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राम-लीला के गीत

Ram leela 1 Laal Ishq Lyrics – Ram Leela Ye laal ishq, yeh malaal ishq Ye aib ishq, yeh bair ishq Ye laal ishq, yeh malaal ishq Ye aib ishq, yeh bair ishq Ishq ishq, ishq.. Tujh sang bair lagaya aisa Tujh sang bair lagaya aisa Raha na main phir apne jaisa Ho.. raha na main phir apne jaisa Mera naam ishq, tera naam ishq (Repeat 2 times) Mera naam, tera naam Mera naam ishq Ye laal ishq, yeh malaal ishq Ye aib ishq, yeh bair ishq Ye laal ishq, yeh malaal ishq Ye aib ishq, yeh bair ishq Ishq-ishq, ishq.. Apna naam badal doon.. (Badal doon..) Ya tera naam chhupa loon.. (Chhupa loon..) Ya chhod ke saari yaad main bairaag utha loon Bas ek rahe mera kaam ishq Mera kaam ishq, mera kaam ishq Mera naam ishq, tera naam ishq Mera naam, tera naam Mera naam ishq Ye laal ishq, yeh malaal ishq Ye aib ishq, yeh bair ishq Ye laal ishq, yeh malaal ishq Ye aib ishq, yeh bair ishq Ye

बच्चों का फिल्म संसार

—अजय ब्रह्मात्मज बच्चों से बातें करने के लिए आवश्यक नहीं है कि आप तुतलाएँ। आप साफ़ उच्चारण में उनसे बातें करें तो भी वे सीखते हैं। हाँ, शब्दों के चुनाव में सावधानी रखें कि वे उनकी समझ में आ जाएँ। अगर यह छोटी सी बात हमारे फ़िल्मकार समझ जाएँ तो बच्चों के लायक फ़िल्मों की संख्या बढ़ सकती हैं और सोच में बदलाव आ सकता है। आम धारणा है कि बच्चों के लिए बनी फ़िल्मों में बड़ों की सोच के कारण ऐसी असहजता आ जाती है कि बच्चे उन फ़िल्मों को देखना पसंद नहीं करते। अगर आप बच्चों को बताएँ कि उनके लिए विशेष तौर पर बनी फ़िल्में ही उन्हें देखनी चाहिए तो वे हरगिज़ नहीं देखेंगे। यह मनुष्य का स्वभाव है कि वह अलग–थलग नहीं होना चाहता। देश में बनी बाल फ़िल्मों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, लेकिन इतनी कम भी नहीं है कि हम शर्मिंदा हों। देश के प्रथम प्रधानमंत्री का बाल प्रेम जगजाहिर है। उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वयं उन्होंने यह इच्छा व्यक्त की थी कि बच्चों को ध्यान में रखकर फ़िल्में बननी चाहिए। उनकी इस इच्छा से प्रेरित होकर ११ मई १९

गर्म हवा की यादें

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एम एस सथ्यू -अजय ब्रह्मात्मज     विभाजन के बाद देश जिस त्रासदी से गुजरा, उसका धर्म से सीधा रिश्ता नहीं है। हम सभी समान मुख्यधारा के हिस्से हैं। भले ही किसी समुदाय, जाति या धर्म के हों। जरूरी है कि मुख्यधारा का हिस्सा बनें। ‘गर्म हवा’ में सलीम मिर्जा के जरिए यही सरल संदेश दिया गया है। अल्पसंख्यकों को अल्पसंख्यक की तरह नहीं देखें। वे मुख्यधारा का हिस्सा हैं।     हम फिर से फिल्म को रिलीज करना चाहते हैं। हम ने फिल्म को रीस्टोर किया है। इसे डिजीटली रीस्टोर किया गया है। साउंड भी डॉल्वी डिजिटल में कंवर्ट किया गया है। जल्दी ही फिल्म और डीवीडी रिलीज करेंगे। अभी जो भी डीवीडी बाजार में या निजी संग्रह में हैं, वे सभी पायरेटेड हैं। फिल्म का प्रिंट इंग्लैंड या खाड़ी देशों में भेजते ही पायरेटेड हो जाते हैं। हम कुछ भी नहीं कर पाते।     मैंने बहुत कम पैसों में फिल्म बनाई थी। मुझे केवल 2 लाख 49 हजार रुपए मिले थे। इतने ही पैसों में हम ने शूटिंग पूरी की। सिर्फ एक कैमरा और एक लेंस था हमारे पास। हमारे पास इतने पैसे नहीं थे कि आगरा में शूटिंग के दौरान साउंड रिकॉर्ड कर सकें। पूरी फिल्म मेरे एडीटर चक्रवर्

अमिताभ बच्‍चन का संबोधन

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कोलकाता फिल्‍म फस्टिवल में अमिताभ बच्‍चन ने बंगाली सिनेमा के इतिहास की सरसरी झलक दी। उममीद है कभी वे हिंदी सिनेमा पर भी कुछ ऐसा बोलेंगे।  My speech at the Kolkata International Film Festival ... SPEECH FOR KOLKATA FILM FESTIVAL 2013 November 10, 2013 NS Stadium, Kolkata Mananeeya Mukhkhya Mantri, Mamtaji, The very celebrated and distinguished members on the dias .. Distinguished guests, ladies and gentlemen: Namoshkaar ! Onek purono kotha mon-ey pore jaaye… taai abaar aapnaader kaachhey esechhi… aapnaader jamaai… ayeebaar aapnaader meye, aar amaar bou Joya ke neeye… boro-der ashirbaad o chhotoder bhaalobashaa chaayitey… This is my second visit to the International Film festival of Kolkata, and I would like to express my extreme gratitude to the Chief Minister, for extending this invitation to me, giving me pride of place, great honor, and the privilege of being in the company of the most passionate and loving audiences that I have ever experienced in

फराह खान का रोचक इंटरव्‍यू

 फराह खान का यह इंटरव्‍यू http://thebigindianpicture.com से चवन्‍नी के पाठकों के लिए। इस जगह और भी केहतरीन इंटरव्‍यू हैं। कभी समय निकाल कर देखें,सुनें और पढ़ें।