थ्रिलर व कॉमेडी के बीच पिस गयी गो


-अजय ब्रह्मात्मज

क्लिक..क्लिक.. यह है राम गोपाल वर्मा फ्लिक राम गोपाल वर्मा जितनी फिल्में बनाते हैं.. उनकी कंपनियों के नाम भी उतने ही हैं। कभी फैक्ट्री तो कभी आरजीवी फिल्म्स तो कभी यह फ्लिक.. इरादा क्या है? शायद दर्शकों को लगातार तंग करना..।
राम गोपाल वर्मा फ्लिक की गो के निर्देशक मनीष श्रीवास्तव हैं। उन्होंने इस फिल्म की योजना क्यों और कैसे बनाई, उसे रामू ने क्यों मंजूर किया? यह तो दोनों से मिल कर ही पूछा जा सकता है। फिलहाल फिल्म हमारे सामने है, जिसमें नायक अभय (गौतम) और नायिका वसु (निशा कोठारी) गा रहे हैं बैंड बजा दे। वो अपना तो क्या बैंड बजाएंगे.. दर्शकों का बैंड बजाने पर जरूर लगे हैं। शायद ये भी बता रहे हैं कि रामू का भी बैंड बज गया है।
दो युवा प्रेमी अपने माता-पिता से नाराज होकर घर से भागते हैं। उन्हें नहीं मालूम कि अनजाने में किन चंगुलों में फंसते जा रहे हैं। ऐसे विषय पर एक रोमांचक फिल्म बन सकती थी, लेकिन मनीष श्रीवास्तव कभी थ्रिलर तो कभी कॉमेडी का सहारा लेते दिखते हैं। हम सभी जानते हैं कि दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय.. गो भी चकनाचूर हो जाती है।
उम्दा एक्टर के।के. मेनन अधपके किरदार को निभाने में निराश करते हैं। गलती उनकी इतनी है कि उन्होंने रोल क्यों लिया? राजपाल यादव अब जॉनी लीवर के ट्रैक पर जा रहे हैं। अपने लाउड अभिनय से वह प्रशंसकों को दुखी कर रहे हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अच्छे एक्टरों की हत्या का यह पुराना तरीका है। उन्हें कोशिश कर इस दुष्चक्र से बाहर आ जाना चाहिए।

मुख्य कलाकार : गौतम, निशा कोठारी, राजपाल यादव, गोविंद नामदेव, केके
निर्देशक : मनीष श्रीवास्तव
तकनीकी टीम : निर्माता-राम गोपाल वर्मा, गीत-स्वानंद किरकिरे, राहुल सेठ, संगीत-स्नेहा खानवलकर।

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