हर फिल्म में होती हूं मैं एक अलग स्त्री: ऐश्वर्या राय बच्चन
-अजय ब्रह्मात्मज ऐश्वर्या राय बच्चन ने इन प्रचलित धारणाओं को झुठला दिया है कि हिंदी फिल्मों में हीरोइनों की उम्र पांच साल से अधिक नहीं होती और शादी के बाद हीरोइनों को फिल्में मिलनी बंद हो जाती हैं। यह भी एक धारणा है कि सफल स्त्रियों का दांपत्य और पारिवारिक जीवन सुखी नहीं होता। वह सार्वजनिक जीवन में एक अभिनेत्री व आइकन के तौर पर नए उदाहरण पेश कर रही हैं। अवसरों को चुनना और उसका सामयिक एवं दूरगामी सदुपयोग करना ही व्यक्ति को विशेष बनाता है। इसी लिए वह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की एक खास स्त्री हैं। शुरुआती दौर 1994 में मिस वर्ल्ड चुने जाने के बाद तय हो चुका था कि करियर के रूप में फिल्मों में ही आना है। तीन साल बाद 1997 में वह मणिरत्नम की तमिल फिल्म इरूवर में आई तो आलोचकों ने कहा कि कोई हिंदी फिल्म नहीं मिली होगी। शुरुआती दिनों के इस फैसले के बारे में ऐश्वर्या बताती हैं, तब यश चोपडा और सुभाष घई मेरे साथ फिल्में करना चाह रहे थे, लेकिन मैंने मणिरत्नम की तमिल फिल्म इरूवर चुनी। मेरे बारे में पूर्वाग्रह थे कि मॉडल है, खूबसूरत चेहरा है, मिस वर्ल्ड है और अच्छा डांस करती है। फिल्म से पहले ही मेरे स