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किरदार ने निखारा मेरा व्‍यक्तित्‍व - मनोज बाजपेयी

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-अजय ब्रह्मात्‍मज ‘ अलीगढ़ ’ का ट्रेलर आने के बाद से ही मनोज बाजपेयी के प्रेजेंस की तारीफ हो रही है। ऐसा लग रहा है कि एक अर्से के बाद अभिनेता मनोज बाजपेयी अपनी योग्‍यता के साथ मौजूद हैं। वे इस फिल्‍म में प्रो. श्रीनिवास रामचंद्र सिरस की भूमिका निभा रहे हैं। - इस फिल्‍म के पीछे की सोच क्‍या रही है ? 0 एक आदमी अपने एकाकी जीवन में तीन-चार चीजों के साथ खुश रहना चाहता है। समाज उसे इतना भी नहीं देना चाहता। वह अपनी अकेली लड़ाई लड़ता है। मेरी कोशिश यही रही है कि मैं दुनिया के बेहतरीन इंसान को पेश करूं। उसकी अच्‍छाइयों को निखार कर लाना ही मेरा उद्देश्‍य रहा है। -किन चीजों के साथ खुश रहना चाहते थे प्रोफेसर सिरस ? 0 वे लता मंगेशकर को सुनते हैं। मराठी भाषा और साहित्‍य से उन्‍हें प्रेम है1 वे कविताओं में खुश रहते हैं। अध्‍ययन और अध्‍यापन में उनकी रुचि है। वे अलीगढ़ विश्‍वविद्यालय औा अलीगढ़ छोड़ कर नहीं जाना चाहते। वे अपनी जिंदगी अलग ढंग से जीना चाहते हैं। -एक अंतराल के बाद आप ऐसी प्रभावशाली भूमिका में दिख रहे हैं ? 0 अंतराल इसलिए लग रहा है कि मेरी कुछ फिल्‍में रिलीज नहीं ह

नीरजा सी ईमानदारी है सोनम में : राम माधवानी

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-अजय ब्रह्मात्‍मज लिरिल के ऐड में प्रीति जिंटा के इस्‍तेमाल से लेकर ‘ हरेक फ्रेंड जरूरी होता है ’ जैसे पॉपुलर ऐड कैंपेन के पीछे सक्रिय राम माधवानी खुद को एहसास का कारोबारी मानते हैं। वे कहते हैं, ‘ हमलोग ऐड   फिल्‍म और दूसरे मीडियम से ‘ फीलिंग्‍स ’ का बिजनेस करते हैं। ‘ अपनी नई फिल्‍म ‘ नीरजा ’ के जरिए वे दर्शकों को रूलाना, एहसास करना, एहसास देना और सोचने पर मजबूर करना चाहते हैं। ‘ लेट्स टॉक ’ के 14 सालों बाद उनकी फिल्‍म ‘ नीरजा ’ आ रही है। -          पहली और दूसरी फिल्‍म के बीच में 14 सालों का गैप क्‍यों आया। क्‍या अपनी पसंद का को‍ई विषय नहीं मिला या दूसरी दिक्‍कतें रहीं ? विषय तो कई मिले। मैंने कोशिशें भी कीं। अपनी फिल्‍मों के साथ कई लोगों से मिला। बातें हुईं, लेकिन कुछ भी ठोस रूप में आगे नहीं बढ़ सका। फिल्‍म इंडस्‍ट्री में मेरी अच्‍छी जान-पहचान है। वे लोग मेरी इज्‍जत भी करते हैं। उनमें से कुछ ने मुझे ऑफर भी दिए, जिन्‍हें मैंने विनम्रता से ठुकरा दिया। मेरी पसंद की फिल्‍मों में बजट, स्क्रिप्‍ट और एक्‍टर की समस्‍या रही। अभी कह सकता हूं कि यूनिवर्स मुझसे कुछ और करव

अभिनेता राजकुमार राव और निर्देशक हंसल मेहता की बातचीत

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– अजय ब्रह्मात्‍मज ( हंसल मेहता और राजकुमार राव की पहली मुलाकात ‘ शाहिद ’ की कास्टिंग के समय ही हुई थी। दोनों एक-दूसरे के बारे में जान चुके थे,लेकिन कभी मिलने का अवसर नहीं मिला। राजकुमार राव बनारस में ‘ गैंग्‍स ऑफ वासेपुर ’ की शूटिंग कर रहे थे तब कास्टिंग डायरेक्‍टर मुकेश छाबड़ा ने उन्‍हें बताया था कि हंसल मेहता ‘ शाहिद ’ की प्‍लानिंग कर रहे हैं। राजकुमार खुश हुएफ उन्‍हें यह पता चला कि लीड और ऑयोपिक है तो खुशी और ज्‍यादा बढ़ गई। इधर हंसल मेहता को उनके बेटे जय मेहता ने राजकुमार राव के बारे में बताया। वे तब अनुराग कश्‍यप के सहायक थे। एक दिन मुकेश ने राजकुमार से कहा कि जाकर हंसल मेहता से मिल लो। मुकेश ने हंसल को बताया कि राजकुमार मिलने आ रहा है। तब तक राजकुमार उनके दफ्तर की सीढि़यां चढ़ रहे थे। हंसल मेहता के पास मिलने के सिवा कोई चारा नहीं था। दोनों मानते हैं कि पहली मुलाकात में ही दोनों के बीच रिश्‍ते की बिजली कौंधी। अब तो हंसल मेहता को राजकुमार राव की आदत हो गई है और राजकुमार राव के लिए हंसल मेहता डायरेक्‍टर के साथ और भी बहुत कुछ हैं।) राजकुमार राव और हंसल मेहता क

