Posts

Showing posts with the label अभिषेक बच्‍चन

आत्मविश्वास से लंबे डग भरतेअभिषेक बच्चन

Image
-अजय ब्रह्मात्मज     हमेशा की तरह अभिषेक बच्चन की मुलाकात में मुस्कान तैरती रहती है। उनकी कबड्डी टीम पिंक पैंथर्स विजेता रही। इस जीत ने उनकी मुस्कान चौड़ी कर दी है। अलग किस्म का एक आत्मविश्वास भी आया है। आलोचकों की निगाहों में खटकने वाले अभिषेक बच्चन के नए प्रशंसक सामने आए हैं। निश्चित ही विजय का श्रेय उनकी टीम को है,लेकिन हर मैच में उनकी सक्रिय मौजूदगी ने टीम के खिलाडिय़ों का उत्साह बढ़ाया। इस प्रक्रिया में स्वयं अभिषेक बच्चन अनुभवों से समृद्ध हुए।     वे कहते हैं, ‘जीत तो खैर गर्व की अनुभूति दे रहा है। अपनी टीम के खिलाडिय़ों से जुड़ कर कमाल के अनुभव व जानकारियां मिली हैं। हम मुंबई में रहते हैं। सुदूर भारत में क्या कुछ हो रहा है? हम नहीं जानते। उससे अलग-थलग हैं। हमारी टीम में अधिकांश खिलाड़ी सुदूर इलाकों से थे। मैं तो टुर्नामेंट शुरू होने के दो हफ्ते पहले से उनके साथ वक्त बिता रहा था। उनसे बातचीत के क्रम में उनकी जिंदगी की घटनाओं और चुनौतियों के बारे में पता चला। उनके जरिए मैं सपनों की मायावी दुनिया से बाहर निकला। असली इंडिया व उसकी दिक्कतों के बारे में पता चला। उन तमाम दिक्कतों के

फिल्‍म समीक्षा : बोल बच्‍चन

Image
  एक्शन की गुदगुदी, कामेडी का रोमांच  पॉपुलर सिनेमा प्रचलित मुहावरों का अर्थ और रूप बदल सकते हैं। कल से बोल वचन की जगह हम बोल बच्चन झूठ और शेखी के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। वचन बिगड़ कर बचन बना और रोहित शेट्टी और उनकी टीम ने इसे अपनी सुविधा के लिए बच्चन कर दिया। वे साक्षात अमिताभ बच्चन को फिल्म की एंट्री और इंट्रो में ले आए। माहौल तैयार हुआ और अतार्किक एक्शन की गुदगुदी और कामेडी का रोमांच आरंभ हो गया। रोहित शेट्टी की फिल्म बोल बच्चन उनकी पुरानी हास्य प्रधान फिल्मों की कड़ी में हैं। इस बार उन्होंने गोलमाल का नमक डालकर इसे और अधिक हंसीदार बना दिया है। बेरोजगार अब्बास अपनी बहन सानिया के साथ पिता के दोस्त शास्त्री के साथ उनके गांव रणकपुर चला जाता है। पितातुल्य शास्त्री ने आश्वस्त किया है कि पृथ्वीराज रघुवंशी उसे जरूर काम पर रख लेंगे। गांव में पृथ्वीराज रघुवंशी को पहलवानी के साथ-साथ अंग्रेजी बोलने का शौक है। उन्हें झूठ से सख्त नफरत है। घटनाएं कुछ ऐसी घटती हैं कि अब्बास का नाम अभिषेक बच्चन बता दिया जाता है। इस नाम के लिए एक झूठी कहानी गढ़ी जाती है और फिर उसके मुताबिक

दर्शक मेरे साथ हैं और क्या चाहिए? -रोहित शेट्टी

Image
  -अजय ब्रह्मात्मज     ‘जमीन’ से ‘सिंघम’ तक की यात्रा में रोहित शेट्टी ने एंटरटेनिंग फिल्मों की श्रेणी में अपना खास स्थान बना लिया है। कामेडी, कामेडी में एक्शन या एक्शन कामेडी और एक्शन फिल्मों में उनका जोड़ नहीं है। अजय देवगन के साथ उनकी बेहतरीन अंडरस्टैंडिंग है। उनकी फिल्मों में सहयोगी कलाकारों के साथ हीरोइनें बदल जाती हैं, लेकिन अजय देवगन एवं बाकी तकनीकी टीम वही की वही रहती है। अब शायद थोड़ा परिवत्र्तन हो, क्योंकि रोहित शेट्टी की अगली फिल्म शाहरुख खान के साथ ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ होगी। फिलहाल, रोहित शेट्टी ने अगली फिल्म ‘बोल बच्चन’ के बारे में बातें थीं? - क्या है ‘बोल बच्चन’? 0 यह एक फैमिली एंटरटेनिंग फिल्म है। इसमें कामेडी है, एक्शन है, गाडिय़ां उड़ती हैं और दो-दो बच्चन हैं। नीट एंड क्लीन मसाला एंटरटेनर है। आप पूरी फैमिली के साथ देख सकते हैं। दो-ढाई घंटे का ज्यॉय राइड है। - हर फिल्म में कुछ नयापन तो लाना पड़ता होगा। वर्ना दर्शक ऊब जाएंगे? 0 वह मेरी लेखन टीम करती है। लोग मुझसे पूछते हैं कि आपकी फिल्म की यूएसपी (यूनिक सेलिंग पाइंट) क्या है? मैं हमेशा कहता हूं कि यह दर्शक बताएं कि उन्

