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Showing posts with the label अमिताभ बच्चन

बिग बी के लिए सवाल

big b ke liye aapke paas kai sawal honge.kal hamari mulaqat tay hui hai.chavanni chahta hai ki aap ki jigyashayen bhi unke saamne rakhi jaayen.please apne sawal jaldi se jaldi post karen. maaf karen aaj yah post nagri mein tabdeel nahin ho pa raha hai.shayad server tang kar raha hai. chhonki jaldi baaji hai,isliye aaj roman mein hi padh len. aap apne sawal alag se bhi bhej sakte hain,pataq hoga; chavannichap@gmail.com

ब्लॉग पर बेलाग बच्चन

बच्चन यानि बिग बी यानि अमिताभ बच्चन को इस अंदाज में आपने नहीं देखा होगा.आप जरा उनके ब्लॉग पर जाएं और उनकी छींटाकशी देखें। उन्होंने चौथे दिन के ब्लॉग में शत्रुघ्न सिन्हा पर सीधा आरोप लगाया है.पिछले दिनों शत्रु भइया ने अपने अंदाज में कहा कि आईफा के नामांकन की क्या बात करें?वहाँ कोई किसी का बेटा है,कोई किसी कि बहु है और कोई किसी कि बीवी है.उनकी इस टिपण्णी के आशय को समझते हुए बिग बी चुप नहीं रहे.उन्होंने रवीना टंडन को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के समय के विवाद का जिक्र किया और बताया कि कि कैसे तब कि जूरी में पूनम सिन्हा की सिफारिश पर मैकमोहन को शामिल किया गया था.जो लोग नहीं जानते उनकी जानकारी के लिए चवन्नी बता दे कि शत्रुघ्न सिन्हा कि पत्नी हैं पूनम सिन्हा.बहरहाल,बिग बी के ब्लॉग से लग रहा है कि वे सभी को जवाब देने के मूड में हैं। उन्होंने एक साल पहले आउटलुक पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट में शामिल टिप्पणीकारों को भी नहीं बख्शा है.उन्होंने सुनील गंगोपाध्याय,राजेंद्र यादव,प्रभाष जोशी और परितोष सेन को जो पत्र लिखे थे,उन्हें सार्वजनिक कर दिया है.उन्होंने सभी को चुनौती दी है कि वे अपनी टिप्पणियों को

खेमों में बंटी फ़िल्म इंडस्ट्री, अब नहीं मनती होली

-अजय ब्रह्मात्मज हर साल होली के मौके पर मुंबई की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में मिथक बन चुकी आरके स्टूडियो की होली याद की जाती है। उस जमाने में बच्चे रहे अनिल कपूर, ऋषि कपूर, रणधीर कपूर से बातें करें, तो आज भी उनकी आंखों में होली के रंगीन नजारे और धमाल दिखाई देने लगते हैं। कहते हैं, होली के दिन तब सारी फिल्म इंडस्ट्री सुबह से शाम तक आरके स्टूडियो में बैठी रहती थी। सुबह से शुरू हुए आयोजन में शाम तक रंग और भंग का दौर चलता रहता था। विविध प्रकार के व्यंजन भी बनते थे। वहां आर्टिस्ट के साथ तकनीशियन भी आते थे। कोई छोटा-बड़ा नहीं होता था। उस दिन की मौज-मस्ती में सभी बराबर के भागीदार होते थे। एक ओर शंकर-जयकिशन का लाइव बैंड रहता था, तो दूसरी ओर सितारा देवी और गोपी कृष्ण के शास्त्रीय नृत्य के साथ बाकी सितारों के फिल्मी ठुमके भी लगते थे। सभी दिल खोल कर नाचते-गाते थे। स्वयं राजकपूर होली के रंग और उमंग की व्यवस्था करते थे। दरअसल, हिंदी सिनेमा के पहले शोमैन राजकपूर जब तक ऐक्टिव रहे, तब तक आरके स्टूडियो की होली ही फिल्म इंडस्ट्री की सबसे रंगीन और हसीन होली बनी रही। उन दिनों स्टार के रूप में दिलीप कुमार और

सिगरेट और शाहरुख़ खान

शाहरुख़ खान ने कहा कि फिल्मों में सिगरेट पीते हुए कलाकारों को दिखाना कलात्मक अधिकार में आता है और इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.अगर आप गौर से उस समाचार को पढें तो पाएंगे कि एक पंक्ति के बयान से खेला गया है.फिल्म पत्रकारिता की यही सामाजिकता है। हमेशा बहस कहीं और मुड़ जाती है.सवाल फिल्मों में किरदारों के सिगरेट पीने का नहीं है.सवाल है कि आप उसे अपने प्रचार में क्यों इस्तेमाल करते हैं.क्या पोस्टर पर स्टार की सिगरेट पीती तस्वीर नहीं दी जाये तो फिल्म का प्रचार नहीं होगा ?चवन्नी ने देखा है कि एक ज़माने में पोस्टर पर पिस्तौल जरूर दिखता था.अगर फिल्म में हत्या या बलात्कार के दृश्य हैं तो उसे पोस्टर पर लाने की सस्ती मानसिकता से उबरना होगा. फिल्म के अन्दर किसी किरदार के चरित्र को उभारने के लिए अगर सिगरेट जरूरी लगता है तो जरूर दिख्यें.लेकिन वह चरित्र का हिस्सा बने,न कि प्रचार का। शाहरुख़ खान इधर थोड़े संयमित हुए हैं.पहले प्रेस से मिलते समय कैमरे के आगे वे बेशर्मों की तरह सिगरेट पीते रहते थे.इधर होश आने पर उन्होंने कैमरे के आगे सिगरेट से परहेज कर लिया है.चवन्नी को याद है एक बार किसी टॉक शो म