कुछ तो बदल सकूं यह दुनिया - सोनम कपूर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज सोनम कपूर ‘ नीरजा ’ में शीर्षक भूमिका में दिखेंगी। निर्देशक राम माधवानी ने फिल्‍म का खयाल आते ही सोनम के नाम पर विचार किया था। सोनम ने नीरजा की कहानी और स्क्रिप्‍ट सुनी तो तुरंत हां कह दी। साेनम इस बातचीत में बता रही हैं अपनी सहमति की वजह और ‘ नीरजा ’ फिल्‍म और व्‍यक्ति के बारे में... -बताएं कि कैसे यह फिल्‍म आप तक पहुंची ? 0 तकरीबन ढाई साल पहले मुझे इस फिल्‍म की जानकारी मिली। मुझे बताया गया कि राम माधवानी इसे मेरे साथ ही करना चाहते हैं। स्क्रिप्‍ट पढ़ते समय ही मुझे रुलाई आ गई। मैंने राम माधवानी के बारे में सुन रखा था कि वे ऐड वर्ल्‍ड का बड़ा नाम हैं। ‘ नीरजा ’ की कहानी बहुत स्‍ट्रांग है। वह एक साधारण लड़की थी। उनके पिता एक जर्नलिस्‍ट थे। उनकी मां हाउस वाइफ थीं। वह खूबसूरत थी तो उसे माडलिंग के असाइनमेंट मिल जाते थे। उनके टाइम में एयर होस्‍टेस के जॉब के साथ ग्‍लैमर जुड़ा हुआ था। वह एयर होस्‍टेस बनना चाहती थ। उनके डैड बहुत ओपन माइंड के थे। उन्‍होंने हां कर दी। घर में सभी उसे लाडो बुलाते थे। वह परिवार की लाडली थी। -लगता है ‘ नीरजा ’ के बारे में का

दरअसल : खलनायक बन जाते हैं थिएटर एक्‍टर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज     ऐसा नहीं कह सकते कि यह किसी साजिश के तहत होता है,लेकिन यह भी सच है कि ऐस होता है। थिएटर से फिल्‍मों में आए ज्‍यादातर एक्‍टर आरंभिक सफलता के बाद खलनायक की भूमिकाओं में सिमट कर रह जाते हैं। लंबे समय से यही होता आ रहा है। आठवें दशक के आरंभ में राष्‍ट्रीय नाट्य विद्यालय से आए ओम शिवपुरी समर्थ अभिनेता थे। छोटी-मोटी भूमिकाओं से उन्‍होंने पहचान बनाई। बाद में मुख्‍यधारा की फिल्‍मों में उन्‍हें मुख्‍य रूप से खलनायक की भूमिकाओं में ही इस्‍तेमाल किया गया। कभी-कभार चरित्र भूमिकाओं में भी हम ने उन्‍हें देखा। इस तरह उनकी बहुमुखी प्रतिभा का सदुपयोग नहीं हो पाया। उनके बाद अमरीश पुरी,मोहन आगाशे,अनुपम खेर,परेश रावल,आशीष विद्यार्थी,आशुतोष राणा,मुकेश तिवारी,मनोज बाजपेयी,इरफान खान,यशपाल शर्मा,जाकिर हुसैन,गोविंद नामदेव,के के मेनन,नीरज काबी,पंकज त्रिपाठी,दिब्‍येन्‍दु भट्टाचार्य,राजकुमार राव और मानव कौल जैसे अनेक नाम इस सूची में शामिल किए जा सकते हैं।     दरअसल,हिंदी फिल्‍मों के नायक(हीरो) के खास प्रतिमान बन गए है। इस प्रतिमान के साथ उनकी उम्र भी जुड़ जाती है। गौर करें तो हिं

