देसी मुन्नी, शहरी शीला

देसी मुन्नी, शहरी शीला-अजय ब्रह्मात्‍मज

धुआंधार प्रचार से शीला की जवानी.. की पंक्तियां लोग गुनगुनाने लगे हैं, लेकिन शीला..शीला.. शीला की जवानी.. के बाद तेरे हाथ नहीं आनी.. ही सुनाई पड़ता है। बीच के शब्द स्पष्ट नहीं हैं। धमाधम संगीत और अंग्रेजी शब्द कानों में ठहरते ही नहीं। धप से गिरते हैं, थोड़ा झंकृत करते हैं और फिर बगैर छाप छोड़े गायब हो जाते हैं। यही वजह है कि आइटम सांग ऑफ द ईयर के स्वघोषित दावे के बावजूद शीला की जवानी.. का असर मुन्नी बदनाम हुई.. के जैसा नहीं होगा। मुन्नी.. को कोई दावा नहीं करना पड़ा। उसे दर्शकों ने आइटम सांग ऑफ द ईयर बना दिया है।

दबंग में आइटम सांग की जरूरत सलमान खान ने महसूस की थी। उन्होंने इसके लिए मुन्नी बदनाम हुई.. पसंद किया और पर्दे पर असहज स्थितियों और दृश्यों की संभावना के बावजूद अपनी छोटी भाभी मलाइका अरोड़ा को थिरकने के लिए आमंत्रित किया। सभी जानते हैं कि पूरी दुनिया के लिए अजीब कहलाने वाले सलमान खान अपने परिवार में कितने शालीन बने रहते हैं। मुन्नी बदनाम हुई.. ने कमाल किया। देखते ही देखते वह दबंग की कामयाबी का एक कारण बन गया।

मुन्नी बदनाम हुई.. वास्तव में लौंडा बदनाम हुआ.. का फिल्मी और थोड़ा श्लील रूपांतरण है। ओरिजनल गीत में लौंडे और नसीबन की रति क्रियाओं का वर्णन है। मुन्नी बदनाम हुई.. में मुन्नी के सार्वजनिक और सर्वसुलभ होने का वर्णन है। दबंग में मुन्नी नितंब के झटकों के साथ प्रवेश करती है। उसकी अदाओं में देहाती उम्फ है, जिसके सभी दीवाने हैं। चुलबुल पांडे उसके दर्शन में ही पूरी बोतल का नशा.. पाकर अपनी सुध-बुध खो बैठता है। वह उसे सिनेमा हॉल तक की संज्ञा दे देता है। वर्तमान भारतीय समाज में सिनेमा हॉल से अधिक सार्वजनिक और मनोरंजक जगह नहीं हो सकती।

मुन्नी का गंवईपन आकर्षित करता है। मुन्नी के कपड़े लाल और हरे हैं। उसने ट्रेडिशनल प्रिंट का चोली और घाघरा पहन रखा है। इसके बरक्स शीला के कपड़े डिजाइनर हैं। चमक-दमक के साथ उसमें शहरी संस्कार है। शीला एक गाने में इतनी बार कपड़े बदलती है कि वह नकली लगने लगती है। शीला के ठुमकों में देसीपन नहीं है। मुन्नी साइड से रिझाती है, तो शीला सामने से बुलाती है। वास्तव में यह संस्कृति का फर्क है। मुन्नी देसी है तो शीला शहरी। शीला के डांस की पृष्ठभूमि में स्पेशल इफेक्ट और सेट पर फाइबर और क्रिस्टल की सिंथेटिक चमक है, जबकि मुन्नी का माहौल धूसर और गेरुआ है। ये रंग हमारे मानस में बचपन से बैठे हैं। इसके अलावा मुन्नी अपने गाने की हर पंक्ति में खुद को सार्वजनिक करती जाती है। वह बताती है कि उसका आम उपयोग या उपभोग किया जा सकता है। इसके विपरीत शीला दावा करती है आई एम टू सेक्सी फॉर यू.. और तेरे हाथ नहीं आनी..। उसके इस उद्गार में टच मी नॉट का भाव है। शीला अहंकारी है और मुन्नी बदनाम होने पर भी न्योछावर होने के लिए तैयार है। मुन्नी के जादुई प्रभाव का सोंधापन हर उम्र, तबके और क्षेत्र के दर्शकों को भा चुका है। उसका असर प्राकृतिक है, जबकि शीला किसी विज्ञापन की तरह आक्रामक है। वह अपनी जरूरत पैदा करने की कोशिश में है, जबकि मुन्नी जरूरत बनी हुई है। निश्चित ही दोनों गानों के पीछे इतनी बातें नहीं सोची गई होंगी, लेकिन हर रचना के पीछे सक्रिय दिमाग की अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि होती है। उसी से प्रेरित होकर वह सायास या अनायास कुछ रचता है। गौर करें, तो मुन्नी भारत का गीत है, तो शीला इंडिया का।