तीन तस्‍वीरें : बोल बच्‍चन में सीनियर और जूनियर बच्‍चन

Image
सौजन्‍य अमिताभ बच्‍चन का ब्‍लॉग

फिल्‍म समीक्षा : खेलें हम जी जान से

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज आजादी की लड़ाई के अनेक शहीद गुमनाम रहे। उनमें से एक चिटगांव विद्रोह के सूर्य सेन हैं। आशुतोष गोवारीकर ने मानिनी चटर्जी की पुस्तक डू एंड डाय के आधार पर उनके जीवन प्रसंगों क ो पिरोकर सूर्य सेन की गतिविधियों का कथात्मक चित्रण किया है। स्वतंत्रता संग्राम के इस अध्याय को हम ने पढ़ा ही नहीं है, इसलिए किरदार, घटनाएं और प्रसंग नए हैं। खेलें हम जी जान से जैसी फिल्मों से दर्शकों की सहभागिता एकबारगी नहीं बनती, क्योंकि सारे किरदार अपरिचित होते हैं। उनके पारस्परिक संबंधों के बारे में हम नहीं जानते। हमें यह भी नहीं मालूम रहता है कि उनका चारीत्रिक विकास किस रूप में होगा। हिंदी फिल्मों का आम दर्शक ऐसी फिल्मों के प्रति सहज नहीं रहता। खेलें हम जी जान से 1930 में सूर्य सेन के चिटगांव विद्रोह की कहानी है। उन्होंने अपने पांच साथियों और दर्जनों बच्चों के साथ इस विद्रोह की अगुवाई की थी। गांधी जी के शांति के आह्वान के एक साल पूरा होने के बाद उन्होंने हिंसात्मक क्रांति का सूत्रपात किया था। सुनियोजित योजना से अपने सीमित साधनों में ही चिटगांव में अंग्रेजों की व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया

फिल्‍म समीक्षा रावण

मनोरम दृश्य, कमजोर कथा -अजय ब्रह्मात्‍मज मणि रत्‍‌नम की रावण निश्चित ही रामायण से प्रेरित है। अभिषेक बच्चन रावण उर्फ बीरा, ऐश्वर्या राय बच्चन रागिनी उर्फ सीता और विक्रम देव उर्फ राम की भूमिका में हैं। बाकी पात्रों में भी रामायण के चरित्रों की समानताएं रखी गई हैं।मणि रत्‍‌नम इस फिल्म के अनेक दृश्यों में रामायण के निर्णायक प्रसंग ले आते हैं। पटकथा लिखते समय ही मानो हाईलाइट तय कर दिए गए हों और फिर उन घटनाओं के इर्द-गिर्द कहानी बुनी गई हो। इसकी वजह से उन दृश्यों में तो ड्रामा दिखता है, लेकिन आगे-पीछे के दृश्य क्रम खास प्रभाव नहीं पैदा करते। मणि रत्‍‌नम ने राम, सीता और रावण की मिथकीय अवधारणा में फेरबदल नहीं किया है। उन्होंने मुख्य पात्रों के मूल्य, सिद्धांत और क्रिया-कलापों को आज के संदर्भ में अलग नजरिए से पेश किया है। मणि रत्‍‌नम देश के शिल्पी फिल्मकार हैं। उनकी फिल्में खूबसूरत होती हैं और देश के अन देखे लोकेशन से दर्शकों का मनोरम मनोरंजन करती हैं। रावण में भी उनकी पुरानी खूबियां मौजूद हैं। हम केरल के जंगलों, मलसेज घाट और ओरछा के किले का भव्य दर्शन करते हैं। पूरी फिल्म मे

रावण का पोस्‍टर

Image
 रावण का पोस्‍टर देख कर आप की क्‍या राय बनती है ? दो-चार शब्‍दों में कुछ