फिल्‍म समीक्षा : फितूर

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सजावट सुंदर,बुनावट कमजोर -अजय ब्रह्मात्‍मज अभिषेक कपूर की ‘ फितूर ’ चार्ल्‍स डिकेंस के एक सदी से पुराने उपन्‍यास ‘ ग्रेट एक्‍पेक्‍टेशंस ’ का हिंदी फिल्‍मी रूपांतरण है। दुनिया भर में इस उपन्‍यास पर अनेक फिल्‍में बनी हैं। कहानी का सार हिंदी फिल्‍मों की अपनी कहानियों के मेल में है। एक अमीर लड़की,एक गरीब लड़का। बचपन में दोनों की मुलाकात। लड़की की अमीर हमदर्दी,लड़के की गरीब मोहब्‍बत। दोनों का बिछुड़ना। लड़की का अपनी दुनिया में रमना। लड़के की तड़प। और फिर मोहब्‍बत हासिल करने की कोशिश में दोनों की दीवानगी। समाज और दुनिया की पैदा की मुश्किलें। अभिषेक कपूर ने ऐसी कहानी को कश्‍मीर के बैकड्राप में रखा है। प्रमुख किरदारों में कट्रीना कैफ,आदित्‍य रॉय कपूर,तब्‍बू और राहुल भट्ट हैं। एक विशेष भूमिका में अजय देवगन भी हैं। अभिषेक कपूर ने कश्‍मीर की खूबसूरत वादियों का भरपूर इस्‍तेमाल किया। उन्‍होंने इसे ज्‍यादातर कोहरे और नीम रोशनी में फिल्‍मांकित किया है। परिवेश के समान चरित्र भी अच्‍छी तरह प्रकाशित नहीं हैं। अभिषेक कपूर की रंग योजना में कश्‍मीर के चिनार के लाल रंग का प्रतीकात्‍मक उपयो

मेहनत से मंजिल खुद आयी करीब-दिव्‍या खोसला कुमार

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-अजय ब्रह्मात्‍मज दिव्‍या खोसला कुमार का एक परिचय यह है कि वह टीसीरिज के सर्वेसर्वा भूषण कुमार की पत्‍नी हैं। यह परिचय उन पर इस कदर हावी है कि उनके व्‍यक्तित्‍व के अन्‍य पहलुओं पर लोगों की नजर नहीं जाती। एक आम धारणा है कि चूंकि वह भूषण कुमार की पत्‍नी हैं,इसलिए उन्‍हें सुविधाएं मिल जाती हैं। और अब नाम भी मिल रहा है। इस धारणा से अलग सचचाई यह है कि दिव्‍या ने पहले अपने म्‍यूजिक वीडियो और फिर अपनी फिल्‍म से साबित किया है कि वह सक्षम फिल्‍मकार हैं। यारियां के बाद उनकी सनम रे आ रही है। -फिल्‍म निर्देशन में आप ने खुद को बहुत जल्दी साध लिया। 0 जी मैं मानती हूं कि हमें जिस मंजिल पर पहुंचना होता है,वह हो ही जाता है। लोगों कुछ भी कहें,मैं आपको बताऊं कि मुझे काम करते हुए सोलह साल हो गए हैं। ऐसा नहीं है कि सब कुछ तुंरत हो गया। यारियां के समय सबको लगा कि यह लड़की नई है। सच यह है कि उस फिल्म को बनाने में मैंने सालों की मेहनत लगाई है। अपनी फिल्‍म पर मुझे विश्वास था। फिल्म हिट हुई। क्रिएटिव इंसान के तौर पर मेरा विकास हुआ है। पहली फिल्म बनाते समय मेरे सामने काफी अड़चने आयी। स्किप्

एक्टिंग का अपना अलग मजा है - प्रकाश झा

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-अजय ब्रह्मात्‍मज - नयी फिल्‍म ‘जय गंगाजल’ में आप पहली बार विधिवत कैमरे के सामने आ रहे हैं। यह फैसला क्‍यों और कैसे हुआ ? 0 दो वजहों से यह निर्णय लेना पड़ा। एक तो अपने क्रिएटिव क्षितिज पर एक नयी चुनौती चाहिए थी। स्क्रिप्‍ट लिखना, प्रोडक्‍शन की प्‍लानिंग करना, डायरेक्‍शन, कैमरा और म्‍यूजिक आदि सभी पहलुओं को देख और संभाल चुका था। शूटिंग के लिए एक्‍टर तैयार करना भी चल रहा था। इन सारे काम में परफारमेंस नहीं होता है। मैं परफारमेंस की अतिरिक्‍त चुनौती चाहता था। इस बार मैं लाइन क्रास कर गया। अपनी फिल्‍मों में एकाध सीन तो पहले भी करता रहा हूं। -इस बार आप एक महत्‍वपूर्ण किरदार में हैं ? 0 अपने किरदार बीएन सिंह की तैयारी में मैं अनेक अधिकारियों से मिला। चार राज्‍यों के डीएसपी स्‍तर के पुलिस अधिकारियों से मिलने पर मैंने उनमें कुछ समान बातें पाईं। मैनेरिज्‍म और सोच में समानता दिखी। प्रमोशन से इस पद तक पहुंचे अधिकारी सिस्‍टम की अच्‍छी जानकारी रखते हैं। वे अनुभवी हो जाते हैं। वे भगवान के साथ खाकी की भी पूजा करते हैं। अपना काम निकालना जानते हें। उन्‍हें अपनी स्थिति मालूम रहती है, इस