फिल्‍म समीक्षा : 7 खून माफ

7 खून माफ: नारी मनोविज्ञान का चित्रण-अजय ब्रह्मात्‍मज

विशाल भारद्घाज की हर फिल्म में एक अंधेरा रहता है, यह अंधेरा कभी मन को तो कभी समाज का तो कभी रिश्तों का होता है। 7 खून माफ में उसके मन के स्याहकोतों में दबी ख्वाहिशें और प्रतिकार है। वह अपने हर पति में संपूर्णता चाहती है। प्रेम, समर्पण और बराबरी का भाव चाहती है। वह नहीं मिलता तो अपने बचपन की आदत के मुताबिक वह राह नहीं बदलती, कुत्ते का भेजा उड़ा देती है। वह एक-एक कर अपने पतियों से निजात पाती है। फिल्म के आखिरी दृश्यों में वह अरूण से कहती है कि हर बीवी अपनी शादीशुदा जिंदगी में कभी-न-कभी आपने शौहर से छुटकारा चाहती है। विशाल भारद्घाज की 7 खून माफ थोड़े अलग तरीके से उस औरत की कहानी कह जाती है, जो पुरूष प्रधान समाज में वंचनाओं की शिकार है।

सुजैन एक सामान्य लड़की है। सबसे पहले उसकी शादी मेजर एडविन से होती है। लंग्ड़ा और नपुंसक एडविन सुजैन पर शक करता है। उसकी स्वछंदता पर पाबंदी लगाते हुए सख्त स्वर में कहता है कि तितली बनन े की कोशिश मत करो। सुजैन उसकी हत्या कर देती है, इसी प्रकार जिम्मी, मोहम्मद, कीमत, निकोलाई और मधूसूदन एक-एक कर उसकी जिंदगी में आते हैं। इन सभी के दुर्गुणों और ज्यादती से तंग आकर सुजैन उनकी हत्याएं करती जाती है। उसे मनचाहा पुरूष नहीं मिलता। उसकी जिंदगी में अरूण भी है। अरूण उससे किसी किशोर की तरह प्रेम करता है, लेकिन जब रूस से पढ़कर लौटने के बाद वह सुजैन से मिलता है और सुजैन अपने प्रेम का इजहार करती है तो वह बिदक जाता है। चोट खाई सुजैन आत्महत्या के प्रयास में असफल होती है। बाद में वह अपना जीवन यीशु को समर्पित कर सुजैन की हत्या कर देती है।

ऐसा लगता है कि विशाल भारद्घाज 7 खून माफ में कोई मर्डर मिस्ट्री या सीरियल कीलिंग की कहानी कहेंगे, लेकिन यह फिल्म सुजैन के मनोभाव और मनोदशा के साथ नारी मनोविज्ञान का अच्छा चित्रण करती है। फिल्म में गति और रोमांच बना रहता है। यह लेखक-निर्देशक विशाल भारद्घाज की खूबी है कि हम सुजैन से नफरत नहीं होती। हम उसके साथ जीने लगते हैं। हमें उसके जीवन में आया हर पुरूष बीमार, लालची, कामपिपासु, धोखेबाज और अपूर्ण नजर आता है। विशाल ने सुजैन की जिंदगी में आए पुरूषों के माध्यम से एक खास काल की भी कथा कहते हैं। बहुत खूबसूरती से टीवी, समाचार पत्र और रेडियो के जरिए देश की बड़ी खबरों के कवरेज से वे सुजैन की जिंदगी की घटनाओं का समय निर्धारण भी करते जाते हैं। फिल्म का रंग और शिल्प विशाल की पहली फिल्मों से अधिक अलग नहीं है। वैसे भी विशाल की फिल्मों में तकनीक का चमत्कार नहीं होता. उनकी कहानियां गुंफित रहती हैं, जो आगे-पीछे के क्रम में नहीं आतीं। उनकी हर फिल्म में अनेक किरदार होते हैं, जो मिलकर कहानी पूरी करते हैं। इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा समेत अनेक अभिनेता प्रमुख भूमिकाओं में हैं। नील नितिन मुकेश, इरफान, अनु कपूर और नसीरूद्दीन शाह ने अपने किरदारों में जान भर दी है। इन चारों ने सुजैन के साथ और भिडं़त के दृश्यों में प्रभाव छोड़ा है। फिल्म के सूत्रधार बने अरूण की भूमिका में विवान साधारण रहे हैं। उनकी आवाज ज्यादा असरदार है। अगर वही असर अभिनय में आ जाता तो यह फिल्म उनके लिए भी उल्लेखनीय हो जाती। फिल्म के केन्द्र में प्रियंका चोपड़ा हैं। उन्होंने सुजैन के व्यक्तित्व के दंश, द्घंद्घ और दुविधाओं को बहुत खूबसूरती और बारीक तरीके से अभिव्यक्त किया है। उन्हें निर्देशक का पूरा सहयोग मिला है। मनोगत और एकल दृश्यों में वह उभरी हैं। योग्य और अनुभवी अभिनेताओं के सामने वह ज्यादा निखरी नजर आती हैं।

विशाल भारद्घाज की 7 खून माफ मुख्य रूप से प्रियंका चोपड़ा के अभिनय के लिए याद रखी जाएगी। प्रियंका ने फिर से साबित किया है कि सधा निर्देशक उनके अभिनय को नया आयाम देता है। 7 खून माफ विशाल भारद्घाज के प्रिय लेखक रस्किन बांड भी एक दृश्य में दिखाई पड़ते हैं। यह फिल्म उनकी कहानी सुजैन ज सेवन हस्बैंड्स पर आधारित है।

साढे़ तीन स्टार


Comments

सुंदर समीक्षा।
Sir I am fan of your writing style .your review are very nice and the word selection is superab.I am trying to learn .
अगर आपको समय मिले तो मेरे ब्लॉग http://www.sirfiraa.blogspot.com और http://www.rksirfiraa.blogspot.comपर अपने ब्लॉग का "सहयोगियों की ब्लॉग सूची" और "मेरे मित्रों के ब्लॉग" कालम में अवलोकन करें. सभी ब्लोग्गर लेखकों से विन्रम अनुरोध/सुझाव: अगर आप सभी भी अपने पंसदीदा ब्लोगों को अपने ब्लॉग पर एक कालम "सहयोगियों की ब्लॉग सूची" या "मेरे मित्रों के ब्लॉग" आदि के नाम से बनाकर दूसरों के ब्लोगों को प्रदर्शित करें तब अन्य ब्लॉग लेखक/पाठकों को इसकी जानकारी प्राप्त हो जाएगी कि-किस ब्लॉग लेखक ने अपने ब्लॉग पर क्या महत्वपूर्ण सामग्री प्रकाशित की है. इससे पाठकों की संख्या अधिक होगी और सभी ब्लॉग लेखक एक ब्लॉग परिवार के रूप में जुड़ सकेंगे. आप इस सन्दर्भ में अपने विचारों से अवगत कराने की कृपया करें. निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com
Anonymous said…
aapki review padke kaafi khushi pahunchi.
vaise sabse achcha kirdaar mujhe vivaan laga. uske abhinai evam dialoguebaazi main uske baap ki chaap saaf nazar aati hai. vahi andaaz, vahi istyle. kaafi lambi race ka ghoda hai ye vivaan.
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