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सजग-सक्रिय महानायक अमिताभ बच्‍चन

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जन्‍मदिन विशेष -अजय ब्रह्मात्‍मज दिलीप कुमार,मनोज कुमार,शशि कपूर,शत्रुघ्‍न सिन्‍हा,अमोल पालेकर,संजय खान,जीतेन्‍द्र कबीर बेदी,विनोद खन्‍ना,रणधीर कपूर,धर्मेन्‍द्र,सुरेश ओबेरा और अमिताभ बच्‍चन में एक समानता है कि सभी 70 की उम्र पार कर चुके हैं। इस सूची में और भी अभिनेताओं के नाम जोड़े जा सकते हैं। इनमें केवल अमिताभ बच्‍चन अभी अपनी सक्रिय मौजूदगी से दर्शकों को विस्मित कर रहे हैं। हिंदी फिल्‍मों के इतिहास में खंगाल कर देखें तो दिलीप कुमार और अशोक कुमार 70 की उम्र के बाद भी फिल्‍मों में अभिनय करते रहे और दमदार मुख्‍य भूमिकाओं में नजर आते रहे।  दूसरे अभिनेताओं को भी छिटपुट फिल्‍में मिलीं। उन सभी में अमिताभ बच्‍चन के अलावा और कोई लीड भूमिकाओं में इतनी लंबी पारी तक अभिनय करता नजर नहीं आता। अमिताभ बच्‍चन फिल्‍मों के साथ ऐड पर्ल्‍ड और सोशल मीडिया में भी सक्रिय हैं। वहां भी लोग उप पर गौर करते हैं। उन्‍हें फॉलो करते हैं। उनके प्रशंसक बने हुए हैं। हालांकि अमिताभ बच्‍चन अपनी पिछली मुलाकातों में लगातार कहते रहे हैं कि अब फिल्‍मों का भार उनके कंधों पर नहीं रहता,लेकिन उनकी पिछली फिल्‍मों

अमिताभ बच्‍चन 75

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अमिताभ बच्‍चन के 75 वें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर चवन्‍नी चैप में पोस्‍ट किए कुछ संस्‍माणों,लेखों और इंटरव्‍यू के लिंक यहां दे रहा हूं। पढ़ें,मजा आएगा। http://chavannichap.blogspot.in/2008/10/blog-post_11.html http://chavannichap.blogspot.in/2008/12/blog-post.html http://chavannichap.blogspot.in/2008/12/blog-post_08.html http://chavannichap.blogspot.in/2010/10/blog-post_10.html http://chavannichap.blogspot.in/2010/10/blog-post_10.html http://chavannichap.blogspot.in/2013/10/blog-post_3739.html http://chavannichap.blogspot.in/2013/10/blog-post_9.html http://chavannichap.blogspot.in/2013/10/2.html http://chavannichap.blogspot.in/2013/10/blog-post_7.html http://chavannichap.blogspot.in/2012/10/70.html http://chavannichap.blogspot.in/2013/10/blog-post_8.html

निडर हो गई हूं-दीपिका पादुकोण

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जन्मदिन विशेेष (5 जनवरी 1986 को पैदा हुई दीपिका पादुकोण ने हिंदी फिल्मों में कामयाबी का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। ऐसी कामयाबी के बाद अभिनेत्रियों की चाल और सोच टेढ़ी हो जाती है। दीपिका में भी परिवत्र्तन आया है। अब वह अधिक संयत,समझदार और सचेत हो गई हैं। वह देश के पॉपुलर अभिनेताओं के समकक्ष दिख रही हैं।) -अजय ब्रह्मात्मज     हाल ही में  दीपिका पादुकोण ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के अपने परिचितों, दोस्तों और शुभचिंतकों को एक पंचतारा होटल में आमंत्रित किया। वह अपनी कामयाबी को सभी के साथ सेलिब्रेट कर रही थी। इस अवसर पर फिल्म इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण हस्ताक्षरों ने उपस्थिति दर्ज की। निस्संदेह दीपिका हीरोइनों की कतार में सबसे आगे आ खड़ी हुई हैं। छह साल पहले फराह खान की फिल्म ‘ओम शांति ओम’ से धमाकेदार शुरुआत करने के बाद कुछ फिल्मों में दीपिका की चमक फीकी हुई। आदतन आलोचकों और पत्रकारों ने उन्हें ‘वन फिल्म वंडर’ की संज्ञा दे दी। कहा जाने लगा कि फिर से उन्हें किसी शाहरुख खान की जरूरत पड़ेगी। निराशा के इसी दौर में दीपिका का प्रेम टूटा। असफलता के इस अकेलेपन को उन्होंने किसी खिलाड़ी की तरह अभ

