फिल्‍मी जिज्ञासा 1 : 27 जुलाई 2013

  • Ajay Brahmatmaj Thakur Ashish Anand koi naya aadmi production me aana chahe to kya karna adega uske liye??? 
    0 aajkal production ki padhayi bhi hoti hai.mumbai ke whistling wood mein hai.doosra tarika hai ki kisi production house ke saath judein aur kaam seekhein.aakhiri tarika hai ki aap ke paas paise hon aur aap producer ban jaayein.
  • Ajay Brahmatmaj Prashant Live सीनेमा के तकनीकी पक्षों तथा फिल्म निर्माण के अद्यतन हलचलों को समेटे को ढंग की पत्रिका हो तो बताएं। स्क्रीन या फिल्मफेयर छोडकर 
    0 अफसोस भारत में ऐसी नियमित पत्रिकाएं नहीं हैं। कुछ संस्‍थान निजी प्रयास से वर्ष में एक-दो बार पत्रिकाएं निकालती हैं। लेकिन आप गूगल की मदद से सब कुछ जान सकते हैं। तकनीकी ज्ञान तो संस्‍कृति और भाषा की सीमाओं से परे है।
  • Ajay Brahmatmaj Sanjay Kumar आप का सवाल स्‍पष्‍ट नहीं है। अगर आश्‍य स्‍टार केंद्रित समीक्षा से है तो हां,ऐसा होता है।
  • Ajay Brahmatmaj Madhav Srimohan एक फिल्म पत्रकार के लिए कितना चुनौतीपूर्ण होता है हर फिल्म देखना? वो फिल्में जिनके नाम तक आम जनता को मालूम नहीं होते..और जिनमें से कई वाकई बेहद बुरी होती हैं. 
    0 बुरे खाने से फूड प्‍वायजनिंग होती है। बुरे सिनेमा से मूड प्‍वायजनिंग होती है।
  • Ajay Brahmatmaj Shiv Om Gupta इंटरटेनमेंट रिपोर्टिंग के लिए सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी अहर्ता क्या होनी चाहिए... 
    0 कोई इंटरनेट साइट आप की रिपोर्टिंग छापने को तैयार हो। मुझे लगता है कि 300 शब्‍दों में विषय प्रस्‍तुत करना आना चाहिए। भाषा बोधगम्‍य और सरल हो।
  • Ajay Brahmatmaj Ashish Sharma Wolvrein movie kesi h sir? 
    0 main dekh nahin paya.

  • Ajay Brahmatmaj Vikas Sarthi सर... गुलज़ार साहब की फिल्म Lekin... टैगोर की किसी कहानी पर है....बहुत ढूंढा लेकिन पता नहीं लग रहा... 
     
    0यह टैगोर की कहानी क्षुधित पाषाण पर आधारित है।सातवें दशक में तपन सिन्‍हा ने भी बंगाली में इसी कहानी को लेकर एक फिल्‍म बनाई थी। (सौजन्‍य- Pavan Jha )
  • Ajay Brahmatmaj Sujit Sinha अफसोस ही कर सकते हैं इस रुढि़ पर...अब कुछ नए प्रयोग हो रहे हें।

  • Ajay Brahmatmaj Khurshid Anwar श्री 420 में खलनायक की भूमिका किसने निभायी थी. मुगल-ए-आज़म में संगतराश की भूमिका में कौन था 
    0 तुम बने दोस्‍त जिस के,उसका परीक्षक कोई और क्‍यों हो? श्री420 में खलनायक की भूमिका निमो ने निभाई थी। वे पृथ्‍वी थिएटर के एक्‍टर थे। लखनऊ लौट चुके थे। राज कपूर ने उन्‍हें बुलाया और यह रोल दियात्र उन्‍होंने जागते रहो में भी काम किया था।(सौजन्‍य-जयप्रकाश चौकसे)। मुगल-ए-आजम में संगतराश की भूमिका हसन अली 'कुमार' ने लिभाई थी। उत्‍तीर्ण हुआ कि नहीं ?
  • Ajay Brahmatmaj Manish Chaurasia सर आज कल आप बाल पूरा साफ कर लिए है खलनायक की भूमिका करने की तयारी तो नहीं है।आज तक आप ने किसी भी फिल्म या टीवी में अभिनय किया है क्या ? 
    0 अभी तक तो नहीं किया है। एक फिल्‍म में मौजूद रहा हूं। टीवी शो में बोलते हुए आप देखते होंगे।
  • Ajay Brahmatmaj Poojāditya Nāth फिल्म समाज का आईना होती है या समाज में जो चल रहा है उसे आॅब्ज़र्व कर के फिल्में बनती हैं... 
    0दोनों प्रक्रिया साथ चलती हैं। कम शब्‍दों में फिल्‍में समाज का हिस्‍सा हैं।
  • Ajay Brahmatmaj Madhur Rai Gibraltar film critics agar itne hi qabil hote hai to khud ke direction me muh ki kyu khaa jate hai? samar khan ki 'kuch meeetha ho jaye' aur shaurya ka example hai hamare saamne...haalanki shaurya ke aakhiri 20 minute me k.k. menon ke damdar abhinay ke liye film ko maaf kiya ja sakta h, par aisa kyo???
    0  zaroori nahion ki achchha aalochak behatareen kavi-kahanikaar bhi ho.
  • Ajay Brahmatmaj Anand Expt मुंबई फिल्‍म इंडस्‍ट्री में लेखक श्रेणी के लिए क्‍या पारिश्रमिक चल रहा है? कहानी, गीत, संवाद, पटकथा आदि के लेखक (ए, बी और सी तीनों कोटियों का बताएँ, जिनमें ए सबसे ज्‍यादा तथा सी सबसे कम पैसे पाने वाला होगा)। इसके अलावा लेखकों की कोई अन्‍य श्रेणी होती है, तो उसकी जानकारी तथा पारिश्रमिक के बारे में भी बताएँ। 
    0 फ्री से लेकर 2 करोड़ तक।
  • Ajay Brahmatmaj Avinash Kumar आजादी के आस-पास लाहौर और पंजाब फिल्मों के केंद्र में होते थे...चाहे कहानी हो या कलाकार...बाद में बंगाल का चरित्र और कथानक पर्दे पर छा गया...मौजूदा दौर में उत्तर प्रदेश,बिहार,मध्य प्रदेश के लोग हर लिहाज से फिल्मी दुनिया को नया आयान दे रहे है...हालाकि कि हर दौर में हर तरफ के लोगों ने योगदान दिया है...फिर भी फिल्म निर्माण के इन बदलते अक्षों को कैसे समझा जाए... 
    0 हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री आजादी और देश विभाजन के पहले कोलकाता,लाहौर और मुंबई में विकसित हो रही थी।बाद में ऐतिहासिकऔर राजनीतिक कारणों से केवल मुंबई ही प्रमुख केन्‍द्र बन गया।
     

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