देसवा में दिखेगा बिहार
-अजय ब्रह्मात्मज नितिन चंद्रा की फिल्म देसवा लुक और थीम के हिसाब से भोजपुरी फिल्मों के लिए नया टर्रि्नग प्वाइंट साबित हो सकती है। भोजपुरी सिनेमा में आए नए उभार से उसे लोकप्रियता मिली और फिल्म निर्माण में तेजी से बढ़ोतरी हुई, लेकिन इस भेड़चाल में वह अपनी जमीन और संस्कृति से कटता चला गया। उल्लेखनीय है कि भोजपुरी सिनेमा को उसके दर्शक अपने परिजनों के साथ नहीं देखते। ज्यादातर फिल्मों में फूहड़पन और अश्लीलता रहती है। इन फिल्मों में गीतों के बोल और संवाद भी द्विअर्थी और भद्दे होते हैं। फिल्मों में भोजपुरी समाज भी नहीं दिखता। भोजपुरी सिनेमा के इस परिदृश्य में नितिन चंद्रा ने देसवा में वर्तमान बिहार की समस्याओं और आकांक्षाओं पर केंद्रित कहानी लिखी और निर्देशित की है। इस फिल्म में बिहार दिखेगा। बक्सर के गांव से लेकर पटना की सड़कों तक के दृश्यों से दर्शक जुड़ाव महसूस करेंगे। नितिन चंद्रा बताते हैं, मैंने इसे सहज स्वरूप दिया है। मेरी फिल्म के तीस प्रतिशत संवाद हिंदी में हैं। आज की यही स्थिति है। आप पटना पहुंच जाइए, तो कोई भी भोजपुरी बोलता सुनाई नहीं पड़ता। मैं चाहता तो इस फिल्म की शूटिंग राजपिपला