दिलीप साब! आप चिरायु हों- अमिताभ बच्चन

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जन्मदिन विशेष हिंदी सिनेमा के महानतम अभिनेता दिलीप कुमार को सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के रुप में एक प्रिय प्रशंसक प्राप्त हैं. दिलीप कुमार को अमिताभ बच्चन अपना आदर्श मानते हैं. 11 दिसंबर को दिलीप कुमार जीवन के 89 बसंत पूरे कर रहे हैं. इस विशेष अवसर पर अमिताभ बच्चन के साथ दिलीप कुमार के बारे में रघुवेन्द्र सिंह ने बातचीत की. अमिताभ बच्चन के शब्दों में उस बातचीत को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है. मेरे आदर्श हैं दिलीप साहब दिलीप साहब को मैंने कला के क्षेत्र में हमेशा अपना आदर्श माना है, क्योंकि मैं ऐसा मानता हूं कि उनकी जो अदाकारी रही है, उनकी जो फिल्में रही हैं, जिनमें उन्होंने काम किया है, वो सब सराहनीय हैं. मैंने हमेशा उनके काम को पसंद किया है. बचपन में जब मैं उनकी फिल्में देखा करता था, तबसे उनका एक प्रशंसक रहा हूं. मुझे उनकी सभी फिल्में पसंद हैं, लेकिन गंगा जमुना बहुत ज्यादा पसंद आई थी. जब भी मैं दिलीप साहब को देखता हूं तो मैं ऐसा मानता हूं कि भारतीय सिनेमा के इतिहास में अगर कला को लेकर, अदाकारी को लेकर, जब कभी इतिहास लिखा जाएगा तो यदि किसी युग या दशक का वर्

47 के हुए आमिर खान

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-अजय ब्रह्मात्‍मज मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान आज 47 वर्ष केहो गए हैं लेकिन उनकी ऊर्जा आज भी किसी युवा स्टार से कम नहीं है। इसकी बड़ी वजह है कि वे अनुशासित तरीके से खुद को नए प्रोजेक्ट में झोंक देते हैं। फिल्में करते समय उनकी स्थिति किसी ऋषि जैसी हो जाती है, जो दीन-दुनिया से खुद को काट कर साधना में लीन रहता है। उनकी पत्नी किरण राव मानती हैं कि आमिर की यह तन्मयता संक्रामक होती है। उनके आसपास के लोग भी उसी अवस्था में रहने और जीने लगते हैं। स्वयं आमिर मानते हैं कि उनके जीवन में किरण के आने से उनके व्यक्तित्व, सोच और जीवन शैली में फर्क आया है। अब वे ज्यादा एकाग्र भाव से काम कर रहे हैं और जीवन को उसकी वैरायटी के साथ समझ रहे हैं। उम्र के अनुभव के साथ जिंदगी को सुकून और काम करने का नया जोश मिल गया है। बेमिसाल है समर्पण काम हो या परिवार, आमिर खान का समर्पण भाव बॉलीवुड में मिसाल है। 1 दिसंबर को तीसरी संतान आजाद के जन्म के बाद आमिर खान परिवार के बीच नजरबंद हो गए। जन्म के एक हफ्ते बाद ही उन्होंने पूरी दुनिया को बेटे के बारे में बताया। फिर पत्नी किरण के साथ आजाद की देखभाल में लग गए। करीबी बताते ह