७०% मत मिले अमिताभ बच्चन को

पिछले दिनों चवन्नी ने आप कि राय मांगी थी कि आप अशोक की भूमिका में अमिताभ बच्चन और अजय देवगन में किसे देखना चाहेंगे?इस बार आप की हिस्सेदारी उत्साहजनक रही.चवन्नी के पाठकों में से जिन सभी ने मतदान दिए,उन में से ७० प्रतिशत ने अमिताभ बच्चन के पक्ष में मतदान किया.अजय देवगन को केवल ३०% मतदाता ही अशोक की भूमिका में देखना चाहते हैं। अगर आप ने मतदान नहीं किया था और अब अपनी राय देना चाहते हैं तो स्वागत है.आप टिप्पणी के रुप में अपनी राय पोस्ट करें.

'अशोक' बनेंगे अमिताभ बच्चन और अजय देवगन

एक हैं डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी...उन्होंने कुछ सालों पहले पिंजर नाम की फिल्म बनाईं थी.उस फिल्म की काफी तारीफ हुई थी.सभी ने मन था कि उन्होंने चाणक्य के बाद एक और बेहतरीन काम किया है.पिंजर के बाद डॉ द्विवेदी ने सनी देओल के साथ पृथ्वीराज रासो की योजना बनाईं.इस फिल्म की अभी घोषणा भी नहीं हुई थी कि राज कुमार संतोषी ने विज्ञापन तक प्रकाशित कर दिया कि वे अजय देवगन और ऐश्वर्या राय के साथ पृथ्वीराज रासो बनायेंगे.कहते हैं राज कुमार संतोषी और सनी देओल की पुरानी लड़ाई और अहम का शिकार हो गयी डॉ द्विवेदी की पृथ्वीराज रासो.कुछ समय के बाद पता चला कि दोनों ही फिल्मों को निर्माता नहीं मिल पाए.भगत सिंह के दौरान पैसे होम कर चुके निर्माताओं ने नहीं टकराने का फैसला लिया.नतीजा सभी के सामने है.पृथ्वीराज रासो नहीं बन सकी। डॉ द्विवेदी मन मसोस कर रह गए.उधर राज कुमार संतोषी हल्ला बोल बनने में जुट गए.लंबे शोध और अध्ययन के बाद डॉ द्विवेदी ने अशोक के जीवन के उत्तर काल पर फिल्म बनने की सोची.इस फिल्म के सिलसिले में उनकी मुलाक़ात देश के कई निर्माताओं से हुई.सभी ने इस फिल्म में रूचि दिखाई.मामला धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था.खबर

हम परिवर्तन नहीं ला सकते: अमिताभ बच्चन

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११ अक्टूबर को अमिताभ बच्चन का जन्मदिन था.उसी अवसर पर अजय ब्रह्मात्मज ने उनका साक्षात्कार लिया.यहाँ कुछ अलग सवाल अमित जी के सामने रखे गए.अमित जी ठीक मूड में होन तो रोचक जवाब देते हैं.चवन्नी दैनिक जागरण में प्रकाशित अमिताभ बच्चन का साक्षात्कार अपने पाठकों के लिए पेश कर रह है । अमिताभ बच्चन भारतीय सिनेमा की धुरी हैं, इसमें कोई दो राय नहीं। धुरी इसलिए हैं, क्योंकि हिंदी सिनेमा के इतिहास में उनका अहम योगदान है। हर रंग की भूमिकाएं निभाने में माहिर होने की वजह से ही उन्हें कई उपनाम भी मिले। बातचीत अमिताभ बच्चन से.. आपका उल्लेख होते ही एंग्री यंग मैन की छवि उभरती है, जबकि आपने दूसरी तरह की फिल्में भी की हैं। क्या वजह हो सकती है? वजह तो आप लोग ज्यादा अच्छी तरह बता सकते हैं। वैसे, यह सही है कि जब कहीं पर क्रोध होता है या कहीं पर हिंसा होती है, तो लोगों का उधर ध्यान जरूर जाता है। आप सड़क पर चल रहे हैं और अगर एक लड़का-लड़की हाथ पकड़े जा रहे हैं, तो आप शायद एक बार देखकर अपना मुंह मोड़ लेंगे, लेकिन अगर वही लड़का-लड़की एक-दूसरे को चपतियाने लगें और चप्पल उतार कर मारने लगें, तो आप रुक जाएंगे। उसे देखें