पाँव जमीं पर नहीं पड़ते मेरे-लारा दत्‍ता

-अजय ब्रह्मात्‍मज

लारा दत्ता के जीवन में उत्साह का संचार हो गया है। हाल ही में महेश भूपति से उनकी शादी हुई है। 16 अप्रैल को उनका जन्मदिन था और इसी महीने 29 अप्रैल को उनके प्रोडक्शन हाउस भीगी बसंती की पहली फिल्म 'चलो दिल्ली' रिलीज हो रही है। उनसे बातचीत के अंश-

इस सुहाने मोड़ पर कितने सुकून, संतोष और जोश में हैं आप?

हर इंसान की जिंदगी में कभी न कभी ऐसा मोड़ आता है, जब वह खुद को सुरक्षित और संतुष्ट महसूस करता है। मैं अभी उसी मोड़ पर हूं। एक औरत होने के नाते कॅरिअर के साथ यह टेंशन बनी रहती है कि शादी तो करनी ही है। वह ठीक से हो जाए। लड़का अच्छा हो। ग्लैमरस कॅरिअर में आने से एक लाइफस्टाइल बन जाती है। हम खुद के लिए उसे तय कर लेते हैं। कोशिश रहती है कि ऐसा लाइफ पार्टनर मिले, जो साथ चल सके। मैं अभी बहुत खुश हूं। मेरी शादी एक ऐसे इंसान से हुई है, जो मुझे कंट्रोल नहीं करता। मेरे कॅरिअर और च्वाइस में उनका भरपूर सपोर्ट मिलता है। अभी लग रहा है कि मैं सब कुछ हासिल कर सकती हूं।

मेरा ऑब्जर्वेशन है कि आपने टैलेंट का सही इस्तेमाल नहीं किया या यों कहें कि फिल्म इंडस्ट्री ने आप को वाजिब मौके नहीं दिए?

इसी वजह से तो प्रोड्यूसर बन गई हूं। अब मैं अपनी मर्जी की फिल्में कर सकती हूं। इंडस्ट्री में बहुत कम ऐसी स्क्रिप्ट मिलती हैं, जहां हम लड़कियों के लिए ठोस काम हो। मैं महिला प्रधान फिल्मों की बात नहीं कर रही और न ही फेमिनिज्म का झंडा बुलंद कर रही हूं। मैं चाहती हूं कि ऐसी फिल्में हों, जिनमें हीरो-हीरोइन के बीच संतुलन बना रहे। अगर दोनों मिल कर जिंदगी चला सकते हैं तो फिल्में क्यों नहीं चला सकते?

पुरुष प्रधान फिल्म इंडस्ट्री में यह मुमकिन है क्या?

मैं मानती हूं कि अपने देश और फिल्म इंडस्ट्री में पुरुषों का वर्चस्व बना हुआ है। हमारे समाज का स्ट्रक्चर ही ऐसा है। फिल्मों की बात करें तो नंबर वन हीरोइन भी अपनी फिल्म से आमिर या शाहरुख जैसे रिटर्न नहीं ला सकतीं। इस सच्चाई से कोई इंकार नहीं कर सकता। मैं ऐसी होपलेस लड़ाई में पड़ना भी नहीं चाहती। मैं तो सिर्फ एंटरटेनिंग कामर्शियल फिल्में करना चाहती हूं, जिनमें औरतों का सिग्निफिकेंट रोल हो। उन्हें सिर्फ सजावट, सेक्स ऑबजेक्ट या सामान की तरह न पेश किया जाए।

'चलो दिल्ली' रोड फिल्म लग रही है?

चूंकि फिल्म में एक जर्नी है, इसलिए रोड फिल्म कह सकते हैं। बहुत ही सिंपल फिल्म है। दो डिफरेंट पर्सनैलिटी के दो व्यक्ति एक साथ सफर कर रहे हैं। मजबूरी में उन्हें एक-दूसरे पर भरोसा करना है। दोनों जयपुर से दिल्ली पहुंचने की कोशिश में हैं। रास्ते में हादसे पर हादसे ही होते रहते हैं। मिहिका मुंबई की अपर क्लास की लड़की है, जबकि मनु गुप्ता (विनय पाठक) चांदनी चौक, दिल्ली का रहने वाला है। करोलबाग में उसकी साड़ी की दुकान है। वह लोअर मिडिल क्लास का है।

ऐसा लगता है कि हल्के-फुल्के अंदाज में दो व्यक्तियों के टेंशन के मजेदार सिक्वेंस रखे गए हैं?

यह रियल इंडिया है। दो अलग-अलग क्लास के लोग सफर में साथ होते हैं। उनकी अपनी ख्वाहिशें और डर हैं। उनके बीच एक इमोशनल रिश्ता भी बनता है। रिलेशनशिप डेवलप होता है। मैं ज्यादा डिटेल में नहीं बता सकती.. प्लीज आप फिल्म देखो और दूसरों को भी देखने के लिए बोलो।

..हिंदी फिल्मों के हीरो-हीरोइन के बीच लव का एंगल तो आ ही जाता है?