अमिताभ बच्‍चन : हो जाए डबल आपकी खुशी -सौम्‍या अपराजिता /अजय ब्रह्मात्‍मज

कल 11 अक्टूबर को अमिताभ बच्चन का 68वां जन्मदिन है और कल ही शुरू हो रहा है 'कौन बनेगा करोड़पति' का चौथा संस्करण। इस अवसर पर उनसे एक विशेष साक्षात्कार के अंश.. [कल आपका जन्मदिन है। प्रशंसकों को क्या रिटर्न गिफ्ट दे रहे हैं?] उम्मीद करता हूं कि मेरा जन्मदिन मेरे चाहने वालों के लिए खुशियों की डबल डुबकी हो। जन्मदिन तो आते रहते हैं, पर इस बार कौन बनेगा करोड़पति मेरे जन्मदिन पर शुरू हो रहा है, यह मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात है। अभी तक मैंने जितने भी एपिसोड की शूटिंग की है, उसमें ज्यादातर प्रतियोगी छोटे शहरों और गांवों के लोग हैं। इंटरनेट और कंप्यूटराइजेशन की वजह से उनके पास भी बहुत सारा ज्ञान है। वे सब जानते हैं, पर धनराशि के अभाव में वे प्राइमरी एजुकेशन के बाद ज्यादा नहीं पढ़ पाते हैं। कई ऐसे प्रतियोगी केबीसी में आए हैं, जिन्होंने मुझे बताया कि मेरे पास पचास हजार रुपए नहीं थे, इसलिए मैं एमबीए नहीं कर पाया। सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी थी, पर पैसे नहीं थे, तो आम लोगों के लिए यह एक अच्छा अवसर है। अभी कौन बनेगा करोड़पति शुरू होगा उसके बाद फिल्में होगी, जो अगले साल प्रदर्शित होंगी। राज

रितिक रोशन :अभिनय में अलबेला

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-अजय ब्रह्मात्‍मज फिल्मी परिवारों के बच्चों को अपनी लांचिंग के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता। उनके मां-बाप सिल्वर स्क्रीन पर उतरने की उनकी ख्वाहिश जल्दी से जल्दी पूरी करते हैं। इस सामान्य चलन से विपरीत रही रितिक रोशन की लांचिंग। जनवरी, 2000 में उनकी पहली फिल्म कहो ना प्यार है दर्शकों के सामने आयी, लेकिन उसके पहले पिता की सलाह पर अमल करते हुए उन्होंने फिल्म निर्माण की बारीकियों को सीखा। वे अपने पिता के सहायक रहे और किसी अन्य सहायक की तरह ही मुश्किलों से गुजरे। स्टारों की वैनिटी वैन के बाहर खड़े रहने की तकलीफ उठायी। कैमरे के आगे आने के पहले उन्होंने कैमरे के पीछे की जरूरतों को आत्मसात किया। यही वजह है कि वे सेट पर बेहद विनम्र और सहयोगी मुद्रा में रहते हैं। उन्हें अपने स्टाफ को झिड़कते या फिल्म यूनिट पर बिगड़ते किसी ने नहीं देखा। [कामयाबी से मिला कान्फीडेंस] रितिक रोशन मैथड, रिहर्सल और परफेक्शन में यकीन करते हैं। 1999 की बात है। उनकी पहली फिल्म अभी रिलीज नहीं हुई थी। फोटोग्राफर राजू श्रेष्ठा के स्टूडियो में वे फोटो सेशन करवा रहे थे। उन्होंने वहीं बातचीत और इंटरव्यू के लिए बुला लिया था।