Comments

इस विश्‍लेषण में एक और बात जोड़ लें । मुझे लगा कि मुन्‍नी को परिवार के साथ बैठकर देखा जा सकता है लेकिन शीला की अदाएं नितांत निजी क्षणों के लिए हैं।
अजय जी सर्वप्रथम 'शीला की जवानी' पर इस बहुआयामी और बहुस्तरीय लेख या समीक्षा के लिए आप बधाई के पात्र हैं| फराह खान ने फिल्म बनाते समय गाने के फिल्मांकन के दौरान यह सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कोई भारतीय समीक्षक इस गीत का एक्स-रे इस प्रकार भी करेगा| आप के लेख की पहली दो पंक्तियाँ पढने के बाद लगा की पहले गाने को सुन लिया जाय इसके बाद आप से मुखातिब होना ज्यादा बेहतर होगा| यू-ट्यूब पर इसका mp-3 संस्करण ही उपलब्ध हुआ तो हमने उसी से काम चला लिया....... बहरहाल आप के इस लेख से रूबरू होने के बाद एक ही बात हमारे दिमाग में आई कि- कविवर पन्त कविताई कर रहे हों और आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी साहित्य के इतिहास में उन पर 18-पेज की समीक्षा लिख रहे हों.......
Sajeev said…
very correctly pointed out...munni ashliil hokar bhi ashliil nahi lagti aur sheela soffisticated hokar bhi bhaundi lagti hai, filmankan men bhi koi nayapan nahi hai...sirf bade bade daave hain...mujhe lagta hai farah kii ye film aundhe mooh giregi
Dear Ajay

I am amazed that 2 days ago I was discussing these two item numbers with friends and I made exactly the same observations as you have beautifully analysed. The distance between London and Mumbai does not matter when it comes to intellectual dissection of the main-stream cinema.

Keep it up Sir!
chavannichap said…
shukriya doston.
@tejendra aap ki sohabat ka asar hai.
Unknown said…
MUnni....really rocksss

burt shiela looks stunning.......

as far as Song is concerned MUnni is far far better than Shiela..as u g\hc\v pointed out.....cent percent correct analysis
Shailesh K. Nevatia said…
Namaskar Sir,
Bahut badhiya... geet sangeet ka review padha aur likha hai.. parantu kissi geet ke review ka khyal bhi jehan me nahin aaya... ek naya, achha aivam sarthak prayas.. hamesha ki tarah bahut badhiya lekh... isme koi shaq nai ki munni ki badnaami ne sheila ko jawan kar diya... waise bhi item number to kuchh pal, dino ke liye jawan athwa badnam rehte hain... aaj hi subah 'Tera Kya Hoga Johny' ke item geet ke baare mein padha sunenge.. aur ummeed hai ki achha hua to munni, shiela ko chhodkar johny se puchenge kya hoga tera.. Munni aur Sheila ne aag lagai hai parantu saal se sarvshreshth Item geet ki shreni me Dhanno ko shamil na karna anuchit hai... Beharhaal...
Desi Munni ho ya Shehri Sheila.. Mere Angne me geet ki pankti.. jo hai naam wala wohi badnaam hai ke anusarr.. dono ne naam kamaya aur dono Badnaam Hue...
apka prayas bahut achha hai... X-ray pasand aaya...
sajha karne hetu shukriya...

Shailesh K. Nevatia
अब बताक की सबसे बेहतरीन समीक्षा इन गानों की... बधाई आपको....

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