नेहा शर्मा

पटना से अपनी फिल्म क्रुक का प्रचार कर के लौटी नेहा शर्मा को खुशी है कि उन्हें उनके गृह राज्य में लोगों ने इतना प्यार दिया। भागलपुर और दिल्ली में पली-बढ़ी नेहा शर्मा ने सोचा नहीं था कि वह फिल्मों में आएंगी। वह तो फैशन डिजायनिंग का कोर्स करने दिल्ली गई थीं। पढ़ाई के दौरान ही उन्हें तेलुगू फिल्म कुराडो मिल गई। चूंकि चिरंजीवी के बेटे राम चरण की भी वह पहली फिल्म थी, इसलिए अच्छा प्रचार मिला। अनायास मिले इस मौके का नेहा ने सदुपयोग किया और फिल्मों में कॅरियर बनाने का फैसला कर लिया।

उत्तर भारत से दक्षिण भारत और फिर वहां से हिंदी फिल्मों में प्रवेश के रास्ते में कई बाधाएं आती हैं। नेहा इन सभी के लिए तैयार थीं। उन्हें पता चला कि विशेष फिल्म्स को अपनी नई फिल्म के लिए एक नयी हीरोइन की जरूरत है। उन्होंने कोशिश की। कोशिश कामयाब हुई, क्योंकि क्रुक के निर्देशक मोहित सूरी ने उनकी तेलुगू फिल्में देख रखी थीं। एक ऑडिशन हुआ और नेहा शर्मा को क्रुक में सुहानी की भूमिका के लिए चुन लिया गया। इसमें वह आस्ट्रेलिया में पली-बढ़ी एक लड़की का किरदार निभा रही हैं।

भागलपुर जैसे स्माल टाउन से ग्लैमर की राजधानी मुंबई तक के सफर में नेहा शर्मा का आत्मविश्वास ही उनका साथी रहा। वह बताती हैं, 'परवरिश और परिवेश का असर परफॉर्मेस पर पड़ता है। मैं छोटे शहर के मध्यवर्गीय परिवार की लड़की हूं और भारतीय मूल्यों के बीच पली हूं। शहर की लड़कियां जिन मूल्यों और भावों को भूल चुकी हैं, वही मेरी पूंजी है और उसी के दम पर मैं किसी भी परफार्मेस में बेहतर करने के लिए तैयार हूं।' नेहा शर्मा को अपने बिहारी होने पर गर्व है। वह आगे कहती हैं, 'कुछ समय पहले तक बिहार और यूपी की लड़कियों को पिछड़ा और दकियानूस माना जाता था। गौर करें तो हम अपनी संस्कृति में रची-बसी आधुनिक लड़किया हैं, जो किसी भी चुनौती के लिए तैयार हैं। मैं तो पूरे उत्तर भारत में एक नई स्फूर्ति और जोश देख रही हूं। मुझे लगता है कि आने वाला वक्त हमारा है।'

नेहा इस मामले में खुद को लकी मानती हैं कि उन्हें हिंदी की पहली फिल्म में ही महेश भट्ट के साथ काम करने का अवसर मिला। वह उत्साहित स्वर में बताती हैं, 'इतने सीनियर और अनुभवी होने के बावजूद भट्ट साहब बड़े प्यार से समझाते हैं। खास कर फीलिंग को समझना और उसे बॉडी लैंग्वेज से जाहिर करना, तो उन्होंने ही बताया और सिखाया।' नेहा को महेश भट्ट की 'दिल है कि मानता नहीं' बहुत पसंद है। वह चाहती है कि उन्हें भी कभी वैसी फिल्म मिले। नेहा तीन भाई-बहन हैं। छोटी बहन और भाई दिल्ली में ही रहते हैं। पिता का भागलपुर में अपना बिजनेस है। उन्हें अपने परिवार का भरपूर समर्थन मिला है। कभी किसी ने फिल्म इंडस्ट्री को संदेह की नजर से नहीं देखा और नेहा की ख्वाहिशों को हमेशा बढ़ावा दिया।


Comments

hausla bana rahe! yahan tak ke safar ke liye bahut bahut badhaai neha ko...
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