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बलराज साहनी और हजारी प्रसाद द्विवेदी के पत्राचार

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तिरछी स्‍पेलिंग से संरक्षित  बलराज साहनी और पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी प्रस्तुति : उदयशंकर हिन्दी साहित्य का इतिहास अगर 150 साल पुराना है, तो सिनेमा का इतिहास भी 100 साल पुराना है। हिन्दी साहित्य की प्रस्तावना में इस बात पर ज़ोर रहा कि वह सामाजिक कर्तव्यबोध को अंगीकार करे, और उस समय का कर्तव्यबोध राष्ट्रवादी आंदोलन के स्वर देना था। हिन्दी सिनेमा भी कमोवेश इसी कर्र्तव्यबोध से परिचालित हुआ, और यही कर्तव्यबोध सिनेमा और साहित्य में आवाजाही की तात्कालिक वजह थी। दादा साहेब फाल्के खुद स्वदेशी आंदोलन के प्रभाव में थे। बलराज साहनी के पारिवारिक संस्कार आर्यसमाजी रहे हैं और हिन्दू धर्म-व्यवस्था के भीतर आर्यसमाजी खुद को ‘पहला आधुनिक’ मानता है। 1 मई 1913 को  जन्में बलराज साहनी का जन्मशती वर्ष पिछले महीनों ही समाप्त हुआ है और यह संयोग ही है कि भारतीय सिनेमा का जन्मशती वर्ष 3 मई 2013 को समाप्त हुआ। इस संयोग के बड़े निहितार्थ हैं। कुछ तो बात थी, कि फिल्मों से ‘व्यवसायिक जुड़ाव’ को प्रेमचंद से लेकर हजारी प्रसाद जी तक ‘उज्जवल पेशा’ नहीं मानते थे। फिल्मों से बलराज साहनी ज

पीरियड फिल्‍म : डॉ.चंद्रप्रकाश द्विवेदी

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डॉ.चंद्रप्रकाश द्विवेदी का एक महत्‍वपूर्ण आलेख। उनका यह आलेख हिंदी फिल्‍मों में पीरियड फिल्‍मों की पड़ताल करता है। अपने धारावाहिक और फिल्‍म से उन्‍होंने साबित किया है कि पीरियड को पर्दे पर मूर्त्‍त रूप देने मेंवे माहिर हैं। इतिहास,संस्‍कृति और कला परंपरा की समुचित समझ के कारण वे समकालीन पीढ़ी के विशेष निर्देशक हैं। यह आलेख भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित भारतीय सिनेमा का सफरनामा में संकलित है।  -डॉ.चंद्रप्रकाश द्विेवेदी   भारतीय सिनेमा ने अपने इतिहास का प्रारंभ राजा हरिश्चन्द्र से किया था. कारण था दादा साहेब फालके का भारत के मिथकीय, पौराणिक और ऐतिहासिक आख्यानों में विश्वास.साथ ही यह विश्वास की भारत को पौराणिक आख्यानों से प्रेरणा मिल सकती है। उन्होंने अपनी और भारत की पहली फिल्म के लिए पौराणिक आख्यान चुना और उसके पश्चात भी अपनी रचना की यात्रा में भी उन्होंने कई फिल्मों के लिए पौराणिक एवं ऐतिहासिक आख्यानों को अपने चल चित्र की कथा के केंद्र में रखा। कभी कभी मैं सोचता हूँ कि क्या भारतीय फिल्मों के पितामह दादा साहेब फाल्के क

MAKING (AND BY THAT I MEAN SURVIVING) YOUR FIRST FILM -sonam nair

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सोनम नायर का यह आत्‍मकथात्‍मक लेख उनके ब्‍लॉग चिकनी चमेली से संरक्षित किया गया है। सभी नए फिल्‍मकार इसे एक बार अवश्‍य पढ़ लें। काफी मदद मिलेगी...बेशक। My travels though filmy galis I got ants in my pants and I need to dance! Oh, and my name is Sonam Nair and I directed the film ‘Gippi’ and am currently writing screenplays and figuring out my next film. Follow me on Twitter, I’m mildly entertaining – https://twitter.com/chink_ster My travels though filmy galis There are things people tell you, and things people just let you find out on your own. When I decided that I would like to direct films for a living, I was 13 and had no idea what a director actually does. Now, after having directed a film, I feel like I know only about a 10% of what it means to be a director. I guess it’s better than zero! So, I thought, maybe I should do something no one did for me- write about what you might think making a film is like vs what actually happens. The Idea If you start off

आर...राजकुमार के गाने

आर...राजकुमार 1 Gandi Baat   Ho.. beedi peeke nukkad pe Wait tera kiya re Khali pili attharah cup Chay bhi to piya re (Repeat once) Raja beta banke maine Jab sharafat dikhayi Toone bola hat mavali Bhaav nahi diya re ABCD padh li bahut Thandi aaheein bhar li bahut Achchi baatein kar li bahut Ab karunga tere saath.. Gandi baat.. Gandi gandi, gandi gandi, gandi baat..(Repeat 3 times) Aise kyun kyun kyun Karta tu tu tu Munh pe thu thu thu pyar me Jab se hu hu hu Laila ki ki ki Into to to to pyar me Aise kyun kyun kyun Karti tu tu tu Munh pe thu thu thu pyaar mein Jab se hu hu hu Majnu ka ka ka Into to to to pyar mein ABCD padhali bohot Thandi aahein bhar li bahut Acchi baatein karli bahut Ab karungi tere saath Gandi baat… Gandi gandi gandi gandi gandi baat.. (Repeat 3 times) Gul badan, dan dan dan Deal done done done.. One to one one one ho gaya.. Mooh se kya kya k