मैं अभी नहीं बता सकती.. अब दो लोग साथ होंगे तो उनके बीच कोई न कोई केमिस्ट्री तो बनेगी ही। फिल्म में आप दो घंटे उन्हें साथ देख रहे हो। उनका सफर तो उससे भी लंबा है। साथ ही हादसे और घटनाएं भी हैं। जाहिर सी बात है कि दोनों के बीच एक रिलेशनशिप डेवलप होता है.. अब वह दोस्ती तक रहता है या लव में बदलता है या फिर झगड़े में खत्म होता है.. वह अभी नहीं बताना चाहिए मुझे।

फिल्म के निर्देशक शशांत शाह को आपने इस स्क्रिप्ट की वजह से चुना या उनके साथ फिल्म करना चाहती थीं?

हमारा परिचय इस स्क्रिप्ट की वजह से ही हुआ। शशांत और विनय की पुरानी जोड़ी है। दोनों ने दसविदानिया एक साथ की थी। शशांक चाहते थे कि मैं यह फिल्म करूं। मुझे स्क्रिप्ट अच्छी लगी तो मैंने प्रोड्यूस करने का फैसला ले लिया। महेश को भी फिल्म की स्क्रिप्ट अच्छी लगी तो उन्होंने भी को-प्रोडयूसर बनना पसंद किया। बाद में इरोस कंपनी भी साथ में आ गई। सब कुछ अपने आप रास्ते पर आता चला गया।

तो महेश भूपति के साथ आपकी रिलेशनशिप और यह फिल्म साथ-साथ चली?

अच्छी बातें एक साथ ही होती हैं। मेरी जिंदगी में महेश का आना, इस फिल्म का बनना और मेरा निर्माता बनना सब बगैर किसी बड़ी प्लानिंग के होता चला गया। अब ऐसा लग सकता है कि इसके पीछे हम दोनों की जबरदस्त प्लानिंग रही होगी।

'भीगी बसंती'.. अजीब सा नाम नहीं है प्रोडक्शन कंपनी का?

है तो.. बसंती बड़ा फिल्मी नाम है। शोले में हेमा मालिनी ने इस किरदार को अलग पहचान दे दी थी। बसंती अगर भीगी हुई हो तो कितनी सेक्सी लगेगी। हिंदी फिल्मों में भीगी हीरोइनों को आप देखते रहे हैं। यह नाम वहीं से प्रेरित है।

यह भय नहीं लगता कि प्रोड्यूसर बनने के बाद आप को बाहर से ऑफर मिलने बंद हो जाएंगे?

ऐसा क्यों कह रहे हैं। आज आमिर, शाहरुख, सलमान सभी निर्माता बन गए हैं। वे अपने प्रोडक्शन के साथ बाहर की फिल्में भी कर रहे हैं। अगर लड़की होकर मैंने ऐसा कर दिया तो क्या मेरे लिए दूसरे दरवाजे बंद हो जाएंगे? ऐसा होना तो नहीं चाहिए। सच कहें तो यह बहुत सही फैसला है कि एक मुकाम हासिल करने के बाद अपनी कंपनी खोली जाए और मुनाफे को अपने पास रखा जाए। प्रोडक्शन कंपनी होने से एक फायदा होगा कि मैं यों ही कोई फिल्म साइन नहीं करूंगी।

तो अब आप ब्यूटी एंड ब्रेन का सही तालमेल बिठाने जा रही हैं?

हाँ, अब मेरे पास एक सहयोगी है, जो मेरा पति है। पहले मैं कॅरिअर संबंधी कोई भी सलाह अक्षय कुमार से लेती थी। उन्होंने हमेशा मुझे सही सलाह दी और और जरूरत पड़ने पर मदद की। महेश की कंपनी बेहद सफल है। उनके सहयोग से मेरी कंपनी भी स्थापित हो जाएगी। महेश चाहते हैं कि मैं फिल्मों में काम करती रहूं और अपनी मर्जी के दूसरे वेंचर भी आरंभ करें।

क्या-क्या करने का इरादा है?

फैशन लाइन आरंभ करूंगी। ऐसी चीजें जो मिडिल क्लास की लड़कियां खरीद सकें। अभी एक शू कंपनी के साथ बात चल रही है। जल्दी ही शू रेंज लेकर आऊंगी।

..और फिल्मों के फ्रंट पर?

शाहरुख खान के साथ डॉन-2 कर रही हूं। दो और फिल्मों की बात लगभग फाइनल स्टेज पर है। मेरी कंपनी की एक और फिल्म अगस्त में आरंभ होगी।

Comments

Pao zamin par nahi padte to hawa me samhal kar udiyega kyu ki hawao ka rukh hamare ghar ki taraf hai pata chala ki kal humre gharwe mein dikh rahi ho.
Nai nai joke tha, par pao zamin par hi rahe to behter hai.
JHAKJHAKIYA

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