसी स्क्रिप्‍ट चुन रहे हैं,उससे उनकी क्‍वलिटी का पता चलता है। उनका सेंस ऑफ स्क्रिप्‍ट जबरदस्‍त है। इसके लिए उन्‍हें श्रेय देना ही होगा।-तीन के बारे में बताएं। क्‍या तीनों किरदार एक-दूसरे को क्रॉस भी करते हैं?
0 तीनों किरदार कोलकाता से हैं। जॉन विश्‍वास बुजुर्ग हैं। अपने पुराने स्‍कूटर पर चलते हैं। कोलकाता में पुरानी चीजों से सम्‍मोहन बना रहता है। वे नॉर्थ कोलकाता में धर्मतल्‍ला के आगे रहते हैं। नवाज पादरी बने हैं। उन्‍होंने ऐसा किरदार पहले नहीं निभाया है। विद्या बालन लाल बाजार की सीनियर पुलिस अधिकारी हैं। जॉन विश्‍वास की पोती खो गई है। तीनों किरदार उसकी खोज से जुड़े हैं।-आप स्‍वयं बंगाली हैं। क्‍या बंगाली बुजुर्ग थोड़े ज्‍यादा जिज्ञासु और अलर्ट होते हैं?
0 बंगाल के बुजुर्ग जिंदगी एंज्‍वॉय करना नहीं छोड़ते। वे सभी अड्डेबाजी करते हैं। घर-बाजार के काम मेंभ मशगूल रहते हैं। हर बंगानी राजनीति,खेल,फिल्‍म बौर भोजन पर घंटों बात कर सकता है। वे जागरूक तो हैं ही। वे जल्‍दी चिढ़ते हैं,रुठते हैं और तेजी से मान जाते हैं।
-जॉन विश्‍वास के साथ क्‍या हो गया है? कोलकाता पर भी आप ने फोकस किया है।
0 उनकी पोती खो गई है। जॉन न्‍याय चाहते हैं। उसके लिए जूझ रहे हैं। हम ने जॉन के साथ कोलकाता को भी किरदार के तौर पर पेश किया है। फिल्‍म का चौथा कैरेक्‍टर है कोलकाता। सभी जानते हैं कि अमित जी आठ साल कोलकाता में रह चुके हैं। मैंने और सुजॉय ने उन्‍हें कहा था कि इस फिल्‍म के दरम्‍यान हम उन्‍हें उस कोलकाता का दर्शन करवाएंगे,जो उन्‍होंने पहले नहीं देखा होगा। कहानी में विद्या बालन आउटसाइडर थी। तब कोलकाता एक आउटसाइडर के नजरिए से दिखा था। इस बार एक कोलकातावासी को शहर में आप विचरते देख सकेंगे।
-कुछ खास जो आप बताना चाहें...0 कोलकाता में अमिताभ बच्‍चन की विचित्र फैन फॉलोइंग है। हर दिन हमारे सेट पर 7-800 पुलिस रहती थी। रोजाना कम से कम 8000 क्राउड रहता था। कई बार 15000 से भी ज्‍यादा भीड़ हो जाती थी। फिर भी उन्‍होंने कभी तंग नहीं किया। वे पूरा सहयोग देते हैं। अमित जी को देखने के लिए 6 साल से 60 साल की उम्र के सभी लोग आते थे।-अपने बारे में थोड़ बता दें?
0 मेरे दादाजी हरिसाधन दासगुप्‍ता देश के पायोनियर डाक्‍सूमेंट्री फिल्‍ममेकर थे। मेरे पिता राजा दासगुप्‍ता और मेरा बड़ा भाई बिरसा दासगुप्‍ता भी फिल्‍ममेकर हैं। मेरे बड़ भाई बिरसा अनुराग कश्‍यप के साथ ब्‍लैक फ्रासयडे में जुड़े थे। तब वे मिडडे में काम करते थे। मैं मुंबई आ गया। यहां पढ़ाई की और फिर अनुराग के साथ जुड़ गया। उनके साथ मैंने माइकल नामक फिल्‍म की थी। मैंने यहां कोशिश की। मेरी दूसरी फिल्‍म रिलीज हो रही है।

Comments

sameer said…
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