कान में मसान को मिले दो पुरस्‍कार




-अजय ब्रहमत्‍मज

पिछले रविवार को समाप्‍त हुए कान फिल्‍म समारोह में भारत से अन सर्टेन रिगार्ड खंड में गई नीरज घेवन की मसान को दो पुरस्‍कार मिले। नीरज को संभावनाशील निर्देशक का पुरस्‍कार मिला और फिल्‍म को समीक्षको के इंटरनेशनल संगठन फिपरेसी का पुरस्‍कार मिला।
परंपरा और आधुनिकता के साथ बाकी स्थितियों की वजह से अपनी-अपनी जिंदगियों के चौमुहाने पर खड़े दीपक,देवी,पाठक,झोंटा और अन्‍य किरदारों की कहानी है मसान। इसे नीरज घेवन ने निर्देशित किया है। भारत और फ्रांस के निर्माताओं के सहयोग से बनी इस फिल्‍म की पूरी शुटिं बनारस शहर और उसके घाटों पर हुई है। मराठी मूल के नीरज घेवन परवरिश और पढ़ाई-लिखाई हैदराबाद और पुणे में हुई। नीरज खुद को यूपीवाला ही मानते हैं। बनारस और उत्‍तर भारत की भाषा,संस्‍कृति और बाकी चीजों में उनकी रुचि और जिज्ञासा बनी रही। उन्‍होंने बनारस के बैकड्राप पर एक कहानी सोच और लिख रखी थी। वे अच्‍छी-खासी नौकरी कर रहे थे और उनकी शादी की भी बात चल रही थी,लेकिन तभी फिल्‍मों में उनकी रुचि बढ़ी। वे अनुराग कश्‍यप के संपर्क में आए। अनुराग के साथ वे गैंग्‍स ऑफ वासेपुर की डायरेक्‍शन टीम में रहे। बनारस में इस फिल्‍म की शूटिंग के दौरान उन्‍होंने अपनी फिल्‍म को आकार देना शुरू किया। अनुराग चाहते थे कि नीरज उनके साथ बॉम्‍बे वेल्‍वेट की टीम में भी रहें,लेकिन नीरज ने अपनी फिल्‍म की शूटिंग के बारे में सोचा। उन्‍होंने वरूण ग्रोवर को साथ लिया। वरूण ने मसान की पटकथा और संवाद लिखे।
    गंगा के किनारे बसे बनारस शहर की पावन परंपरा रही है। नैतिकता और परंपरा का उल्‍लंघन वहां दंडनीय माना जाता है। इस पृष्‍ठभूमि में गरीब मोहल्‍ले के दीपक को किसी और जाति की लड़की देवी से प्रेम हो जाता है। देवी पढ़ाई कर रही है,लेकिन उसकी जिंदगी ठीक नहीं चल रही है। उसका प्रेमी गायब हो गया है। इसकी वजह से वह अपराध बोध में रहती है। देवी के पिता पुलिस के चक्‍कर में परेशान हैं। पैसो के कारण उन्‍होंने अपनी नैतिकता ताक पर रख दी है। एक और लड़का झोंटा है। वह अपने परिवार की तलाश में है। दरअसल,ये सभी किरदार खुद की जिंदगी में बेहतरी की तलाश में हैं। वे आधुनिकता और परंपरा के द्वंद्व में फंसे हुए हैं।
    मसान के इन किरदारों को रिचा चड्ढा,विकी कौशल,संजय मिश्रा,विनीत कुमार और श्‍वेता त्रिपाठी ने निभाया है। नीरज ने अपन फिल्‍म बनारस कसे समर्पित करने के साथ उन सभी बनारसियों का एहसान माना है,जिन्‍होंने इस सीमित बजट की फिल्‍म की शूटिंग में छोटी-बड़ी मदद‍ की। वे जल्‍दी ही यह फिल्‍म बनारस के दर्शकों के बीच ले जाना चाहते हैं।


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