फिल्‍म समीक्षा : रेडियो

-अजय ब्रह्मात्‍मज

हिमेश रेशमिया की भिन्नता के कारण उनकी फिल्मों को लेकर उत्सुकता रहती है। रेडियो में वे नए रूप और अंदाज में हैं। उनकी एक्टिंग में सुधार आया है। उन्होंने अपनी एक्टिंग रेंज के हिसाब से कहानी चुनी है या यों कहें कि निर्देशक ईशान त्रिवेदी ने उनकी खूबियों और सीमाओं का खयाल रखते हुए स्क्रिप्ट लिखी है। अगर हिमेश रेशमिया से बड़ी उम्मीद न रखें तो फिल्म निराश नहीं करती।

विवान और पूजा का दांपत्य जीवन सामान्य नहीं चल रहा है। उन्हें लगता है कि वे दोस्त ही अच्छे थे। परस्पर सहमति से वे तलाक ले लेते हैं, लेकिन एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं। इस बीच विवान की मुलाकात शनाया से होती है। शनाया धीरे-धीरे विवान की प्रोफेशनल और पर्सनल जिंदगी में आ जाती है। दोनों मिल कर रेडियो पर मिस्ट्री गर्ल नामक शो आरंभ करते हैं, जिसमें शनाया विवान की रहस्यपूर्ण प्रेमिका बनती है। विवान को पता भी नहीं चलता और वह वास्तव में शनाया से प्रेम करने लगता है। विवान की जिंदगी में आ चुकी शनाया को उसकी तलाकशुदा बीवी पहचान लेती है। आखिरकार विवान अपने प्रेम को स्वीकार करने के साथ उसका इजहार भी करता है।

लेखक-निर्देशक ईशान त्रिवेदी ने फिल्म के नाम के साथ लिखा है इट्स कांप्लीकेटेड और सचमुच उन्होंने इस सामान्य कहानी को जटिल शिल्प दिया है। शिल्प की नवीनता एकरेखीय कहानी के आदी दर्शकों को उलझा देती है। वैसे ईशान त्रिवेदी ने फिल्म के 15 चैप्टर को सुंदर और अर्थपूर्ण शीर्षक दिए हैं। ईशान त्रिवेदी की मुश्किल साधारण एक्टरों को संभालने और उनसे एक्सप्रेशन निकलवाने में दिखाई देती है। इस वजह से भी वे कहानी को तोड़ते हैं और प्रसंगों के टुकड़े बना देते हैं। हिमेश रेशमिया ने विवान की भूमिका निभाने में काफी मेहनत की है। कुछ दृश्यों में वे सही भाव लाने में सफल रहे हैं। शनाज ट्रेजरीवाला अपनी भूमिका में फिट हैं। पूजा का किरदार कंफ्यूज है और वह कंफ्यूजन परफार्मेस में भी दिखता है।

फिल्म का संगीत बेहतर है और कहानी की संगत में है। हिमेश रेशमिया ने इस बार आवाज और शैली बदली है।

** दो स्टार


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