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दरअसल : संजीदगी से बढ़े हैं आमिर खान

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दरअसल संजीदगी से बढ़े हैं आमिर खान - अजय ब्रह्मात्मज 1 मई को आमिर खान ने पानी फाउंडेशन के तहत आलिया भट्ट के साथ ' महाश्रमदान ' किया। उसके दो दिन पहले 29 अप्रैल को उनकी पहली फ़िल्म ' क़यामत से क़यामत तक ' के 30 साल हुए। इन दोनों अवसरों की वजह से मीडिया में उनके अभियान और अभिनय की चर्चा हुई। आमिर खान के आलोचक और प्रतिद्वंद्वी मानते हैं कि आमिर ने अपनी बेहतरीन छवि के लिए पानी फाउंडेशन आरम्भ किया है। इसके पहले ' सत्यमेव जयते ' जैसे सार्थक और संदेशपूर्ण   टीवी शो के लिए भी ऐसा ही दुष्प्रचार किया गया था। सवाल है कि अगर ' सत्यमेव जयते ' शो और पानी फाउंडेशन के अभियान से उनकी ख्याति मजबूत हो रही है तो क्यों नहीं दूसरे स्टार ऐसी कोशिश करते हैं ? गौर करें तो आमिर के समकालीन और सीनियर सार्वजनिक ख्याति के प्रयास में विफल रहे। वे सभी लोकप्रिय हैं , लेकिन आमिर खान की लोकप्रियता असाधारण हो चुकी है। आमिर अपनी फिल्मों के चयन से लेकर बाकी सभी कार्यों में भी एक ठहराव और पक्के इरादे के साथ आगे बढ़ते हैं। एक बार में एक फ़िल्म की उनकी पहल ने सभी फ़िल्म स्

दरअसल : 725 पन्ने... 6 लुक... और संजय दत्त

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दरअसल: 725 पन्ने... 6 लुक... और संजय दत्त - अजय ब्रह्मात्मज राजकुमार हिरानी इस दौर के बेहतरीन और संवेदनशील फिल्म डायरेक्टर हैं। अभी तक उनकी फ़िल्में मास्स और क्लास में एक सामान पसंद की जाती रही हैं। दर्शकों के हर तबके को उनकी फिल्मों से कुछ न कुछ मिलता है। उनका भी मकसद रहता है कि दर्शकों को मनोरंजन के साथ कुछ सन्देश भी मिले। अभी तक उनकी फ़िल्में अभिजात जोशी की मदद से काल्पनिक चरित्रों पर लिखी जाती रही हैं। ऐसी फिल्मों में चरित्र निर्देशक के नियंत्रण में रहते हैं। वे उन्हें अपने हिसाब से चरित्रों को नयी परिस्थितियों में डाल कर सोचे हुए निष्कर्ष तक ले जा सकते हैं। हिरानी अपने किरदारों को दर्शकों के बीच प्रिय बनाने में सफल रहे हैं। पडोसी देश चीन के दर्शक भी उन्हें पसंद करने लगे हैं। आमिर खान के साथ हिरानी की फ़िल्में भी चीन में खूब चली हैं। इस बार वह अपनी सफलता की लकीर छोड़ कर एक नयी रह पर चले हैं , मुन्नाभाई सीरीज की तैयारियों के दौरान संजय दत्त से हो रही बातचीत में उन्हें उनकी ज़िन्दगी किसी फिल्म की कहानी के उपयुक्त लगी। संजय दत्त को हम सभी उनक

फिल्म लॉन्ड्री : पोस्‍टर ही पहली झलक हैं फिल्‍म की

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फिल्म लॉन्ड्री : पोस्‍टर ही पहली झलक हैं फिल्‍म की -अजय ब्रह्मात्‍मज सोशल मीडिया के इस दौर में सारी सूचनाएं रियल टाइम(तत्‍क्षण)  में प्रसारित और ग्रहण की जा रही हैं। इस प्रभाव में फिल्‍म के प्रचार के स्‍वरूप में भी बदलाव आया है। फिल्‍मों के पोस्‍टर प्रचार के मूल साधन हैं। डिजिटल युग आ चुका है। प्रचार भी वर्चुअल स्‍पेस में उपयुक्‍त स्‍थान खोज रहा है। अभी यह ठोस रूप से निर्धारित नहीं हो सका है। संक्रांति के इस समय में संभावनाओं और तरीकों के ऊहापोह में ही नई प्रविधियां आकार ले रही हैं। किसी नई प्रविधि की चलन के प्रचलन बनने के पहले ही कुछ नया हो जा रहा है। पोस्‍टर को ही ‘फर्स्‍ट लुक’ का नाम दे दिया गया है। लोकप्रिय स्‍टार की महंगी फिल्‍म हो तो देश के प्रमुख अखबारों के साथ सोशल मीडिया पर ‘फर्स्‍ट लुक’ जारी किए जा रहे हैं। मझोली या छोटी फिल्‍म हो तो खर्च बचाने और पहुंच बढ़ाने के लिए धड़ल्‍ले से सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल हो रहा है। हमदर्द,प्रशंसक और पत्रकार उन्‍हें शेयर करते हैं। उक्‍त फिल्‍म से संबंधित हैशटैग ट्रेंड होने लगता है। निर्माता खुश होता है कि उसकी फिल्‍म का ‘फर्स्‍ट