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काल्पनिक इतिहास की सांप्रदायिक मंशाएंः ‘पद्मावत’

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यह लेख जवरीमल्‍ल पारख ने लिखा है। ‘पद्मावत’ के प्रशंसक और आलोचक दोनों इसे पढें। यह लेख संजय ली ला भंसाली की मंशा और मंतव्‍य को समझने में मदद करेगा। samayantar ke March 2018 men prakashit aalekh काल्पनिक इतिहास की सांप्रदायिक मंशाएंः ‘पद्मावत’ जवरीमल्ल पारख संजय लीला भंसाली की फ़िल्म अपने बदले नाम ‘पद्मावत’ के साथ जनवरी के अंतिम सप्ताह में प्रदर्शित हो गयी। फ़िल्म को लेकर विवाद की शुरुआत उसके निर्माण के दौरान ही हो गयी थी। बिना देखे और उसके बारे में फैली अफवाहों के आधार पर फ़िल्म के विरुद्ध आंदोलन शुरू हुआ। इस खबर के आने के बाद कि फ़िल्म 1 दिसंबर 2017 को रिलीज होगी, यह आंदोलन और तेज हो गया। इसे भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार का सक्रिय समर्थन मिला। यह आरोप लगाया गया कि फ़िल्म में रानी पद्मावती का जिस ढंग से चित्रण किया गया है वह उनके ऐतिहासिक चरित्र के अनुरूप नहीं है। उन्हें सबके सामने नृत्य करते दिखाया गया है। एक स्वप्न दृश्य में अलाउद्दीन खिलजी और पद्मिनी को प्रेम करते दिखाया गया है। फ़िल्म में पद्मिनी के गौरवशाली चरित्र को लांछित किया गया है और इस तरह राजपूतों की आ

सिनेमालोक : कार्तिक-टाइगर पहली तिमाही की उपलब्धि

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सिनेमालोक कार्तिक-टाइगर पहली तिमाही की उपलब्धि - अजय ब्रह्मात्‍मज 2018 की पहली तिमाही पूरी हो चुकी है। 30 मार्व को रिलीज हुई ‘ बागी 2 ’ ने स्‍पष्‍ट संकेत दिया है कि वह अगले कुछ दिनों में 100 करोड़ी क्‍लब में शामिल हो जाएगी। उसके पहले रिलीज हुई अजय देवगन की ‘ रेड ’ भी धीरे-धीरे 100 करोड़ के करीब पहुंच रही है। जनवरी में संजय लीला भंसाली की ‘ पद्मावत ’ और फरवरी में लव रंजन की ‘ सोनू के टीटू की स्‍वीटी ’ ने 100 करोड़ का आंकड़ा पार किया। ‘ पद्मावत ’ तो 300 करोड़ से अधिक का कलेक्‍शन कर चुकी है। उम्‍मीद के बावजूद अक्षय कूार की ‘ पैड मैन ’ 100 करोड़ के पहले ही थम गई। पहली तिमाही में रिलीज हुई फिल्‍मों की क्‍वलिटी पर बहस हो सकती है , लेकिन इसमें दो राय नहीं है कि 2017 के मुकाबले 2018 हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री के लिए लाभप्रद रही। फिल्‍मों की कमाई होती है तो फिल्‍म इंडस्‍ट्री में उत्‍साह बढ़ता है। पहली तिमाही की कामयाब फिल्‍मों पर नजर डालें तो सफलता का कोई ट्रेंड नहीं दिखता। हिस्‍टोरिकल पीरियड , संदेशपूर्ण , ब्रोमांस की रोमांटिक कॉमेडी , रियलिस्टिक सोशल ड्रामा और एक्‍शन हर जोनी की फ

इंटेलीजेंट एक्‍टर हैं अजय देवगन –राज कुमार गुप्‍ता

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इंटेलीजेंट एक्‍टर हैं अजय देवगन –राज कुमार गुप्‍ता -अजय ब्रह्मात्‍मज राज कुमार गुप्‍ता की ‘रेड’ दर्शकों को पसंद आई है। यह अभी तक सिनेमाघरों में टिकी है। ‘आमिर’,’नो वन किल्‍ड जेसिका’ और ‘घनचक्‍क्‍र’ जैसी फिल्‍मों से अपनी खास पहचान बना चुके राज कुमार गुप्‍ता से यह बातचीत अजय देवगन के बारे में है। आज उनका जन्‍मदिन है। - ‘रेड’ के लिए अजय देवगन को ही चुनने के क्‍या कारण रहे ? 0  फिल्‍म के निर्माता कुमार मंगत ने अजय देवगन को इस फिल्‍म की कहानी सुना रखी थी। रितेश शाह ने स्क्रिप्‍ट पूरी की तो मैंने उन्‍हें ट्रीटमेंट के साथ स्क्रिप्‍ट सुनाई। उन्‍हें फिल्‍म का कथ्‍य पसंद आया। हम सभी एक ही पेज पर थे। अजय सर का मानना था कि यह कहानी कही जानी चाहिए। अजय देवगन की ईमानदार छवि है। वे मंझे हुए कलाकार हैं। हर डायरेक्‍टर अपनी फिल्‍म के लिए ऐसा एक्‍टर चाहता है। -क्‍या खूबियां हैं उनकी ? 0 अजय सर पूरा सहयोग करते हैं। वह कॉलेबरेशन और कम्‍युनिकेशन में विश्‍वास रखते हैं। उनका एक नजरिया है। वह खुद भी डायरेक्‍टर हैं। वे एक्‍टर-डायरेक्‍टर प्रोसेस और सिनेमा को समझते हैं। ऐसे एक्‍टर के साथ काम क